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फ़िर फ़िसली साक्षी महाराज की ज़ुबान

By TCN News,

यह विरोधाभासी समय खबरों की दुनिया में एक लंबे समय तक बना रहेगा. एक तरफ़ जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी साम्प्रदायिक छवि को छोड़कर सद्भाव और सेकुलर छवि बनाना चाह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं की पार्टी के नेता और सांसद साक्षी महाराज उनकी अधर में पड़ी लुटिया को डुबोने में लगे हैं. साक्षी महाराज अपने बयानों से बाज़ नहीं आ रहे. पहले उन्होंने मदरसों और लव-जिहाद पर बयान देकर ‘राष्ट्रवादी’ वाहवाही तो लूट ही ली थी, लेकिन अपने बयान पर कायम होने की बात और मोदी के कथन की अपने ही तरीके से ‘समीक्षा’ करने के बाद उन्होंने संभवतः और भी क़ाबिल-ए-गौर काम किया है.



साक्षी महाराज

भारतीय जनता पार्टी के सांसद सच्चिदानन्द साक्षी महाराज ने कहा है कि मदरसों के सम्बंध में दिए गए बयान पर वह आज भी कायम हैं. साक्षी ने कहा कि उनका बयान अगर गलत है तो उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है? बयान सही है इसीलिए उनके खिलाफ किसी किस्म की कार्यवाही नहीं हो रही है. उन्होंने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा, ‘मदरसों की पढ़ाई का क्या पाठ्यक्रम होता है? मदरसों की क़िताबें बाज़ार में क्यों नहीं बिकतीं. यदि मदरसों में पवित्र किताब पढ़ाई जाती है तो स्कूलों में गीता को दो अध्याय पढ़ा दिए जाएं तो इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.’ थोड़ा और उग्र होते हुए साक्षी ने कहा, ‘मदरसों में आतंकवादी तैयार किये जाते हैं और मैं अपने बयान पर कायम हूं.’

ज्ञात हो कि अमरीका जाने से पहले सीएनएन को दिए गए साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत का मुसलमान किसी के बहकावे में नहीं आएगा. इस वक्तव्य की ‘विवेचना’ करते हुए साक्षी महाराज ने कहा, ‘मोदी के यह कहने का मतलब कि मुसलमान किसी के बहकावे में नहीं आएंगे, यह है कि मुसलमान पहले से बहके हुए हैं.’ उन्होंने कहा कि मोदी ने गेंद मुसलमानों के पाले में फेंक दी है अब उन्हें उसमें खरा उतरना है. साक्षी ने मुसलमानों पर राष्ट्रविरोधी ताक़तों के साथ मिला होने का आरोप फ़िर से लगाया.

गरबा पर पहले से चल रहे घमासान में अपना योगदान देते हुए साक्षी ने कहा कि गरबा में उन्ही लोगों को जाना चाहिए जो महिलाओं की पूजा करते हैं. जो लोग महिलाओं को पैर की जूती और बच्चा पैदा करने की मशीन समझते हैं, ऐसे लोगों को गरबा के आयोजनों नहीं जाना चाहिए.

ज्ञात हो कि साक्षी महराज ने हाल ही में अपने एक विवादास्पद बयान में कहा था कि मदरसों से आतंकवादी निकलते हैं. यह मुद्दा अभी भी विचारणीय है कि अपने सांसदों और पार्टी सदस्यों के इन बयानों के बावजूद, सरकार कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों नहीं कर रही है? कई समाजशास्त्रियों ने सरकार के इस रवैये पर बार-बार ऊँगली उठायी है.