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हैदराबाद, बीजापुर और बेंगलुरु में आईएमआरसी द्वारा अमरीका के डॉक्टरों की मदद से लगाया गया स्वास्थ्य कैम्प

By TwoCircles.net staff Reporter,

हैदराबाद/बेंगलुरु : गरीब और ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए इण्डियन मुस्लिम रिलीफ एंड चैरिटीज़ ( आईएमआरसी ) लगातार छठे साल भारत के कई हिस्सों में स्वास्थ्य कैम्प लगाया. इन कैम्पों का मकसद स्वास्थ्य जांच के साथ-साथ समाज में जागरूकता फैलाना भी है.

अमरीका स्थित परोपकारी संस्था इण्डियन मुस्लिम रिलीफ और चैरिटीज़ भारतीय अमरीकियों द्वारा स्थापित किया गया प्रयास है. हर साल आईएमआरसी अपनी सहायक संस्था ‘सहायता ट्रस्ट’ के साथ अमरीकी डॉक्टरों की एक टीम द्वारा गरीब और ज़रूरतमंद लोगों के स्वास्थ्य लाभ में योगदान करती है. इसका मकसद समाज के उस हिस्से को इलाज मुहैया कराना है, जिसके लिए महंगी स्वास्थ-सेवाएं पहुंच से दूर हैं.



‘इण्डियन हेल्थ इनिशिएटिव’ के बैनर के अंतर्गत भिन्न-भिन्न राज्यों की झुग्गी-बस्तियों में लगने वाले इन कैम्पों में ज़रूरतमंद मरीजों का सिर्फ़ इलाज नहीं होता, उन्हें साथ ही साथ मुफ्त में दवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं.

इस साल, यानी इण्डियन हेल्थ इनिशिएटिव के छठे साल में, कैलिफोर्निया से आए छः डॉक्टरों ने हैदराबाद और बीजापुर में आठ मेडिकल कैम्प व बेंगलुरु में चार मेडिकल कैम्प लगाए. इन डॉक्टरों में डा. फ़रीदा घोगावाला (स्त्री रोग), डा. इरफ़ान मोईन (जेरीआट्रिक्स), डा. जेरोम सेफेंको(सर्जन), डा. जॉन रोज़ेनबर्ग(फिजीशियन), डा. मुस्तफ़ा आबो अलखेरी(सर्जन) और डा. यामीन अली जावेद(बाल रोग) जैसे विशेषज्ञ शामिल थे. हैदराबाद में 27-30 जनवरी, बीजापुर में 2-5 फरवरी और बेंगलुरु में 9-12 फरवरी तक कैम्प आयोजित किए गए थे.

पूरे कैम्पों के संयोजन में लगे ‘सहायता ट्रस्ट’ के सैयद अब्दुल नजीब ने कहा कि इन मेडिकल कैम्पों का प्रमुख उद्देश्य गरीब जनता के बीच जागरूकता का प्रसार करना है. उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में इस देश की गरीब जनता अपने रोगों के बारे में तभी जान पाती है, जब वे आखिरी स्टेज पर होते हैं. इन कैम्पों के माध्यम से हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि हमारे मरीज़ इलाज पाने के साथ-साथ रोगों से बचाव के तरीके भी सीख सकें.’



डायबिटीज़ से जूझ रहे बुजुर्ग कादर शरीफ़ हैदराबाद के शाहीननगर में रहते हैं. वे कहते हैं, ‘यहां आने के पहले मैं कुछ दूसरे अस्पतालों में गया था लेकिन वहां वे उस किस्म की जांच नहीं करते थे जो यहां के डॉक्टर बिलकुल मुफ्त करते हैं. दूसरे अस्पतालों में हमसे ख़ूब पैसा लिए जाने के बाद भी हमारा सही इलाज नहीं होता है.’

डा. जॉन रोजेनबर्ग अपने छः सालों के अनुभव को संतोषजनक बताते हुए कहते हैं, ‘यहां बहुत चहल-पहल होती है, बहुत सारी ऊर्जा खर्च होती है. लेकिन दिन के अंत में आप भीतर से सुकून महसूस करते हैं कि आप यहां इन लोगों के लिए कुछ अलग कर रहे हैं.’ डा. जेरी सेफेंको अभिभूत होकर कहते हैं, ‘मैं हमेशा से भारत आकर इन लोगों की सेवा करना चाहता था, जिनके पास स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कोई मुक़म्मिल व्यवस्था नहीं है.’



डा. फरीदा घोगावाला अन्य डॉक्टरों की तुलना में ज़्यादा मरीजों को देखती हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि स्त्री रोग विशेषज्ञ होने की वजह से उनके पास महिलाएं ही मरीज के तौर पर आती हैं. डा. फरीदा सिर्फ़ उन महिलाओं की जांच-इलाज नहीं करती, बल्कि उनसे अन्य मुद्दों पर बात भी करती हैं जिसके बारे में अन्य डॉक्टरों से बात करने में हिचकिचाती हैं.

अभी देश के कम से कम 17 राज्यों में आईएमआरसी की उपस्थिति है. आईएमआरसी और सहायता ट्रस्ट के संयुक्त तत्त्वावधान के तहत हैदराबाद में एक इन्डो-यूएस अस्पताल भी चलाया जा रहा है. स्वास्थ्य और शिक्षा के अलावा आईएमआरसी ग्रामीण विकास और प्राकृतिक आपदा व दंगों के दौरान राहत कैम्पों के लिए कार्य करती हैं.

संपर्क:
सईद खालिद अहमद (बेंगलुरु) – +91-9945942899
अब्दुल वहीद (हैदराबाद) – +91-9494442242
इमेल – [email protected]
वेबसाईट – www.imrcusaimmjimrcusa.org

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English version: 6th India Health Initiative of IMRC concluded in Karnataka