Home India News संघ कार्यालय में शोध छात्र को बंदी बनाया गया

संघ कार्यालय में शोध छात्र को बंदी बनाया गया

By TwoCircles.net Staff Reporter

लखनऊ: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पर शोध कर रहे छात्र अनिल यादव को संघ कार्यालय में बंधक बनाने की घटना हाल में ही सामने आई है.

गिरि विकास संस्थान, लखनऊ के प्रोजेक्ट रीसर्च एसोसिएट अनिल यादव मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा पर शोध के लिए मुजफ्फरनगर गए थे. अनिल यादव को 27 जनवरी रात 8 बजे से लेकर 10 बजे तक मुजफ्फरनगर के अंसारी रोड स्थित आरएसएस कार्यालय में बंधक बनाकर रखा गया. कार्यालय में संघ के लोग आपराधिक तरीके से 3 घंटे तक अनिल को अपने कार्यालय मे बंदकर पूछताछ करते रहे और आईएसआई का एजेंट बोलकर जान से मारने की धमकी देते रहे.


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बकौल अनिल यादव, उनके बार-बार बताने के बावजूद कि वे रिसर्चर हैं, उन्हें लाठी डंडे दिखाकर जान से माने की धमकी दी जाती रही. इस दौरान अनिल का फोन भी ले लिया और उसमें डायल नंबरों के बारे में यह पूछा गया कि किस आतंकवादी का नंबर है? इतने मुल्लाओं के नंबर तुम्हारे पास कैसे है? परिचय पत्र दिखाने के बाद भी मुसलमान कहकर प्रताडि़त करते रहे और आईएसआई, आईएसआईएस का एजेंट कहकर गांलियां देते रहे. घंटों प्रताड़ना के बाद मोबाइल वापस किया गया. इस पूरी घटना में संघ से जुड़े नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत दो और लोग शामिल थे.

लखनऊ स्थित सामाजिक संगठन रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने अनिल यादव को बंधक बनाने की घटना को अकादमिक जगत के शोधों पर आरएसएस का हमला बताया उन्होंने कहा, ‘जो लोग कहते हैं कि देश में असहिष्णुता नहीं है उन्हें अनिल यादव से पूछना चाहिए कि मुसलमान का नंबर रखने भर से जो उनके साथ किया गया उससे उनपर क्या गुजरी? यह घटना सोचने पर विवश करती है कि क्या मुस्लिम होना गुनाह है?

सामजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिस तरह से देश की राजधानी के करीब गाजियाबाद के डासना में पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू स्वाभिमान संगठन के लोग मुसलमानों के खिलाफ भड़काकर पिस्तौल, राइफल, बंदूक जैसे हथियार चलाने का प्रशिक्षण आठ-आठ साल के हिंदू बच्चों को दे रहे हैं, उस पर खुफिया-सुरक्षा एजेंसियां और सरकार क्यों चुप है? ज्ञात हो कि इस संगठन के प्रमुख नरसिहांनंद मुसलमानों और हिंदुओ की बीच युद्ध में पश्चिम उत्तर प्रदेश को आतंक की एक प्रयोगशाला बना रहे हैं. प्रदेश की सपा सरकार पर यह आरोप हैं कि वह सिर्फ इसलिए चुप है कि स्वामीजी उर्फ दीपक त्यागी कभी सपा के यूथ विंग के प्रमुख सदस्य रह चुके हैं.

मोहम्मद शुऐब ने कहा, ‘ठीक इसी प्रकार मुजफ्फरनगर साप्रदायिक हिंसा के दोषी संगीत सोम सपा से चुनाव तक लड़ चुके हैं. मुलायम सिंह यादव को कारसेवकों पर गोली चलवाने का अफ़सोस है. उन जैसे नेताओं को इस बात पर भी अफसोस होना चाहिए कि उन जैसे लोगों की छद्म धर्म निरपेक्षता के चलते हिंदुत्वादी संगठन कैसे छोटे-छोटे बच्चों को आतंकवादी बना रहे हैं और वह चुप हैं.’

एक्टिविस्ट राजीव यादव ने कहा है कि अकादमी जगत के लोगों पर हो रहे हमले यह साफ करते है कि संघ तार्किक विचारों से कितना डरता है. उन्होंने कहा कि ऐसे हमले देश के लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस करते हैं. मंच ने शोधार्थी अनिल यादव की सुरक्षा की गारंटी की मांग करते हुए इस पूरी घटना में संघ से जुड़े नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत अन्य लोगों पर कार्रवाई की मांग की है.