TwoCircles.net News Desk
नई दिल्ली : ग्रीनपीस के नासा उपग्रह डेटा विश्लेषण में यह तथ्य सामने आया है कि इस शताब्दी में पहली बार भारतीय को चीन के नागरिकों की तुलना में अधिक वायु प्रदूषण का दंश झेलना पड़ा.
चीन द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये साल-दर-साल अपनाये गए उपायों की वजह से वहां की आबो-हवा में सुधार हुआ है. जबकि भारत का प्रदूषण स्तर पिछले दशक में धीरे-धीरे बढ़कर अधिकतम स्तर पर पहुंच गया है.
स्पष्ट रहे कि ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ के अनुसार दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 शहर भारत में है. जबकि अपने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक रैंकिंग रिपोर्ट में ग्रीनपीस ने बताया था कि राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक वाले 17 शहरों में 15 शहरों का प्रदूषण स्तर भारतीय मानकों से कहीं ज्यादा है.
इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश भर के 32 स्टेशनों में 23 स्टेशन में राष्ट्रीय मानक से 70 प्रतिशत अधिक प्रदूषण स्तर दर्ज किया गया है, इससे स्पष्ट है कि आम लोगों का स्वास्थ्य ख़तरे में है.
भारत-चीन प्रदूषण पर बात करते हुए ग्रीनपीस पूर्व एशिया के वायु प्रदूषण विशेषज्ञ लॉरी मिलिविरटा कहते हैं कि –‘चीन एक उदाहरण है, जहां सरकार द्वारा मज़बूत नियम लागू करके लोगों के हित में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सका है. भारत सरकार को भी चीन में वायु प्रदूषण से होने वाले नुक़सान से बचने के लिए आवश्यक योजना बनाने की ज़रुरत है. यह देखते हुए कि प्रदूषण कण हजारों किलोमीटर का सफ़र तय करते हैं, सरकार को राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और शहर स्तर पर कार्य-योजना बनाने की ज़रुरत है और प्रदूषण को कम करने के लिये लक्ष्य तय करने की भी ज़रुरत है.’