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लखनऊ : दो दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के शामली में सांसद हुकुम सिंह ने चौंकाने वाला बयान दिया. उन्होंने यहां एक सूची जारी कर दावा किया कि कैराना से 346 हिंदू परिवारों ने गुंडागर्दी के बाद पलायन किया है.
लेकिन वहीं आज लखनऊ के सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने भाजपा सांसद हुकुम सिंह द्वारा कैराना के 21 हिंदुओं की हत्याओं और 241 हिंदू परिवारों के पलायन की सूची को फ़र्जी क़रार दिया है.
रिहाई मंच का कहना है कि यह भगवा गिरोह द्वारा फिर से पश्चिमी यूपी को सांप्रदायिकता की आग में झोकने की साज़िश है.
रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि मुज़फ़्फ़रनगर साम्प्रदायिक हिंसा के आरोपी हुकुम सिंह ने जिन 21 हिंदुओं की हत्याओं की सूची जारी की है, उनमें से एक भी सांप्रदायिक हिंसा या द्वेष के कारण नहीं मारे गए हैं और उनमें से कईयों की तो ढाई दशक पहले हत्याएं हुई थीं.
उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी द्वारा इस सूची की की गई तथ्यान्वेषण के आधार पर बताया कि इस सूची में दर्ज मदनलाल की हत्या 20 वर्ष पहले, सत्य प्रकाश जैन की 1991, जसवंत वर्मा की 20 साल पहले, श्रीचंद की 1991, सुबोध जैन की 2009, सुशील गर्ग की 2000, डा. संजय गर्ग की 1998 में हत्याएं हुई थीं. इन सभी हत्याओं में आरोपी भी हिंदू समाज से थे.
रिहाई मंच महासचिव ने कहा कि रिहाई मंच कार्यालय सचिव ने जब इस बाबत कैराना के सीओ भूषण वर्मा से बात की तो उन्होंने भी भाजपा सांसद द्वारा जारी सूची को फ़र्ज़ी करार दिया.
उन्होंने कहा कि थाना कैराना में पिछले डेढ़ साल में कोई भी सांप्रदायिक कारणों से हत्या नहीं हुई है और जो घटनाएं हुई भी हैं वो विशुद्ध आपराधिक प्रवृत्ति की रही हैं.
रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि पूरी दुनिया में भारत की बदनामी का कारण बने मुज़फ़्फ़रनगर सांप्रदायिक हिंसा के पीड़ित मुसलमानों की हज़ारों फ़रियादें मानवाधिकार आयोग के दफ्तर में धूल फांक रही हैं. जिसपर आज तक आयोग ने किसी को भी तलब नहीं किया. लेकिन हिंन्दुत्ववादी निज़ाम आते ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सांप्रदायिक हिंसा के आरोपियों द्वारा प्रस्तुत फ़र्ज़ी सूचियों पर संज्ञान लेने लगा है.
उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सचमुच अपनी भूमिका में होता तो हुकुम सिंह जैसे तत्व खुद जेल में होते जिनकी मुज़फ्फ़रनगर सांप्रदायिक हिंसा में स्पष्ट भूमिका साबित करने वाले तमाम मांग-पत्र मानवाधिकार आयोग के सामने पड़े हैं.
शाहनवाज़ आलम ने आरोप लगाया कि हुकुम सिंह जैसे तत्व आज सूबे को फिर से सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने के लिए इसलिए उतारू हैं कि अखिलेश यादव सरकार ने मुज़फ्फ़रनगर सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों के खिलाफ़ कार्रवाई नहीं की.
स्पष्ट रहे कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को कथित तौर पर अपराधियों के डर से कई हिन्दू परिवारों के पलायन के मामले में उत्तर प्रदेश के अखिलेश सरकार को नोटिस जारी राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) से इस शिकायत पर चार सप्ताह में जवाब देने को कहा है.