TwoCircles.net Staff Reporter
तक़रीबन एक साल पहले उत्तर प्रदेश के दादरी में गोमांस रखने के आरोप में घर से निकाल कर मार दिए गए मोहम्मद अख़लाक़ के परिवार पर अब गोहत्या का मामला चलेगा.
मीडिया में आए ख़बरों के मुताबिक़ यह फैसला आज ग्रेटर नोएडा कोर्ट ने सुनाया है.
स्पष्ट रहे कि अख़लाक़ के मौत के बाद उन्हीं के बिदिशा गांव के ही एक बुजुर्ग शख्स ने शिकायत की थी कि गांव में गो-हत्या हुई है और जो मांस मिला था वो फोरेंसिक जांच में साबित हो गया कि गोवंश का है. कोर्ट ने इसी मामले में सुनवाई करते हुए पुलिस से इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है.
कोर्ट ने परिवार के जिन लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने का आदेश दिया गया है, उनमें अख़लाक़ का भाई जान मोहम्मद,अख़लाक़ की मां असगरी, अख़लाक़ की पत्नी इकरामन, अख़लाक़ का बेटा दानिश खान, अखलाक की बेटी शाईस्ता और रिश्तेदार सोनी का नाम शामिल है.
बताते चलें कि इससे पूर्व मीडिया से बातचीत में खुद दादरी के डीएसपी अनुराग सिंह बता चुके कि अख़लाक़ के घर या फ़्रिज से गोश्त का कोई सैंपल कभी भी लिया ही नहीं गया था. डीएसपी अनुराग सिंह साफ़ तौर पर बता चुके हैं, ‘हमने अख़लाक़ के घर से 100 मीटर की दूरी पर, जहां अख़लाक़ को पीटा गया था, वहीं से गोश्त के सैंपल लिए थे.’
अख़लाक़ की हत्या एक संगीन अपराध है. इसका मांस के प्रकार से कोई ताल्लुक नहीं है. यह बात खुद अदालत भी कह चुकी है कि रिपोर्ट का अख़लाक़ के हत्या के केस से कोई ताल्लुक़ नहीं है. यहां ये बात भी साफ़ है कि उत्तर प्रदेश में गोहत्या ज़रूर अपराध है, लेकिन भैंस को मारा जा सकता है और उसका गोश्त खाने पर भी कोई पाबंदी नहीं है. भैंसों के कई बूचड़खाने लाइसेंस के साथ उत्तर प्रदेश में काम कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में गोमांस खाना या रखना अपराध की श्रेणी में नहीं आता है. लेकिन गाय की हत्या एक ग़ैर ज़मानती अपराध है जिसमें सात साल तक जेल की सज़ा दी जा सकती है.
यह भी स्पष्ट रहे है कि दादरी के पशु चिकित्सालय की 29 सितंबर की रिपोर्ट के मुताबिक़ ‘फ़िज़िकल एग्ज़ामिनेशन’ के बाद ये पाया गया कि बरामद किया गया गोश्त ‘बकरी या उसके वंश’ का है. लेकिन 3 अक्टूबर को मथुरा की फ़ोरेंसिक लैब में तकनीकी जांच के बाद इससे एकदम अलग नतीजा सामने आया और रिपोर्ट ने कहा कि गोश्त ‘गाय या उसके वंश’ का है.