सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
उना(गुजरात): गुजरात में दलितों की पिटाई के बाद से राज्य के राजनीतिक माहौल में जबरदस्त भूचाल आया है. पांच दिनों बाद देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना है. इसी सन्दर्भ में गुजरात में दलित स्वाभिमान यात्रा जारी है, जिसे आज़ादी कूच भी कहा जा रहा है. सोशल मीडिया पर चलो उना (#ChaloUna) का हैशटैग ट्रेंड कर रहा है. दलित समुदायों पर हो रहे अत्याचारों को एक संगठित आन्दोलन की शक्ल में बदल देने वाले जिग्नेश मेवाणी ने यह सुनिश्चित किया है कि वे इस दलित स्वाभिमान की यात्रा को देश के बाहर भी ले जाएंगे.
[साभार – हिन्दुस्तान टाइम्स]
मानवाधिकार कार्यकर्ता और लेखक हिमांशु पंड्या ने दो दिनों पहले गुजरात में जिग्नेश मेवाणी से अनौपचारिक बात की. बातचीत की शुरुआत में ही मेवाणी कहते हैं, ‘बीस हज़ार लोगों ने कहा कि हम अम्बेडकर की सौगंध खाते हैं कि हम मैला उठाने का काम अब कभी नहीं करेंगे. यह एक प्रोग्रेसिव विचार है. इस सोच को बढ़ाने के लिए हम इस यात्रा का आयोजन कर रहे हैं.’
वे कहते हैं, ‘यदि मेरी दो बहने होतीं तो एक को मैं वाल्मीकि समुदाय में ब्याहता और दूजी को मुस्लिम परिवार में.’
गुजरात सरकार के मॉडल पर उठाते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात के गांवों और कस्बों में अभी भी भेदभाव की घटनाएं हुई हैं. पिछले बारह साल में गुजरात में अकेले दलितों पर अत्याचार की चौदह हज़ार से घटनाएं हुई हैं. पचपन हज़ार से ज़्यादा दलित अभी भी मिला उठा रहे हैं. अभी भी एक लाख से ज़्यादा दलित न्यूनतम आय नहीं पा रहे हैं. इन सभी चीज़ों को वाइब्रेंट गुजरात के नारों ने दबा रखा है.
उन्होंने लोगों से आह्वान किया है कि वे आगामी पंद्रह अगस्त को देश के अलग-अलग हिस्सों में चलो उना मूवमेंट के समर्थन में एकता का प्रदर्शन करें.
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जिग्नेश मेवाणी से हिमांशु पंड्या की बातचीत