आस मोहमद कैफ, TwoCircles.net
कैराना(उत्तर प्रदेश): पंजाब की नाभा जेल से आतंकियों को भगाने का मास्टरमाइंड का शामली पुलिस के ज़रिए दबोचा जाना देशभर में सुर्खियां बटोर रहा है.
अद्भुत दिलेरी दिखाकर मजबूत कदकाठी के हरमिंदर उर्फ मिंटू को एक किलोमीटर से भी ज्यादा दौड़ लगाकर पकड़ने वाले सिपाही शहजाद अली और दीपांशु त्यागी यूपी पुलिस की शान बन गए हैं. उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया जवीद अहमद को जैसे ही यह जानकारी मिली, उन्होंने शामली पुलिस को शाबासी दी. अपने ट्विटर हैंडल से उन्होंने शामली पुलिस को उन्होंने सलाम किया और शाबास कहा.
नाभा जेल ब्रेकिंग के बाद सहारनपुर रेंज अलर्ट को अलर्ट किया गया था. हरियाणा और पंजाब की सीमा मिली होने के कारण इस बात की संभावना थी कि पंजाब से फरार आतंकी इधर से निकलकर दिल्ली जाने का रास्ता चुन सकते है. हुआ भी यही. यहां के पुलिस कप्तान अजय शर्मा ने जनपद पुलिस को अलर्ट किया था, साथ ही फॉर्च्यूनर गाड़ी का नम्बर बताया था. पानीपत के क़रीब होने के कारण कैराना को खासतौर से मुस्तैद रहने का आदेश था.
शामली बस अड्डे पर कैराना पुलिस अपने कोतवाल उमेश रोरिया के साथ फॉर्च्यूनर टोह रही थी. फॉर्च्यूनर आई और उसे रोकने की कोशिश भी की गयी. पुलिस ने बैरियर लगाया मगर गाड़ी नहीं रुकी. खुद को चारों ओर पुलिस से घिरता देख गाड़ी से उतरकर मोटा तगड़ा 7 फुट का एक आदमी गाड़ी छोड़कर पैदल भागने लगा. सिपाही शहजाद अली उसके पीछे सबसे पहले भागे. लगभग आधा किमी भागने के बाद शहजाद अली ने भारी-भरकम आतंकी को दबोच लिया मगर आतंकी अकेले शहजाद के कब्जे में नहीं आ रहा था. तभी एक दूसरे सिपाही दीपांशु त्यागी ने भी आतंकी के साथ जोर आजमाइश की. आतंकी उन दोनों सिपाहियों से भी तगड़ा था. उसने पिस्टल छीनने की भी कोशिश की मगर एक और तीसरे सिपाही रामपाल यादव के आने के बाद आतंकी की छटपटाहट रुक गयी.
फॉर्च्यूनर की तलाशी लेने पर अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा मिला. 10 मिनट मे मौके पर शामली पुलिस कप्तान अपनी पुलिस के साहस से गर्व से भर गए. तत्काल इसकी सूचना डीजीपी को दी गयी. आईजी जोन मेरठ अजय आनन्द ने दोनों सिपाहियों को पचास-पचास हजार रुपये इनाम देने की घोषणा की. कैराना में अचानक से शहजाद और दीपांशु नायक बन गए हैं. उत्तराखंड के लक्सर के शहजाद के परिवार में पहले कभी कोई पुलिस में नही रहा है. 2005 में शहजाद पुलिस में भर्ती हुए और अब उसके घर बधाईयों का तांता लगा है.
इसी तरह दीपांशु त्यागी बुलदंशहर के कस्बे स्याना के रहने वाले हैं और शहजाद के गहरा दोस्त हैं. उसके परिवार में भी कोई पुलिस में कभी नहीं रहा है मगर अब उम्मीद है कि कईयों का प्रेरणा मिलेगी.
मजेदार बात यह है जब शहजाद से यह पूछा गया कि आतंकी और आम बदमाश मे फ़र्क़ होता है, तुम्हें डर नहीं लगा तो उसने कहा, ‘नहीं सर, काम तो करना ही है, शायद यह दोनों नहीं जानते कि इन्होने आतंकियों को दबोचकर कितना बड़ा काम किया है?