आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
देवबंद/कांधला : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सबसे इज़्ज़तदार मज़हबी घरानों में से एक कांधला वाले ‘हजरत जी’ का खानदान है. मुज़फ्फरनगर दंगे के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इन्हीं के घर दुआ के लिए पहुंचे थे. मुफ्ती इफ्तेखारुल हसन उम्र का एक बड़ा पड़ाव पार कर चुके हैं. चल नही सकते, व्हीलचेयर पर रहते हैं. राजनीतिक गतिविधियों से पूरी तरह दूर हैं. जनता के बीच भी कम दिखाई देते हैं. मुस्लिम मामलों के बड़े जानकार हैं और दुनिया भर के लोग उनसे मशविरा लेते हैं.
उनकी एक और बड़ी पहचान है. वे तबलीग़-ए-जमात के संस्थापक कहे जाने वाले मौलाना इल्यास साहब के भाई हैं. इस तरह वे तबलीग़ के मौजूदा जिम्मेदार मौलाना साद के दादा हुए. मौलाना साद मुफ्ती इफ्ताखरुल हसन के भतीजे मौलाना यूसुफ के बेटे हैं. जब मौलाना साद के बयान पर आपत्ति हुई और दारुल उलूम ने उन्हें सख्त चिट्ठी लिखी तो मुफ्ती इफ्ताखरुल हसन साहब मामले की गम्भीरता को अपने अनुभव के दम पर समझ गए और उन्होंने दारुल उलूम और तबलीग़-ए-जमात के बीच सम्भावित गलतफहमी को ताड़ते हुए इस मामले का समाधान निकलने की ओर क़दम बढ़ा दिया.
पिछले कुछ समय से तबलीग़-ए-जमात का कारवां बहुत तेजी से विस्तार कर गया है. तबलीग़ के जिम्मेदार मौलाना साद के बयानों पर दारुल उलूम में सवाल-जवाब होने लगे, अब मौलाना साद के यह कहने पर कि ‘निजामुदीन मरकज़ मक्का मदीना के बाद सबसे पाकीज़ा जगह है’ पर दारुल उलूमी मौलाना नाराज हो गए. उन्होंने मौलाना साद से वजाहत मांगी. इनके बयान का मज़हबी स्रोत मांगा. बात बढ़ती गयी. मौलाना साद खत का जवाब खत से दे रहे थे और झुकने के लिए तैयार नहीं थे.
तबलीग़ और दारुल उलूम में कलमी संघर्ष बढ़ता देख बुजुर्ग मुफ्ती इफ्ताखरुल हसन कांधलवी सक्रिय हुए और मध्यस्थता की ओर अपने कदम बढ़ाए. पारिवारिक दादा और बड़े आलिम के सम्मान में मौलाना साद दारुल उलूम से माफी मांगने के लिए राज़ी हो गए. वे आज लिखित माफीनामा देने वाले थे और आज इस मामले का निबटारा होने की उम्मीद थी, मगर आज दारुल उलूम फिर सख्त रूप से नाराज हो गया और बनती बात फिर बिगड़ गयी. और इस बार इसकी वजह बने जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के छोटे भाई मौलाना असजद मदनी के दामाद और मौलाना साद के खानदानी भाई मौलाना अरशद.
अपने फेसबुक एकाउंट पर देवबंद दारुल उलूम पर उन्होंने इल्ज़ामों की झड़ी लगा दी. मौलाना अरशद ने लिखा कि दारुल उलूम के उस्तादों ने यह फतवा तबलीग़ के दुश्मनों से करोड़ों रुपए लेकर जारी किया है. उन्होंने यह भी लिखा कि पैसा लेकर दारुल उलूम में फतवे की भाषा बदल जाती है. यहां पैसे लेकर दाखिले होते हैं. उन्होंने कहा कि दारुल उलूम में करोड़ों की हेराफेरी होती है मगर किसी की मज़ाल नही है कि कोई सवाल करे. मौलाना अरशद के इन इल्जामों के बाद दारुल उलूम का पारा फिर गरम हो गया और मध्यस्थता के लिए होने वाली आज की बैठक रद्द कर दी गयी है. अब यह लड़ाई शांत होती नही दिख रही है.