कलीम सिद्दीक़ी
अहमदाबाद : ऊना दलित–मुस्लिम आन्दोलन की बरसी पर ‘राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच’ द्वारा निकाली गई ‘आज़ादी कूच’ यात्रा बनासकांठा के धनेरा में मंगलवार को समाप्त हो गया.
जिग्नेश मेवाणी की नेतृत्व में निकाली गई इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दलितों को कागज़ पर दी गई ज़मीनों का हक़ दिलाना तथा देश में हिन्दू–राष्ट्र और गौ–आतंक के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा को कड़ा संदेश देना था.
समापन भाषण में जिग्नेश मेवाणी ने गुजरात सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, खेती ज़मीन पर होती है न कि कागज़ पर, इसलिए सरकार द्वारा भूमिहीन दलितों को कागज़ पर आवंटित ज़मीन का वास्तविक कब्ज़ा दे. यदि सरकार राज्य भर के भूमिहीन दलितों को कागज़ पर आवंटित ज़मीन का कब्ज़ा नहीं देती है तो राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच राज्य भर में यात्रा निकालेगी. दलितों को जागरूक करेगी. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को भष्म करेगी. गाय तुम्हारी माता है तो गाय तुम रखो, हमें तो हमारी ज़मीन दो.
मेवाणी ने भाजपा की केन्द्र सरकार को चेताया कि दादरी से लेकर बल्लभगढ़ तक गाय के नाम पर हुई मुस्लिमों की हत्या को दलित समाज बर्दाश्त नहीं करेगा. अब हम इस देश में कौमवादी, जातिवादी, मनुवादी, हिन्दूवादी राजनीति को नहीं चलाएंगे, न ही इस प्रकार की घटिया राजनीति से देश के किसान, मज़दूर तथा अन्य शोषित समाज का ध्यान भी नहीं भटकने देंगे.
मेवाणी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि 2014 में आपके उस वादे का क्या हुआ, जिसमें आपने कहा था ति प्रति वर्ष दो करोड़ रोज़गार देंगे. मोदी जी! अब बहुत हुआ. गाय की दुम आप रख लो, हमें रोज़गार दे दो.
मेवाणी ने मोदी सरकार को अमीरों की सरकार बताया. उन्होंने कहा, मुकेश अम्बानी के घर का मासिक बिजली बिल 70 लाख का आता है, जबकि दूसरी तरफ़ ग़रीब मज़दूरों, किसानों और आदिवासियों के घरों में बिजली नहीं है. रहने को घर नहीं है. पेट भर खाना तक नहीं मिलता. ऐसी असमानता नहीं चलेगी.
मेवाणी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रशासन द्वारा दलितों को साबुन देकर नहाकर उनके सामने आने को कहे जाने की घटना पर कहा, हम लोग किसान मज़दूर हैं. मेहनत करते हैं. पसीना आता है, जो साफ़ हो जाएगा. आप का तो मन और चरित्र ही गंदा है. उसको कैसे साफ़ करोगे?
मेवाणी ने योगी की युवा वाहिनी के नेता द्वारा मुस्लिम महिलाओं के मृत–देह को को क़ब्र से निकालकर बलात्कार करने के बयान पर कहा, यही हिंदुत्व का संस्कार है और हम ऐसे हिंदुत्व को कभी भी भारत में लागू नहीं होने देंगे.
बताते चलें कि यह यात्रा मेहसाना से 12 जुलाई को निकाली गई थी. गुजरात पुलिस ने 27 जून को यात्रा की अनुमति देकर 8 जुलाई को अनुमति रद्द कर दी थी. 11 जुलाई को अहमदाबाद में सम्मलेन के बाद 12 जुलाई को बिना अनुमति यात्रा निकालने पर जिग्नेश मेवाणी, कन्हैया कुमार, रेशमा पटेल सहित दर्जनों लोगों के ख़िलाफ़ धारा—143 के तहत मुक़दमा दर्ज किया था. इन सबके बावजूद यात्रा रुकी नहीं और तयशुदा प्रोग्राम के अनुसार यात्रा धनेरा पहुंच कर ही समाप्त हुई.
इस यात्रा में यूपी, दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि राज्यों से बड़ी संख्या में दलित मुस्लिम जुड़े देशभर के कला मंचों के कलाकारों ने इंक़लाबी गीतों से यात्रियों में उत्साह भरा.