आस मोहम्मद कैफ | आगरा
दुनिया भर में मोहब्बत की निशानी के नाम से मशहूर आगरा का ताजमहल आजकल विवादों में हैं. कभी कुछ हिंदूवादी संगठनो द्वारा ताजमहल पर तेजोमहालय होने का दावा किया जाता हैं तो कभी उसके दक्षिणी छोर पर एक मंदिर के रास्ते पर गेट लगाने पर विवाद होता रहता हैं.
फिलहाल इस समय ताजमहल के अन्दर मौजूद मस्जिद में नमाज़ पढने को लेकर विवाद हो गया हैं. भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने ताज़महल के बराबर में बनाई गई मस्जिद की वुजू हौज में ताला डाल दिया है. अब वहां सिर्फ शुक्रवार को दोपहर में नमाज़ पढने की इजाज़त हैं. इसमें भी सिर्फ स्थानीय आगरा के रहने वाले मुसलमान ही नमाज़ पढ़ सकते हैं. अब एंट्री गेट पर आइडेंटिटी कार्ड देख कर दी जाती हैं. शुक्रवार को ताजमहल बंद रहता हैं और सिर्फ 12 से 2 बजे दिन में मुसलमानों को प्रवेश निशुल्क दिया जाता हैं.
बाकी दिन नमाज़ पढने पर पाबन्दी लगाने पर पुरातत्व विभाग ने नोटिस लगा दी हैं. कुछ मुसलमानों ने हालांकि बीते दिनों नमाज़ अदा करी वहां तो कुछ औरतें भी वहां पहुँच कर पूजा कर आई. इस घटनाक्रम से मामला फिर गरमा गया हैं.
जमीयत उलेमा ए हिन्द प्रतिनिधिमंडल ने आगरा के जिलाधिकारी से मिलकर अपनी मांग रखी हैं. है. जमीयत के नायाब सदर मौलाना उजैर(50) कहते है “हम हर हद तक संघर्ष करेंगे,लड़ाई सड़को तक भी आएगी, धरना देंगे प्रदर्शन करेंगे,नमाज़ पढ़ने से रोकना मज़हब पर हमला है,सवैंधानिक व्वयस्था पर प्रश्नचिन्ह है,क्या किसी हिन्दू भाई मंदिर में पूजा से रोका जा सकता है! यहाँ सैकड़ो सालो से नमाज पढ़ी जा रही है,बादशाह शाहजहाँ ने ताजमहल परिसर में मस्जिद का निर्माण नमाज़ के लिए कराया था,यहाँ बाकायदा इमाम नियुक्त हुआ,एएसआई इमाम को 15 रुपये महीना पगार देती है!यह अदालत का फैसला नही है अदालत ने सिर्फ इतना कहा कि जुम्मे के दिन बाहरी आदमी यहाँ नमाज़ न पढ़े और कोई नई परंपरा न शुरू की जाएं,यहाँ लगभग 400 साल से नमाज पढ़ी जा रही हैं,यह नई परम्परा नही है”
ताज़महल से सटे मुस्लिम आबादी के सबसे मौहल्ले ताजगंज के लोग बुरी तरह नाराज़ है यह ताजमहल के 500 मीटर के दायरे आते हैं,यही लोग ताज़महल की मस्जिद में नमाज़ पढ़ने आते है,इनमे ज्यादातर व्यापारी है और यहाँ दुकान चलाते हैं,यहाँ के स्थानीय निवासी आसिफ खान(39) कहते है कि”पिछले कुछ समय से आगरा को सुलगाने की कोशिश हो रही है,ताजमहल जिसमें निशाने पर है,कभी इसे तेजोमहालय बताया जाता है कभी यहाँ कुछ भगवाधारी पूजा करने पहुंच जाते हैं,भाजपा और संघ के नेता ताजमहल पर आपत्तिजनक बात कहते रहते है,ऐसा लगता है कि राम मंदिर की तर्ज पर वो ताज़महल को टारगेट कर रहे हैं”
आसिफ खान बताते है कि मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के ज़माने से यहाँ नमाज पढ़ी जा रही है किसी को कोई आपत्ति नही थी मगर पिछले 2 सालों से यहाँ लगातार कुछ न कुछ बुरा हो रहा है,सुरक्षा के नाम पर खासतौर पर मुसलमानो के साथ ज्यादती हो रही है जिसमे सबसे कष्टदायक फैसला ताज़महल का दक्षिण छोर वाला दरवाजा बंद किया जाना है,इससे सैकड़ो मुसलमानों का रोजगार छिन गया है,उनकी दुकानों को मिलने वाले सैलानी ग्राहक अब उधर नही जाते,दो महीने पहले एक अख़बार में खबर छपी की उस छोर से संदिग्ध आ सकते हैं,इसके बाद सुरक्षा कारणों का हवाला देकर उस दरवाज़े को बंद कर दिया गया(ताज़महल प्रवेश के तीन द्वार है जिनमे से एक दक्षिण द्वार को बंद कर दिया गया है).
आगरा के मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता शमी आघाई(47) कहते है “हुकूमत थर्मामीटर लगाकर देख रही है कि तापमान कितना है,ताजगंज में खुलने वाला दरवाजा बंद करवाकर जब विरोध नही हुआ तो मस्जिद में नमाज़ बंद करा दी गई. अगर इसके बाद भी मुसलमानो का ज़मीर नही जागा तो अगला क़दम ताजमहल में पूजा भी हो सकता है!
हालाँकि एक बार ताजमहल में पूजा का भी प्रयास हो चूका है भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा है कि मुसलमानो को नमाज़ पढ़ने के लिए किसी और मस्जिद को तलाशना चाहिए ताज़महल पर्यटकों के दर्शन के लिए है.
ताजमहल के दाहिने तरफ यह मस्जिद है जिसके इमाम मौलाना सादिक को 2001 में इमामत सौंपी गई,इससे पहले उनके पिता ने यहाँ 50 साल से भी ज्यादा इमामत की,पुश्तेनी इमामत की इस तरतीब को भारतीय पुरातत्व विभाग ने भी मान्यता दी और वो 15रुपए महीना की तनख्वाह भी देते हैं, मौलाना सादिक ने बताया कि बात 15 रुपए की नही है बल्कि इस तथ्य की है हमें नमाज़ पढ़ाने की तनख्वाह मिल रही है.
एएसआई के अधिकारियो का कहना है कि उन्होंने जुम्मे की साप्ताहिक होने वाली नमाज़ पर रोक नही लगाई है,यहां ईद और बकरीद की नमाज़ भी पहले की तरह होती रहेगी,ऐसा सुरक्षा की दृष्टि से किया गया है,शमी आघाई के मुताबिक नमाज़ इस्लाम में पांच वक़्त पढ़ी जाती है उसके लिए एक वक़्त तय होता है,यह सविंधान द्वारा हमे प्रदान किया गया मौलिक अधिकार है.एएसआई ने 500 मीटर दायरा में रहने वाले स्थानीय नागरिकों को विशेष पास जारी किए हुए जो यहाँ नमाज़ पढ़ने आ सकते है जाहिर है इस पहचान के अतिरिक्त किसी बाहरी के आने का तो सवाल ही नही है.
अब एएसआई के अफसर अब जवाब देने से कतरा रहे है,वसंत स्वर्णकार अब कह रहे हैं कि वुजू हौज में ताला इसलिए डाला जिससे किसी सैलानी का बच्चा उसमे न गिर जाये.
इब्राहिम जैदी के अनुसार ऐसा आज तक कभी नही हुआ फिर आज ही यह डर क्यों ?
एडवोकेट नासिर वारसी बताते है कि अब भाजपा के आगरा उत्तर विधानसभा के विधायक जगन प्रसाद गर्ग ने आगरा का नाम बदलकर अग्रवन करने की मांग की है