आस मोहम्मद कैफ TwoCircles.net
जयपुर: राजस्थान विधानसभा के चुनाव में मुसलमानों को पूरी तरह हाशिये पर पहुंचा दिया गया है,हद यह है कि उनके मुद्दों को सभाओं में उठाया नही जा रहा है मंचो पर मुसलमान नेताओं को तरजीह नही दी रही है,200 विधानसभा सीट वाले राजस्थान में मुसलमानों की आबादी लगभग 10% से ज्यादा है,इसे संख्यात्मक रूप से 62 लाख कह सकते है.
यही नही बसपा,आम आदमी पार्टी रालोद और समाजवादी पार्टी तक के नेता देशभर में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ अत्याचार का कोई जिक्र नही कर रहे हैं,यह वही राजस्थान है जहां के अलवर में गाय के नाम पर कई लोगो की भीड़ ने हत्या की है और राजसमंद में एक गरीब मजदूर अफराजुल की दर्दनाक तरीके से क़त्ल किया गया है.
जीत का फार्मूला जातियों का गणित और हिंदुत्ववादी एजेंडा है,हिंदुत्व के एजेंडे की झलक कांग्रेस के घोषणापत्र में भी साफ दिखाई देती है,गुरुवार को जयपुर के इंदिरा भवन स्थिति कांग्रेस के दफ्तर से सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे जारी किया,घोषणापत्र में गाय गोचर, विप्र, वैदिक संस्कार और संस्कृत शिक्षा के उत्थान की बात कही गई है गोशालाओं के अनुदान में बढ़ोतरी और निराश्रित गायो की समस्या हल करने का वादा किया गया है.2013 में कांग्रेस के घोषणा पत्र में उर्दू को बढ़ावा देने की बात कही गई थी जिसके इस बार जिक्र नही है.इससे पहले भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में वैदिक संस्कार बोर्ड गठन करने का वादा किया था.मुसलमानो को यह बात बहुत अधिक तक़लीफ़ दे रही है,जयपुर के फरीद हसन कहते है कांग्रेस और भाजपा में खुद को बड़ा हिन्दू साबित करने की होड़ लगी है अगर मुसलमानों ने निराश होकर निर्दलीय या कम रुचि लेकर मतदान किया तो सत्ता विरोधी लहर सारा लाभ धरा रह जाएगा.
राजस्थान की राजधानी जयपुर है मगर केंद्र में पुष्कर है ,अज़मेर जिले के तीर्थनगरी कहे जाने पुष्कर में ब्रह्मा का एकमात्र मन्दिर है यहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूजा की और अपना गोत्र कोल ब्राह्मण दत्तात्रेय बताया यहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान को दलित बताया.
पुष्कर से कुछ ही दूरी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी सभा की,अज़मेर के नवाज़ अहमद के मुताबिक पिछले कुछ समय से मंदिरों मठो और तीर्थस्थलों से चुनाव में आर्शीवाद प्राप्त करने का चलन चल रहा है यह भी हिंदुत्व का ही एजेंडा है,हालांकि राहुल गांधी हज़रत गरीब नवाज़ की दरगाह पर चादर चढ़ाने भी पहुंचे.
कांग्रेस ने इस बार 15 मुस्लिमों को टिकट दिया है.
इसके उलट राजस्थान में सत्ता की धुरी दलितों और आदिवासियों के इर्द गिर्द घूम रही है,इनके प्रभाव का आलम यह है 59 रिजर्व सीटों के अलावा कई सामान्य सीटों से भी दलित समाज के प्रत्याशी लड़ रहे है इनमे जैसलमेर की मारवाड़ सीट से रामलाल मेघवाल चुनाव लड़ रहे हैं,इसके अलावा बस्सी विधानसभा से दलित अंजू देवी धानका अभी भी विधायक है और जीत की दावेदार है.
कांग्रेस के महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश सचिव रेणु मेघवंशी कहती है कि दलितों ने बेहद संघर्ष करके यह मुक़ाम हासिल किया कि लगभग हर दल में उन्हें अपना साबित करने की होड़ लग रही है,लगभग हर विधानसभा में 60 विधायक एससी/एसटी से जरूर होते है.एससी एसटी को मिलाकर यहां लगभग 22 फीसद आबादी है.
राजस्थान में 25 सीटों को मुस्लिम बहुल कहा जाता है,इनमे जैसलमेर,सूरसागर, लाडपुरा, डीडवाना, टोंक और झालरा पाटन शामिल है,झालरापाटन से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे चुनाव लड़ रही है कांग्रेस ने उनके सामने पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेन्द्र सिंह को टिकट दिया है चूंकि यह सीट मुस्लिम बहुल है तो बसपा ने यहां ग्यास अली खान को प्रत्याशी बना दिया है.
2013 में इन 25 सीटों में से 21 पर भाजपा ने जीत हासिल की थी,जयपुर के सिराज मिर्ज़ा(37)कहते हैं” राजनीतिक पार्टियों ने यह अच्छी तरह समझ लिया है कि वो जाएंगे कहाँ!बदकिस्मती से वो तेज़ी से दोयम दर्जे के नागरिक बनाये जा रहे है!मुसलमानों के बच्चे बेरोजगार है उनकी गालियां गंदी है और उनमें गहरी निराशा आ चुकी है,दलितों की हालत उनसे बहुत बेहतर है वो किंगमेकर बन चुके है जबकि मुसलमान अछूत!इस चुनाव में सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस जीत तो जाएगी मगर मुसलमानो की झोली फिर भी खाली रहेगी!