हिंदू-मुस्लिम सब्जेक्ट पर आधारित इस फ़िल्म की कहानी हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म हिंदू – मुसलिम रिश्तों के बारीक रंग और सामाजिक ताने-बाने की कहानी है.
नक्काश’ की कहानी बनारस में रहने वाले एक ऐसे मुस्लिम कारीगर की कहानी है, बनारस में रहने वाले एक मुस्लिम कारीगर अल्लाह रक्खा जो मंदिरों के गर्भगृह बनाने का काम करता है. दरअसल बनारस में चल रही राजनीतिक हलचलों से अल्लाह रखा मंदिर में खुलेआम न जाकर चुपके से जाता है ताकि किसी को पता न चल सके कि वो मुसलमान होकर मंदिर में काम करता है. अल्लाह रक्खा के काम को भगवान दास वेदांती का संरक्षण प्राप्त है जो मंदिरों के ट्रस्टी है और मशहूर शख्सियत है. बदलते मजहबी हालात और राजनीति उसकी जिंदगी पर कितना असर डालती है.यही इस फिल्म में दिखाया गया है.
हिंदू-मुस्लिम सब्जेट पर बेस्डम इस फ़िल्म के र्निदेशक पूर्व पत्रकार जैगम इमाम हैं. जैगम का दावा है कि हिंदू मुस्लिम रिश्तों के बारीक रंग और सोशल तानेबाने की ऐसी कहानी दर्शकों ने अभी तक नहीं देखी होगी.
दरअसल जैगम इमाम ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत ‘दोजख : इन सर्च आफ हेवेन’ नाम की फिल्म से की थी जो कि उनके खुद के उपन्यास दोजख पर आधारित थी. दोजख को दुनिया भर के फिल्म फेस्टिवल्स में सराहना मिली. इसके बाद उन्होंने मुस्लिम मदरसा कल्चर पर फिल्म बनाई ‘अलिफ’ अभी भी भारत के कई मदरसों और यूनिवर्सिटीज में दिखाई जाने वाली लोकप्रिय फिल्म है. सोशल इश्यूज़ पर डायरेक्टर जैगम इमाम की ये तीसरी फिल्म है.
देश की सियासी हलचलों को समेटे हुए ये फिल्म आज के सामाजिक संदर्भों की कहानी कहती है. इतना बोल्ड सब्जेक्ट चुनने के पीछे जैगम की मंशा क्या रही इस सवाल के जवाब पर उनका कहना है कि सिनेमा के जरिए समाज को बखूखी संबोधित किया जा सकता है. साहसी सिनेमा आज की जरूरत है जिसके जरिए उन मुद्दो पर बात हो सकती है जिस पर कोई भी खुलकर बात नहीं करना चाहता.
‘नक्काश’ में कुमुद मिश्रा के लुक को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी जोड़ा गया है जिसपर जैगम का कहना है कि इस मुद्दे का जवाब फिल्म देखकर ही मिलेगा.
यह फिल्म 31 मई को देश भर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी.