इसरार अहमद, twocircles.net
दिल्ली। क़रीब 50 लोगों की मौत के बाद पूर्वी दिल्ली के इलाक़ों में हिंसा थम गई है। इन तीन दिनों में कई इलाक़े को वीरान हो गए। कई घर उजाड़ गए। कई हिंसा थमने के बाद अब दर्दनाक कहानियां सामने आ रहीं हैं। मरने वालों में तीस साल की उम्र के नौजवान ज़्यादा हैं। ज़्यादातर अपने घर के अकेले कमाने वाले थे, शादीशुदा थे और छोटे-छोटे बच्चों के पिता भी। कई मांओं ने अपने लाल खो दिए। कई बच्चे यतीम हो गए। किसी ने बीवी को खो दिया तो कोई बेटी गवां बैठा। कई औरतें बेवा हो गईं। इनमें एक 11 दिन की दुलहन भी है। मौत से 11 दिन पहले ही दुल्हा बना अशफ़ाक़ अपनी दुल्हन को रोता बिलखता छोड़ गया।
मुस्तफ़ाबाद में रहने वाले अशफ़ाक़ हुसैन का निकाह इसी महीने 14 फरवरी को हुआ था। उसकी दुल्हन के हाथों की मेंहदी का रंग भी नहीं छूटा था कि अशफ़ाक़ दंगइयों की गोलियों का शिकार हो कर अपनी जान गवां बैठा। अशफ़ाक़ की मौत की कहानी दिल दहला देने वाली है। रिश्तेदारों का दावा है कि अशफ़ाक़ के सीने में पाँच गोली मारी गईं। साथ ही उसकी गर्दन पर ततलवार से भी वार किया गया। अशफ़ाक़ की बेवा का रो-रो कर बुरा हाल है। उसक हालत किसी से देखी नहीं जा रही। जवान मौत के बाद से ही घर में मातम छाया हुआ है। कोई यक़ीन ही नहीं कर पा रहा कि हमेशा हंसते मुस्कुराते रहने वाला अशफ़ाक़ अब इस दुनिया में नहीं रहा।
अशफ़ाक़ की रिश्तेदार हाजरा बताती हैं कि वो सामने खड़ा था और दंगाइयों ने उसके सीने में गोलियां उतार दीं। हाजरा कहती हैं, “उन लोगों ने पाँच गोलियां मारीं मेरे बेटे के सीने में। उसने किसी का क्या बिगाड़ा था जो उसे इस तरह मार डाला। उसके जाने के बाद अब हमारे लिए सिर्फ़ मुसीबतें ही हैं। हम अपने बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा करते हैं और वो आकर ज़रा सी देर में हमारे बच्चों को मार डालते हैं। क्या उन्हें रहम नहीं आता।” अशफ़ाक़ के जाने के बाद उसकी बेवा को लेकर सब फिक्रमंद है। हाजरा रोते हुए कहती हैं, “आप ही बताइए उसकी 11 दिन की बीवी क्या करेगी अब….? कहां जाएगी वो…? कैसे जिएगी अब वो…?”
अशफ़ाक़ के रिश्तेदारों के मुताबित अशफ़ाक़ रोज़मर्रा की तरकह उस दिन भी काम पर गया था। वापस लौटते वक़्त ये हादसा हो गया। वो घर लरके बजाय सीधा अस्पताल पहुंच गया। किस को क्या पता था कि अब वो कभी घर नहीं लौटेगा। अशफ़ाक़ की मौत से जैसे परिवार पर क़हर टूट पड़ा है। महज़ 22 साल की उम्र में अशफ़ाक़ इसस दुनिया से विदा हो गयाष वो भी बग़ैर को कोई बहार देखे। मौत भी ऐसी जिसकी कहानी सुन कर रूहं कांप जाती है। दंगाईयों ने नाम पूछा, जवाब मिला- अशफ़ाक़, फिर उसके सीने में ताबड़तोड़ गोलियां दाग दी गईं।’
अस्पताल में अपने भाई का शव लेने पहुंचे मुदस्सिर ने जो कहानी सुनाई है वो दहला देने वाली है। मुदस्सिर ने बताया, “22 फरवरी की उनके भाई अशफाक अपने दोस्तों के साथ कार्यालय से लौट रहे थे। बृजपुरी पुलिया पर पहुंचते ही अशफाक और उनके दोस्तों को हथियार से लैस भीड़ ने चारों तरफ से घेर लिया। किसी तरह अशफ़ाक़ के दोस्त इस भीड़ से खुद को बचाकर भाग गए। भीड़ ने इसके बाद उसका नाम पूछा। जवाब मिला- अशफ़ाक़। इसके बाद भीड़ में शामिल किसी शख्स ने अशफ़ाक़ के सीने में 5 गोलियां दाग दी। इतना ही नहीं उनके सीने पर धारदार हथियार से कई हमले भी किये गये।”
मुदस्सिर के मुताबिक़ उस वक्त अशफ़ाक़ के दोस्तों ने यह भयानक मंज़र कुछ ही दूर से देखा था। लेकिन वो चाह कर भी कुछ ना कर सके। सड़क पर निढाल पड़े अशफ़ाक़ को उनके दोस्तों ने ही फौरन जीटीबी अस्पताल ले जाने की कोशिश की। लेकिन यहां भी अशफ़ाक़ की किस्मत उसे दग़ा दे गई। रास्ता बंद होने और बहुत ज़्यादा भीड़भाड़ होने की वजह से उन्हें जीटीबी अस्पताल नहीं ले जाया जा सका। आनन-फानन में उन्हें पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में 2 घंटे तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद अशफ़ाक़ यह लड़ाई हार गया।
अशफ़ाक़ की मौत के बाद से ही उसकी बेवा सदमे में है। उसकी तो मानो दुनिया ही उजड़ गई है। पूरा परिवार मातम मना रहा है। लेकिन भाई अपने कुछ दोस्तों और रिशतेदारों की मदद से अशफ़ाक़ को इंसाफ दिलाने की की लड़ाई लड़ने के लिए भी कमर कस रहा है। इस मामले में अशफ़ाक़ के परिवार वाले सीसीटीवी के ज़रिए अशफ़ाक़ के क़ातिल दंगाइयों की पहचान करके उन्हें जेल की सलाख़ों के पीछे भेजने की मांग कर रहे है। हलांकि दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं है। लेकिन संघर्ष के सिवा कोई और चारा भी नहीं है।