विश्व भर की विकराल समस्या बन चुका कोरोना वायरस से जान जोखिम में डालकर लड़ने वाले कोरोना फाइटर्स में सफ़ाई कर्मचारियों की बेहद अहम भूमिका है। कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच डॉक्टर्स, पुलिसकर्मियों, राशन डिलीवरी से जुड़े लोग, मीडिया और सफ़ाई कर्मचारियों की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है। एक ऐसे समय में जब पूरा देश लोकडाउन मेंं है तो जमीन पर अपने घर से बाहर संघर्ष करते हुए इन सभी पेशेवर लोगो को देखा जा सकता है। सरकार ने इन्हें कोरोना फाइटर्स का नाम दिया है।
इनमे आर्थिक रूप से सबसे कमजोर वर्ग सफाई कर्मचारियों को लेकर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से इनकी विशेष मदद करने की अपील की है।उत्तर प्रदेश के सामाजिक कार्यकर्ता पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी ने सवाल उठाया है सफाई कर्मचारियों को भी अन्य कोरोना फाइटर्स के समानता अनुसार 50 लाख की बीमा राशि का अधिकार दिया जाना चाहिए।
इस दौरान सबसे ख़ास बात यह है सफाई कर्मचारियों का काम दोगुना हो गया है। लोगो के घरों में रहने के कारण कूड़ा ज्यादा निकल रहा है।सभी सफाई कर्मचारियों को मास्क, सेनिटाइजर, और दस्ताने भी नही मिले हैंं।
बता दें कि सरकार ने कोरोना फाइटर्स के लिए 50 लाख रुपये की बीमा धनराशि निर्धारित कर दी है।यह डॉक्टर्स, नर्स, मेडिकल स्टाफ़ और पुलिस कर्मियों के लिए है। एसआर दारापुरी कह रहे हैं कि इस सूची में सभी कोरोना फाइटर्स को शामिल किया जाना चाहिए। इनमें सफाई कर्मचारी सबसे महत्वपूर्ण है।
उत्तर प्रदेश के मीरापुर कस्बे के सफाई नायक सन्नी के अनुसार यह एक बेहद ज़रूरी मांग है। सफाई कर्मचारियों ने किसी तरह की कोई ढील अपने काम मेंं नहींं की है। वो पूरी मेहनत से जुटे हैंं। हमें समाज के निचले पायदान पर जरूर समझा जाता है मगर हमारे होने से ही उनकी गदंगी दूर होती है। हम पूरे साल देश के लिए सँघर्ष करते हैं। आज ज्यादा ज़रूरत है तो और अधिक मेहनत कर रहे हैं।
सन्नी बताते हैं कि शुक्रवार को जब वो अपने कर्मचारियों के साथ कुछ गली से गुजरे तो उनपर फूल माला डालकर स्वागत किया गया। यह सब उन्हें बहुत अच्छा लगा। मगर सरकार को हमारे वेतन का भी ख्याल रखना चाहिए और हमें स्थाई कर देना चाहिए।
बीएड कर चुके सफाई कर्मचारी के तौर पर सेवा प्रदान कर रहे अमित कुमार कहते हैं, ‘कोरोना की गंभीरता तो सब जान चुके हैं हमारे पास डॉक्टर्स जैसे संशाधन नही है मगर ख़तरे से तो हम भी जूझ रहे हैं।’
ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे बड़ा योद्धा ही सफाई कर्मचारियों को बताया है। अकेले उत्तर प्रदेश में अब तक दवाई छिड़काव से जुड़े 3 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। इनकी सहायता के लिए एसआर दारापुरी ने पीएम को पत्र लिखा है।
सफाई कर्मचारियों के लिए इस समय स्वच्छता सेनानी शब्द की खोज की है। वाल्मीकि समाज के नेता मनोज सौदाई का कहना है कि अच्छे शब्दो के साथ इनका अच्छी तरह ख्याल भी रखा जाना चाहिए। ये सभी स्वच्छता सेनानी निम्न मध्यवर्ग से आते हैं
हालांकि सबसे बड़ी समस्या यह है उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित कई राज्यो में वर्षों से ये सफाई कर्मचारी विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं। हद यह है कई जगह इन्हें महीनों से वेतन भी नही मिला है।
यहां पलवल की नगरपालिका का जिक्र किया जाना आवश्यक है। वहां न्यूनतम वेतन न मिलने पर सफाई कर्मचारी धरने पर बैठ गए थे। मगर कोरोना के दौरान अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए वो काम पर लौट आएं। हरियाणा सरकार के मुताबिक़ अब इनका वेतन दोगुना किया गया।
उत्तर प्रदेश में अनुबंध वाले सफाई कर्मचारी भी भूखे पेट कोरोना से लड़ रहे हैं। बीना (55) कहती है, ‘बेटा सिर्फ बातों पेट नही भरता।’ यह समस्या किसी एक जगह की नही है। देशभर में लाखों सफाई कर्मचारी विभिन्न तरह की समस्या से दो चार है। ऐसे में उनपर बरसाए जा रहे अच्छे तो लगते हैंं मगर उन्हें रोटी और दूसरी पारिवारिक ज़रूरत इससे भी ज्यादा प्यारी है।