न्यूज डेस्क। Twocircles.net
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में साम्प्रदायिक सद्भाव की शानदार मिसाल देखने को मिली है। विदिशा जिले के एक गांव में हिंदू किसानों ने सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करते हुए मुस्लिम किसानों की खड़ी फसलों को भीषण आग से बचाया। हिंदू किसानों की सद्भाव की ताकत ने आग को आगे बढ़ने से रोक दिया, जिसके चलते आसपास के लगभग 300 बीघा खेतों में खड़ी गेहूं की फसल जलने से बच गई।
विदिशा जिले के शेरपुर गांव मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र हैं जहां लगभग 90 फीसदी आबादी मुस्लिम समाज के लोगों की हैं, शेरपुर से सटा हुआ गांव सतपाड़ा हैं जो हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र हैं। जानकारी के अनुसार शुक्रवार को शेरपुर गांव के अधिकांश किसान जुमे की नमाज़ के लिए गांव की मस्जिद में मौजूद थे,इसी दौरान शेरपुर से करीब दो किलोमीटर दूर किसान नफीस खान के 10 बीघा खेत में गेहूं की खड़ी फसल में सिंचाई आग लग गई। तेज़ हवा के चलते आग की लपटें उठने लगीं और धुंए के गुबार बनने लगे। तेज़ हवा ने आग को और तेज किया। देखते ही देखते आग कादिर खान के खेत तक जा पहुंची जहां करीब 15 बीघा खेत में गेहूं की फसल खड़ी थी।
आग के धुंए का गुबार उठता देख सतपाड़ा गांव के लोगों को खेत में आग का अंदेशा हुआ। बिना कुछ सोच-विचार के, सतपाड़ा के हिन्दू समाज के लोग अपने अपने ट्रैक्टर से खेतों ही ओर दौड़ पड़े और आग को काबू में करने की कोशिश करने लगें। लोगों ने पेड़ों की टहनियों और ट्रैक्टर की मदद से आग को बुझाया। लोगों ने हर तरह के प्रयास के बाद आग पर काबू पाया। तेज हवा के बीच आग की लपटें लोगों को झुलसा रही थीं इसके बावजूद लोग आग बुझाने के लिए तत्पर रहें।
आग लगने की सूचना मस्जिद तक पहुंचते ही मुस्लिम समाज के लोग भी खेत पहुंच गए, लेकिन तब तक सतपाड़ा गांव के लोगों द्वारा आग पर काबू पा लिया गया था। आग में नफीस के 10 बीघा के अलावा कादिर की भी 15 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख हो गई। अगर समय रहते हिंदू समाज के लोग आग को नहीं बुझाते तो आसपास के खेतों की फसल भी जल कर राख हो जाती।
अपनी जान जोखिम में डालकर आग बुझाने में मदद करने वाले सातपाड़ा के किसान राहुल केवट का कहना हैं कि आग बुझाते समय किसी के दिमाग में यह नहीं था कि वे किसी मुस्लिम किसान की फसल बचा रहे हैं। राहुल केवट का कहना हैं कि मेहनत की फसल की कोई धर्म और जाति नहीं होती है। शेरपुर के मुस्लिम किसानों के अनुसार यदि हिंदू भाई खेतों की आग बुझाने आगे नहीं आते तो उनकी सालभर की मेहनत बर्बाद हो जाती।
सतपाड़ा के सरपंच रईस अहमद का कहना हैं कि कभी सतपाड़ा और शेरपुर के बीच हिंदू और मुस्लिम को लेकर तनाव ही नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि यहां हिंदू और मुस्लिम हमेशा से मिलजुलकर रहते आए और एक दूसरे की हमेशा मदद करते आए हैं। रईस अहमद ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सतपाड़ा गांव इससे पहले भी कई बार सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल पेश कर चुका है। सरपंच रईस अहमद ने कहा कि वो गांव में एक सार्वजनिक कार्यक्रम रखकर आग बुझा कर एकता और सद्भाव की मिसाल पेश करने वाले सतपाड़ा गांव के किसानो को सम्मानित करेंगे।