पूनम मसीह/ TwoCircles.net
गुरुग्राम- दिल्ली से सटे गुरुग्राम का जैसे-जैसे औद्योगिक विकास हुआ यहां की बसावट में भी कई तरह के बदलाव आए। राजधानी से सटे होने के कारण यहां कई विदेशी कंपनियों ने निवेश किया और कई तरह के रोजगार का सृजन हुआ।
जिसका नतीजा यह हुआ कि देश के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी कंपनियों में काम करने वालों से लेकर मजदूरों तक का पलायन शहर में होने लगा। देखते ही देखते गुरुग्राम एक साइबर हब बन गया। जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों से विभिन्न जाति धर्म के लोग अपने सुनहरे भविष्य के लिए आकर बस गए।
इसी क्रम में मुस्लिम समुदाय के लोग भी आए। आज पूरे गुरुग्राम में लगभग पांच लाख समुदाय के लोग रहते हैं। जिनकी धार्मिक आस्था के लिए मस्जिदों की भी मांग उठी, कई कारणों से नई मस्जिद नहीं बन पाई। जिसके कारण लोगों ने खुले में ही एकत्रित होकर शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़नी शुरु कर दी। जिसे जो जगह सामने लगती वह अपनी सुविधा के अनुसार वहां चला जाता है।
यह मामला लंबे समय तक चला। साल 2014 में हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनी। इसके बाद से ही गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने का विरोध शुरु हो गया। हिंदुवादी संगठनों द्वारा नमाज को बंद करवाने का आह्वान किया गया। जिसमें सेक्टरों में रहने वाले आम लोग भी शामिल हो गए।
स्थिति यह हो गई कि साल 2018 में प्रशासन द्वारा मौखिक तौर पर 37 जगहों को नमाज को निर्धारित किया गया।
कई सालों से खुले में नमाज पढ़ी जा रही
इस मामले में “मुस्लिम राष्ट्रीय मंच” (एमआरएम) के राष्ट्रीय संयोजक खुर्शीद रजाका का कहना है कि ‘गुरुग्राम में लंबे समय से लोग खुली जगह में नमाज पढ़ते आ रहे हैं। शहर का औद्योगिक विकास होने से पहले भी ऐसा होता था, लेकिन कभी कोई हंगामा नहीं हुआ था’।
वहीं ‘जमीयत उलेमा हिंद’ के अध्यक्ष मुफ्ती सलीम का कहना है कि ‘गुरुग्राम में पांच लाख से अधिक मुस्लिम हैं। जिसके लिए पूरे जिले में सिर्फ पांच ही मस्जिद हैं। जो लोगों लिए पूरी नहीं है’।
वह कहते हैं नौकरी पेशा होने के कारण लोग यहां आएं, लेकिन इबादत के लिए जगह न होने के कारण कुछ जगहों पर खुले में नमाज शुरु हुई और यह लंबे समय से चली आ रही थी। लेकिन हिंदूवादी संगठनों द्वारा विरोध किए जाने के बाद यह भी बंद हो गई।
जबकि साल 2018 से पहले 116 जगहों में खुले में नमाज पढ़ी जाती थी।
नमाज के लिए किया गया परेशान
नमाज पढ़ने की यह प्रक्रिया लंबे समय तक चलती रही। गुरुग्राम की एकलौती बरेलवी पंथ की नमाज सेक्टर 29 में साल 2013 से खुले में अदा की जा रही है।
बरेली पंथ के गुरुग्राम के अध्यक्ष तौकीर अहमद ने Twocircle.Net को बताया कि ‘25 अक्टूबर 2013 को सेक्टर 29 में हमारी नमाज शुरु हुई थी। जिसमें अब करीब पांच हजार लोग हिस्सा लेते हैं’।
साल 2013 में तत्कालिक डिप्टी कमिश्नर के साथ बातचीत करके यहां नमाज शुरु की गई। 13 लोगों से यह सिलसिला शुरु हुआ और आज हजारों लोग आते हैं।
हमने उनसे पूछा कि क्या यहां नमाज पढ़ने को लेकर किसी तरह का विरोध हुआ था? उन्होंने कहा ‘हां’ जब चारों तरफ खुले में नमाज पढ़ने के विरोध शुरु हुआ तो यहां भी लोग आएं थे। लेकिन आपसी सहमति के बाद यहां मामला शांत हो गया।
शहर में खुले में नमाज का विरोध साल 2018 से अधिक होने लग गया। स्थिति यह हो गई कि जहां नमाज पढ़ा जाता वहां लोग हनुमान चालीस पढ़ना शुरु कर देते।
सांप्रदायिकता की स्थिति को देखते हुए हिंदू संगठन, मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिध और प्रशासन के बीच आपसी रजामंदी से पूरे शहर में नमाज के लिए 37 जगहों को नियुक्त किया गया।
मुफ्ती सलीम का इस बारे में कहना है कि ‘इन जगहों की नियुक्ति के बाद नमाज तो नियमित रुप से होने लगी। लेकिन आरएसएस की मुस्लिम विंग एमआरएम की एंट्री ने मौलानओँ को दो भागों में बांट दिया’।
इंद्रेश कुमार एमआरएम के चीफ हैं और खुर्शीद रजाका को गुरुग्राम का कार्यभार दिया गया। जिसके अंतर्गत हिंदूवादी संगठन और मौलाना आपस में बातचीत करते और निर्णय लेते।
इसी बीच साल 2021 में एमआरएम के नेतृत्व में नमाज को 37 से घटकर 23 जगहों पर कर दिया गया। इसके बाद देखते ही देखते सिर्फ दो सालों में यह सिर्फ चार जगहों में आकर सिमट गई। बाकी सभी जगह पर नमाज बंद हो गई।
वहीं खुर्शीद का कहना है कि इस मामले में पहले ही सहमति बनी थी कि धीरे-धीरे करके जगहों को कम कर दिया जाएगा और वहीं किया गया।
शिफ्ट में नमाज
आज पूरे गुड़गांव में खुले में सिर्फ चार जगहों में ही नमाज पढ़ी जाती है। जिसके कारण शहर के लोगों को शुक्रवार के दिन कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सेक्टर 29 में जुमे के दिन तीन शिफ्ट में नमाज पढ़ी जाती है। यह चार निर्धारित जगहों में से एक हैं। जहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। जिसमें आसपास की ऑफिस में काम करने वालों से लेकर ऑटो चालक, मजदूर शामिल हैं। `
जिन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मोहम्मद अदनान रहमान इनमें से एक हैं। जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं।
कॉरपोरेट कर्मचारियों को दिक्कत
वह बताते हैं कि ‘पहले मैं ऑफिस के पास ही शंकर चौक में जाता था। वहां बंद होने के बाद सेक्टर 29 में आना शुरु कर दिया है। यहां आने में हमें ज्यादा समय लगता है। ब्रेक के समय ऑफिस से लोग आते हैं’।
अदनान का कहना है कि ‘हमें कहीं बनी हुई मस्जिद दी जाए। फिलहाल जहां नमाज पढ़ने के लिए जगह दी गई है। वहां दुनिया भर की धूल है। बारिश हो जाए तो नमाज अदा नहीं की जा सकती है। गर्मी में शामियाने के नीचे तपती धूप में हमलोग नमाज पढ़ने के लिए मजूबर हैं। सरकार को मस्जिदों के लिए भी अनुमति देनी चाहिए’।
यहां नमाज पढ़ाने वाले मौलाना अब्दुल हासिम काजमी ने हमें बताया कि ‘पहले शुक्रवार के दिन एक ही शिफ्ट में नमाज होती थी, अब तीन में होती है। जिसमें आसपास के 10 से 15 किलोमीटर दूर तक के लोग आते हैं। जिनकी संख्या लगभग पांच हजार हो जाती है”।
वह कहते है कि कई जगहों में नमाज बंद हो जाने के कारण लगभग 60 प्रतिशत लोग जुमे की नमाज अदा नहीं कर पाते हैं। इसलिए मैंने डिप्टी कमिश्नर से दोबारा जगह बढ़ाने की अपील की है।
हमने इस मामले में गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर निशांत कुमार यादव से बात करने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।
शामियाने में होती है नमाज
नौशाद अहमद एक व्यापारी है और साल 2010 से गुरुग्राम में रह रहे हैं। वह कहते हैं कि ‘साल 2022 से पहले मैं सेक्टर 40 में नमाज पढ़ने जाता था। बंद होने के बाद सेक्टर 29 आना पड़ता है। यहां आऩे जाने के में ही लंबा समय लग जाता है’।
वह बताते हैं कि पूरे गुरुग्राम में मुस्लिम के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाता है यह सभी जानते हैं। कई जगह पर नमाज बंद कराई गई है। इसके बाद भी यहां सुरक्षा को लेकर कोई खास इंतजाम नहीं है। ग्राउंड में दो जगह नमाज होती है वहां हजारों की संख्या में लोग रहते हैं। लेकिन सुरक्षा के नाम पर एक पीसीआर और कांस्टेबल होते हैं।
नौशाद के अनुसार अगर कोई मस्जिद बनाने की अनुमति दी जाए तो कई समस्याएं हल हो जाएगी। हमें शुक्रवार को अलग से कई तैयारियां करनी पड़ती है। हर हफ्ते शामियाना लगाना पड़ता है। पानी का इंतजाम करना पड़ता है। इन सबमें हर हफ्ते दस हजार से ऊपर का खर्च आता है।
साल 2018 के बाद से ही गुरुग्राम में नमाज को लेकर लगातार परेशानियां होने लगी। जिसमें कई बार हिंदूवादी संगठन और मुस्लिम जनप्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई।
तरह-तरह से मुस्लिम को परेशान करना
मुफ्ती सलीम का कहना है कि हिंदूवादी संगठन का प्रभुत्व इतना बढ़ गया है कि आम मुसलमानों को नमाज के अलावा भी तरह-तरह से परेशान किया जाता है। इसमें मजदूर तबके के लोग ज्यादा है। कुछ दिन पहले ही एक डिलीविरी बॉय को इसलिए पीटा गया क्योंकि वह मुस्लिम है। कई मजदूर तो डर के कारण गुरुग्राम छोड़ कर ही चले गए है।
हमने इन सारे मामलों पर आरएसएस के नेता कूलभूषण भारद्वाज से बात की उन्होंने कहा कि शहर के माहौल को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए खुले में नमाज पढ़ने की संख्या को कम किया गया। यह सारा काम आपसी सामंजस्य से किया गया है।
वह बताते हैं कि शुरुआती दिनों में ही दोनों पक्षों के लोगों ने प्रशासन के सामने यह वायदा किया गया था कि धीरे-धीरे जगहों को कम कर दिया जाएगा। इसी बीच बाद लोगों ने खुले में नमाज का विरोध शुरु कर दिया। जिसके कारण बंद करना पड़ा है। फिलहाल माहौल एकदम शांत है।
इससे पहले संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कुलभूषण ने कई जगहों पर नमाज का विरोध किया था। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि ‘मैं नमाज के विरोध में नहीं है। बल्कि सरकारी जगह पर नमाज अदा करना का विरोध करता हूं’।
उनका कहना है कि ‘मैं सरकार द्वारा दी गई जमीन का भी विरोध करता हूं। मुस्लिम मस्जिद, ईदगार और वक्क बोर्ड की जमीन पर जाकर नमाज पढ़े न कि सरकारी जमीन पर’।