Home India Politics फ़िरक़ापरस्ती की काट है दलित-मुस्लिम मेल —क़ाज़ी रशीद मसूद

फ़िरक़ापरस्ती की काट है दलित-मुस्लिम मेल —क़ाज़ी रशीद मसूद

आस मोहम्मद कैफ़, TwoCircles.net                         

सहारनपुर : पश्चिम उत्तर प्रदेश के क़द्दावर राजनेता क़ाज़ी रशीद मसूद अब उम्र के आख़िरी पड़ाव पर हैं. सियासी सफ़र में वो कई बार सांसद और केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहें. गैर-भाजपाई और गैर-कांग्रेसी दलों ने एक बार उन्हें उप-राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी भी बनाया था, जिसमें वो तीसरे स्थान पर रहे थे. हाल में ही रशीद मसूद बसपा सुप्रीमो मायावती से मिलकर लौटे हैं. बसपा सुप्रीमो के साथ तीन घंटे से ज्यादा की बातचीत से यह तय हो गया है कि अब उनकी कोठी पर नीला झंडा शोभामय होगा.

गौर करने की बात यह है कि जिस समय सहारनपुर में दलित बनाम मुस्लिम तनाव फैलाने की साज़िश भी हो रही है, ठीक ऐसे समय पर उनका बसपा में चले जाने से क्या पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में क्या कुछ बदलाव होगा. इसी मुद्दे को लेकर आज TwoCircles.net ने ख़ास बातचीत की. पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :

बसपा प्रमुख मायावती से मिलने की वजह?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— मुसलमानों का मुस्तक़बिल ख़तरे में है. बीजेपी को सिर्फ़ बसपा ही रोक सकती है. सेक्युलर हिन्दू, दलित और मुसलमान मिलकर ही देश को सांप्रदायिक लोगों के चंगुल से बचा सकते हैं.

मगर यह बात आपको बड़ी देर से समझ आई?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— खुदा का शुक्र है कि आ गई. पहले नहीं आई थी.

इस दौरान आपने बहुत से दल बदल लिए?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— हां, मगर हम जहां भी रहे, हमारी राजनीति का केंद्र धर्मनिरपेक्षता रही. हमने हमेशा साम्प्रदायिक ताक़तों का विरोध किया. सेक्युलर दलों की सियासत की. हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात की.

समाजवादी पार्टी छोड़ने की वजह क्या आपका अपमान है?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— मुलायम सिंह यादव जी से हमें कोई नाराज़गी नहीं. अखिलेश यादव से ज़रूर है. उन्होंने हमें नज़रअंदाज़ भी किया और पार्टी ख़त्म भी वही कर रहे हैं. वैसे अब समाजवादी पार्टी भाजपा के खिलाफ़ विकल्प नहीं बची. वो बहुत कमज़ोर हो चुकी है. अब भाजपा से सिर्फ़ बसपा लड़ सकती है.

अगर अगले चुनाव में दोनों मिलकर लड़ जाएं तो?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— बहुत अच्छी बात है अगर अखिलेश यादव समझे तो. भाजपा की जीत देश हित में नहीं है. उसके खिलाफ़ सभी सेक्युलर दलों को मिलकर ही लड़ना चाहिए.

आपके भतीजे इमरान मसूद अपने भाषण की शुरुआत मायावती जी के मेरठ वाली रिकॉर्डिंग को माईक पर सुनाने के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में अब आप बसपा की राजनीति कैसे कर पाएंगे?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— अब यह इमरान से ही पूछिये. वो फ़िरक़ापरस्त राजनीति में यक़ीन रखते हैं. देखिये मुसलमानों ने इस बार समाजवादी पार्टी को पूरी ताक़त से वोट किया. इससे ज्यादा कभी नहीं किया. फिर भी भाजपा जीत गयी. तो समझ में आ जाना चाहिए कि एकतरफ़ा वोट भी चुनाव में जीत की गारंटी नहीं है.  जीत सिर्फ़ सेक्युलर हिन्दू, दलित और मुसलमान के गठजोड़ से ही मिल सकती है. वरना भाजपा जीतती रहेगी.

क्या कुछ और लोग भी आपके साथ बसपा में आ रहे हैं?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— हां, समाजवादी पार्टी में विधानसभा चुनाव लड़े कुछ नेता, कुछ पूर्व विधायक और बहुत से बड़े नाम जल्दी ही बसपा में शामिल होने वाले हैं.

2014 के बाद से बसपा के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई है. कहीं ऐसा तो नहीं कि आपने डूबती हुई जहाज़ पर सवारी कर ली?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— बसपा को सीट नहीं मिल रही, यह बात सही है. मगर आप देखिये इस चुनाव में उन्हें 22.5 फ़ीसद वोट मिले. उनका परंपरागत वोट अभी भी उनके पास है. वो भाजपा के बाद दूसरे नम्बर पर रही. मुसलमानों का 18 फ़ीसद और 5 फ़ीसद अन्य भी अगर जोड़ लें तो यह 40% से ज्यादा हो जाएगा. 2019 में ही बसपा एक बहुत बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी. मुस्लिम अब इससे ज्यादा दिल खोलकर सपा को वोट नहीं कर सकता. अगर इतनी वोट बसपा को कर दे तो भाजपा ख़त्म हो जायेगी. अब मुसलमान इस बात को समझ रहे हैं.

तो क्या भाजपा की ख़तरे को भांपकर दलित-मुस्लिम समाज को आपस में भिड़ाने की साज़िश में लगी है?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— जी बिल्कुल यही कर रही है. वो ये बात समझते हैं कि अगर दलित-मुस्लिम पूरी तरह एक हो गया तो वो सत्ता से दूर हो जाएंगे. इसलिए ही वो सड़क दुधली जैसी घटनाएं करा रहे हैं.

क्या है यह सड़क दुधली की घटना?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— यहां भाजपा के लोग बाबा अम्बेडकर साहब की यात्रा निकालना चाहते थे, जबकि सांसद राघव लखनपाल 7 हिन्दू बहुल गांव में कभी इसके लिए प्रयास नहीं करते, जहां अम्बेडकर यात्रा कभी नहीं निकली. गाँव में 700 दलित हैं. मुश्किल से 5 आदमी इनके साथ है. बाक़ी सब दलित समाज के लोग अलग हो गए. क्योंकि वो समझ रहे थे यह साज़िश है. पुलिस ने क़ानून का पालन कराना चाहा तो सांसद एसएसपी के घर चढ़ गए. भाजपा के कार्यकर्ता ही सिर्फ़ इसमें शामिल थे. वो जिद पर अड़ गए कि अंदर से जाएंगे. बस यहीं से उन्होंने बवाल काटा और इसके बहाने दो दिलों को तोड़ने की कोशिश की. 

क्या भाजपा की सरकार में क़ानून व्यवस्था ख़राब हुई है?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— बहुत खराब हुई है. एसएसपी के घर पर हमला होता है. आगरा में थाने में घुसकर सीओ को थप्पड़ मार रहे हैं.

मुसलमानों के लिए सबसे बड़ी चुनोती क्या है?

क़ाज़ी रशीद मसूद :— भाजपा सबसे बड़ी चुनौती है. गाय के नाम पर लोगों को मारा जा रहा है. हालात और भी मुश्किल होंगे और हम संघर्ष करेंगे. सांसद जैसे लोग गुंडागर्दी कर रहे हैं.