TwoCircles.net Staff Reporter
नई दिल्ली : बाबा रामदेव का पतंजलि एक बार फिर से चर्चे में है. कोलकाता के एक सरकारी प्रयोगशाला में जांच के लिए गए पतंजलि आयुर्वेद का आंवला जूस इस्तेमाल करने योग्य नहीं पाया गया है. लिहाजा रक्षा मंत्रायल के कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट ने सभी आर्मी कैंटीन पर पतंजलि के इस प्रोडक्ट पर रोक लगा दी है.
बताते चलें कि आंवला जूस पतंजलि के उन शुरुआती उत्पादों में शामिल है, जिसके सहारे कंपनी इस व्यवसाय में उतरी थी. रिपोर्ट के मुताबिक़ नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि पतंजलि के आवंला जूस के एक बैच की जांच कोलकाता स्थित सेंट्रल फूड लैब में हुई, जिसने इसे सेवन के लिए असुरक्षित घोषित किया है.
स्पष्ट रहे कि कोलकाता स्थित इसी लैब ने दो साल पहले नेस्ले की मैगी में लेड की ज्यादा मात्रा होने की रिपोर्ट दी थी, जिसके बाद उसे अपना ब्रांड वापस लेना पड़ा था.
वहीं अगर बात पतंजलि की करें तो ये पहला मौक़ा नहीं है जब पतंजलि विवादों में आई है. इससे पहले कंपनी नूडल्स और पास्ता की बगैर लाइसेंस बिक्री करने की वजह से विवादों में रह चुकी है. इसी साल मार्च में पतंजलि के एलोवेरा जूस में मच्छर और कॉकरोच की शिकायत को लेकर मीडिया में काफी ख़बरें आई जिसके बाद से तमाम मीडिया में आंवला जूस के विज्ञापनों का प्रचार नाम मात्र ही पेश किया जाता है.
पतंजलि का कच्ची घानी सरसों का तेल के साथ-साथ केश क्रांति तेल के खिलाफ़ भी शिकायत मिल चुकी है. इसके साथ ही पतंजलि के वॉशिंग पाउडर और साबुन के खिलाफ़ भी शिकायत मिली है. पिछले ही साल एफएसएसएआई ने सेंट्रल लाइसेंसिंग अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वह पतंजलि को उसके खाद्य तेल ब्रैंड के विज्ञापन को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी करे. उस विज्ञापन पर गुमराह करने वाली जानकारी देने का आरोप लगा था. यही नहीं, पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार की एक अदालत ने भ्रामक विज्ञापन और ग़लत ब्रांडिंग के लिए पतंजलि पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.