Home India News ‘नीतीश और योगी-मोदी में कोई फ़र्क़ नहीं’

‘नीतीश और योगी-मोदी में कोई फ़र्क़ नहीं’

TwoCircles.net Staff Reporter

पटना : पटना के प्रसिद्ध मौर्या होटल के क़रीब फ्रेज़र रोड पटना के यूथ हॉस्टल परिसर में न्याय, लोकतंत्र, सेकूलरिज़्म व सामाजिक न्याय के संघर्ष का एजेंडा लेकर बैठक करना संघर्षशील सामाजिक कार्यकर्ताओं को काफी महंगा पड़ा.

कार्यक्रम के दौरान बिहार पुलिस ने बैठक करने वाले इन कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया. इन सामाजिक कार्यकर्ताओं को घंटों गाँधी मैदान थाने में रखा गया. हालांकि बाद में पूछताछ करके छोड़ दिया गया. प्रशासन का आरोप था कि इस बैठक में माओवादी शामिल थे.

इस कार्यक्रम में शामिल लोगों का कहना है कि, बैठक के शुरू होते ही पूरे कैम्पस में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था और मेन गेट को बंद कर लोगों के बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी गई थी. प्रशासन सरकार के इशारे पर काम कर रही थी.

इस कार्यक्रम में शामिल रिहाई मंच ने राजनीतिक व सामाजिक संगठनों की बैठक पर माओवाद के नाम पर पुलिस के इस छापे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विरोधियों की आवाज़ दबाने की कोशिश बताया है.

मंच ने कहा है कि ये छापेमारी साबित करती है कि नीतीश कुमार की सरकार भी मोदी की तरह अपने विरोधियों को निशाना बनाने के लिए पुलिस फोर्स का राजनीतिक इस्तेमाल कर रही है.

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पटना के यूथ हाॅस्टल परिसर में आयोजित इस बैठक में पूरे बिहार व झारखंड से दर्जनों संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे, जहां सहारनपुर में दलितों पर हमले समेत पूरे देश में गौ-गुंडों द्वारा मुसलमानों पर जारी हमले और बिहार में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे पर आंदोलन की रूप-रेखा बनाई जा रही थी.

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह महज़ इत्तेफ़ाक़ नहीं है कि सहारनपुर दलित हिंसा के ख़िलाफ़ आंदोलन करने वालों पर योगी सरकार नक्सली बताकर मुक़दमें लाद रही है तो वहीं नीतीश कुमार की पुलिस भी दलितों और अल्पसंख्यकों का सवाल उठाने वालों पर माओवादी होने का आरोप लगाकर छापे मार रही है.

उन्होंने कहा कि जन आंदोलनों को कुचलने की रणनीति बिल्कुल एक जैसी होना बताता है कि हिंदुत्व और कथित सामाजिक न्यायवादी सरकारों में दमन की रणनीति पर आम सहमति है.

बताते चलें कि इस कार्यक्रम की अध्यक्षता तनवीर आलम व मंच संचालन सफ़दर अली कर रहे थे. वहीं इस कार्यक्रम में विशेष तौर पर समाज बचाओ आंदोलन, रिहाई मंच, न्याय मंच, मुस्लिम एकता मंच, स्वराज नागरिक मंच, एकता विकास मंच, नेशनल कैम्पेन ऑन दलित ह्यूमन राईट्स, युवा संघर्ष मोर्चा, आरक्षण बचाओ- संविधान बचाओ मोर्चा,  भारत मानवता, लोकतंत्र मुक्ति आंदोलन, आम जनता की आवाज़, आखिल भारतीय भूँय्या समाज कल्याण समिति, मौलाना आज़ाद वेलफेयर ट्रस्ट, सोशलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, इंसाफ़ इंडिया, राष्ट्र सेवा दल, सेवक फाऊंडेशन व युनाईटेड वेलफेयर एसोसियेशन जैसे संस्थाओं से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे.