यशवर्धन ने ‘सुरैय्या’ को फंसाकर पहले हिन्दू बनाया और अब ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया !

यशवर्धन की मुहब्बत में गिरफ्तार होकर सुरैय्या(बदला हुआ नाम) ने धर्म तक बदल लिया मगर इसके बाद भी यशवर्धन वफ़ादारी न कर सका सुरैय्या से मुस्कान बनी यह अबला अब न्याय के लिए लड़ रही है ! मगर एक खास नैरेटिव वाली मीडिया और प्रशासनिक अमले की उदासीनता इस मामले में अलग ही कहानी कहती है !

वसीम अकरम त्यागी की Twocircles.net के लिए यह रिपोर्ट पढ़िए


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उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण अधिनियम बनाया है। इस क़ानून के मुताबिक़ प्रेमी युगल को शादी करने से पहले जिलाधिकारी से परमीशन लेनी होगी। अक्सर हिंदुवादी संगठनों द्वारा अंतरधार्मिक शादियों पर उत्पात मचाया जाता रहा है। हिंदुवादी संगठनों का आरोप है कि मुस्लिम युवा हिंदू युवतियों को प्रेम जाल में ‘फंसाकर’ उनसे शादी करते हैं और फिर उनका धर्मांतरण करा देते हैं। बीते कुछ वर्षों में बार बार ‘लव जिहाद’ का मुद्दा मीडिया में बहस का मुद्दा बना है, इसमें कोई संदेह नहीं कि इस मुद्दे को भारतीय जनता पार्टी के अनुषांगिक संगठनों के साथ साथ भाजपा के नेताओं ने भी उठाया है ।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवंबर महीने में एक जनसभा में खुल्लम खुल्ला चेतावनी देते हुए ‘लव जिहाद’ करने वालों की ‘अंतिम यात्रा’ निकालने की घोषणा की, और फिर कुछ दिन बाद ही यूपी सरकार द्वारा ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण अधिनियम बना दिया गया। क़ानून के जानकार लोगों ने इस क़ानून का विरोध किया, लेकिन प्रचंड बहुमत भाजपा सरकार ने इसे अंतिम रूप दे दिया। अब इस क़ानून के तहत अंतरधार्मिक शादियां खटाई में पड़ गईं हैं। इस क़ानून का हवाला देकर पहला मुकदमा बरेली में दर्ज हुआ, उसके बाद मुरादाबाद के कांठ में दूसरा मुकदमा दर्ज हुआ। जिन युवकों पर मुकदमा दर्ज हुआ वे दोनों ही मुस्लिम समुदाय से हैं, और हिंदु युवती से शादी करना चाहते हैं। युवती के परिजनों ने उनके ख़िलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने मुरादाबाद और बरेली के दोनों युवकों को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। यहां यह बताना जरूरी है कि शिकायत सिर्फ युवती के परिजनों द्वारा की गई थी, न कि युवती के द्वारा उसके बावजूद पुलिस ने ग़ैर-क़ानूनी धर्मांतरण अधिनियम के तहत एक्शन लिया।

सुरैय्या से मुस्कान श्रीवास्तव बनी अबला की दास्तान

लखनऊ के अमीनाबाद के रहने वाले अब्दुल्ला की बेटी सुरैय्या बानो ने अपने प्रेमी यशवर्धन श्रीवास्तव से शादी करने के लिये धर्मपरिवर्तन करके शादी की थी। यशवर्धन श्रीवास्तव लखनऊ के ही राजाजी पुरम इलाक़े में रहते हैं। सुरैय्या ने अपना धर्म त्यागकर हिंदू धर्म अपनाया, और अपना नाम मुस्कान सक्सेना कर लिया। यह शादी 3 सितंबर 2017 को लखनऊ के ही अलीगंज स्थित आर्य समाज मंदिर में शादी हुई थी। मुस्कान बताती हैं कि शादी के कुछ दिन बाद से ही उनके रिश्ते में दरार आना शुरु हो गईं, उनके मुताबिक़ इस दरार की वजह उनकी ससुराल वालों का दकियानूसी रवैय्या रहा है। मुस्कान के मुताबिक़ उनके ससुराल वालों ने उनके साथ जो व्यवहार किया है, उसे किसी भी तर्क से मानवीय नहीं कहा जा सकता, उनकी सास उन्हें किचन के बर्तन, घर का सामान भी नहीं छूने देतीं, उनका कहना है कि तुम मुस्लिम हो, और तुम्हारे छूने से हमारे घर की चीज़ें अशुद्ध हो जाएंगी मुस्कान के हिंदू होने पर उसके ससुराल वालों को यक़ीन ही नहीं है। वे कहते हैं कि यह मुस्लिम ही है, यह कभी भी अपना धर्म नही त्याग सकती, हम श्रीवास्तव हैं, और हमें अपने बेटे की शादी श्रीवास्तव परिवार में ही करनी है। मुस्कान बतातीं हैं कि उसकी सास ने उससे कई बार कहा कि मेरे बेटे का तुमसे मन भर गया है, अब तुम यहां से चली जाओ।

सुरैय्या एलएलएम है। वे मुस्कान श्रीवास्तव बनने से पहले लखनऊ के ही प्रिपेयर आईएएस कोचिंग में पढ़ाती थी, वे वहां पर पीसीएसजे की कोचिंग देती थी। यशवर्धन श्रीवास्तव वहीं कोचिंग सेंटर के मालिक  के माध्यम से वहां एडमीशन लेने आया था, वहीं पर दोनों को मुलाक़ात हुई और फिर यह मुलाक़ात धर्मांतरण के बाद शादी तक पहुंच गई। सुरैय्या बताती हैं कि यशवर्धन ने उन पर शादी करने के लिये दबाव बनाया, एक रोज़ तो नौबत यहां तक आ गई कि यशवर्धन ने अपने हाथ की नसें काट लीं जिसका फोटो मुझे वह्वाटसप पर मैसेज किया। सुरैय्या के मुताबिक़ यशवर्धन ने दावा किया था कि अगर मैं उससे शादी नहीं करतीं हूं तो वह आत्महत्या कर लेगा। इसके बाद मैंने उनसे शादी कर ली। सुरैय्या के मुताबिक़ यशवर्धन के कहने पर ही मैंने धर्म परिवर्तन किया था, यशवर्धन का कहना था कि अगर तुम धर्मपरिवर्तन कर लेती तो परिवार में घुलने मिलने में आसानी रहेगी। बक़ौल सुरैय्या मैंने भी सोचा कि वैसे भी पूरी ज़िंदगी ससुराल में ही गुजारनी है तो क्यों न वही धर्म अपना लिया जाए जो मेरी ससुराल वालों का है। हालांकि मेरे इस फैसले मेरे घर वाले खुश नहीं थे, धर्म परिवर्तन करके शादी करने के बाद मुझसे मेरे पापा, भाई, बहनों ने बात करना ही बंद कर दिया। हालांकि मैं अपनी मां से लगातार बात करती रही, शादी के तक़रीबन छ महीने बाद मेरे पापा को भी मेरा यह फैसला स्वीकार करना पड़ा और उन्होंने रिसेप्शन दिया। यशवर्धन सक्सेना को मेरे परिवार में वही दर्जा मिला है जो एक दामाद को मिलता है।

सास कहती थी कि मैं किसी एससी लड़की को अपनी बहू स्वीकार कर सकती हूँ, मुसलमान को नही !

मुस्कान श्रीवास्तव बनने वाली इस महिला को ससुराल में सास के ताने, और पूर्व धर्म पर टिप्पणियो का सामना करना पड़ता है। मुस्कान के मुताबिक़ मेरी सास कहती है कि मैं किसी एससी लड़की तो अपने बेटे की बहू बना सकती हूं लेकिन तुम्हें (मुस्लिम) को नहीं। मुझे घर के किसी सामान को छूने नहीं दिया जाता, किचन के बर्तन तक नहीं छूने दिया जाता, एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने पर गालियां, और ताने सुनने पड़ते हैं, मेरे साथ मेरा पति सिर्फ सो सकता है। मैं सिर्फ इस्तेमाल होने के लिये बनी हूं। मुस्कान बताती हैं कि मैं सुरैय्या नही हूं लेकिन इसके बावजूद मुझे घर में होने वाली पूजा पाठ में शामिल नही किया गया, अगर मैं घर में बने मंदिर के पास बैठ जाती मेरी सास द्वारा मुझे यह कहकर वहां से उठा देती कि तुम्हारे यहां बैठने से मंदिर अपवित्र हो जाएगा। मुस्कान बताती हैं कि मेरी ससुराल में करवाचौथ नहीं मनाया जाता, छठ पूजा होती है लेकिन उसमें भी मुझे शामिल नहीं किया गया।

मुस्कान के पति यशवर्धन लखनऊ हाईकोर्ट में किसी सीनियर वकील के चेंबर में प्रेक्टिस करते हैं। मुस्कान बताती है कि मेरे ससुरालियों द्वारा मेरा अबॉर्शन कराया गया। उसके बाद अगस्त 2018 में मैं अपने पति के साथ रायपुर गई थी, वहां हम लोग एक किराये के मकान में रहते थे। 25 अगस्त 2018 को मेरा पति मुझे मकान में बंद करके लखनऊ वापस आ गया, मैं सोसायटी में रह रहे पड़ोसियों की मदद से किसी तरह उस मकान से बाहर निकली। तब मैंने रायपुर पुलिस से शिकायत दर्ज कराई, लेकिन इसी दौरान मुझे पता चला कि मेरे ससुराल वालों ने मुझ पर ही अपने बेटे को अपहरण करने का आरोप लगाया, मैंने यूपी पुलिस को बताया कि मैं अपने पति यशवर्धन सक्सेना के साथ रायपुर आई थी। तब मुझे रायपुर पुलिस ने सलाह दी कि मैं लखनऊ जाकर अपने ससुराल वालों के ख़िलाफ शिकायत दर्ज कराऊं। मैं किसी तरह लखनऊ पहुंची। मैं सीधे अपने ससुराल गई वहां फिर से मेरे साथ मार पीट हुई। और फिर दो सितंबर 2018  की रात को ऐशबाग़ पुल पर यशवर्धन मुझे छोड़कर चले गए, और मैं वहां से किसी तरह से मायके पहुंची। इसके बाद उल्टा मेरे पति द्वारा मुझ पर मानहानि का मुकदमा दर्ज करा दिया, 395 का मुकदमा मेरे ऊपर लगा दिया। इसके बाद मुझे वह्वाटसप पर मेरे पति द्वारा भद्दी गालियां दी गईं, मैंने इसकी शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन यह शिकायत भी दर्ज नहीं हो पाई। मुस्कान बताती हैं कि तकरीबन एक साल बाद 29 जून 2019 को मेरी ओर से पहली शिकायत दर्ज हुई। यह शिकायत आईटी एक्ट के तहत दर्ज हुईं क्योंकि मेरे साथ वह्वाटसप पर अभद्रता की गई थी। इसके बाद जुलाई 2019 में मेरी ओर से दहेज़ का मुकदमा दर्ज कराया गया।

मुस्कान अपनी सास पर आरोप लगाते हुए बताती हैं कि मेरी सास ने मेरे पूर्व में मुस्लिम होने का हवाला देकर मुझसे कई मुस्लिम लड़कियों को फंसाना हमारा मुहिम का हिस्सा है। इतना ही नहीं मुस्कान आगे बताती हैं कि मेरी सास ने मुझसे कई बार यह भी कहा कि मेरे बेटे के दर्जनों युवतियों के साथ संबंध हैं, क्या उन सबको हम बहु बना लें। यह पूछे जाने पर कि क्या शादी से पहले उन्हें आपके बारे में नहीं पता था, इस पर मुस्कान कहती हैं, कि शादी से पहले पूरा परिवार मेरी तारीफें करता था और कहता था मुझ पर दबाव बनाता था कि मैं उससे शादी कर लूंगी तो उनके बेटे की ज़िंदगी संवर जाएगी, लेकिन शादी के मात्र 25 दिन बाद से ही मुझे मेरे पूर्व के धर्म को लेकर प्रताड़ित किया जाने लगा, और आज नौबत यहां तक आ गई कि मैं खुद से सवाल करतीं हूं कि मैं कौन हूं, और क्यों हूं? मुस्कान के मुताबिक़ इसी साल जुलाई में उनका पति यशवर्धन श्रीवास्तव उस महिला से शादी करना चाहता था, लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी मुझे मिली, मैंने कोर्ट की सहायता से इस शादी को रुकवा दिया। योगी सरकार द्वारा हाल ही में बनाए गए ‘लव जिहाद’ क़ानून पर टिप्पणी करते हुए मुस्कान कहती है कि छल, कपट, धोखा, उसके ख़िलाफ तो पहले से ही क़ानून मौजूद है। अब जो क़ानून बना है यह फिजूल है और प्रताड़ित करने के लिये है, मेरा मामला तो इस क़ानून के वजूद में आने से भी पहले से ही, मुझे अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है।

मुस्कान बताती हैं कि ऐसा लगता है कि जैसे मुझमें सिर्फ बाक़ी है जान नहीं है। मेरे मायके में मुझे हिंदू कहा जाता है और ताना दिया जाता है कि मैंने हिंदू से शादी की है, इसलिये मुझसे कोई बात भी नहीं करता। मैंने किसी तरह अपनी मां को राज़ी करके एक बरामदे में अपना बिस्तर लगाया है, और अपने घर वालों से कहा है कि मैं आप पर बोझ नहीं बनुंगी, मुझे कुछ समय चाहिए ताकि मैं थोड़ा संभल सकूं, और न्याय की लड़ाई को मज़बूती से लड़ सकूं।

मुस्कान बताती हैं कि उनके पति ने उनके साथ धोखा किया है, अब वे किसी इंसाफ लेकर रहेंगी। मुस्कान क़ानून का हवाला देकर बताती हैं कि जो सलूक मेरे साथ हुआ वह वह आईपीसी 376 के चौथे सेक्शन के मुताबिक़ क़ानून अपराध है। मुस्कान कहती है कि “मेरे माता-पिता कहते हैं कि मैं हिंदू हूं, जबकि मेरे ससुराल वाले कहते हैं कि मैं मुस्लिम हूं। मैं यह साबित करने के लिए लड़ रही हूं कि मैं कौन हूं। फिर वे एक सवाल करती है कि इंसाफ का तराज़ू क्या धर्म देखकर न्याय करता है। न्याय पाने का अधिकार तो उस शख्स को भी है जिसकी कोई आस्था ही नहीं है। तब मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? मुस्कान के मुताबिक़ मुझे भी किसी भी धर्म से कोई आपत्ति नहीं है मेरी आपत्ति धर्म के नाम पर किये जाने वाले भेदभाव से है। मौजूदा हालात को देखते हुए मेरे जैसा मामला अगर किसी हिंदू का होता क्या तब भी ऐसे ही होता? वे साफ कहतीं हैं कि मेरे साथ यह दोगला व्यवहार सिर्फ और सिर्फ मेरे मुस्लिम होने के कारण हुआ है, इसी वजह से पुलिस ने मेरी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया !

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