By TwoCircles.Net staff reporter,
नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा योजना आयोग को भंग करने का ऐलान अब रूप लेता दिख रहा है. भारत सरकार के अंतर्गत गठित इस आयोग का नाम ‘नीति आयोग’ करने की योजना है.
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ज्ञात हो कि मोदी ने कहा था कि अब योजना आयोग की प्रासंगिकता समाप्त हो गयी है. योजना आयोग को खत्म करने का प्रयास नेहरू सरकार द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों को खत्म करने के प्रयास के तहत देखा जा सकता है. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि योजना आयोग की जगह पर जो नई संस्था बनाई जाएगी, वह मौजूदा समकालीन आर्थिक वैश्विक ढाँचे के मनोकूल हो.
1950 में जब योजना आयोग की नींव रखी गयी, तब से लेकर आज तक आयोग अपने 65 वर्षों के इतिहास में 12 पंचवर्षीय योजनाओं और 6 सालाना योजनाओं के लिए प्रमुखता से जाना जाता है. इन सभी योजनाओं की कुल लागत 200 लाख करोड़ से भी ऊपर की मानी जाती है.
मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री के बीच हुई बैठक में यह फ़ैसला लिया गया. इस बैठक में समाजवादी मुख्यमंत्रियों ने योजना आयोग के पुनर्गठन का समर्थन किया, जबकि आशा के अनुरूप कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने आयोग के पुनर्गठन का विरोध किया.
दिसम्बर में प्रधानमंत्री ने सोवियत ढाँचे पर आधारित योजना आयोग को एक ‘टीम इंडिया’ के मूभूत विचारधारा पर आधारित बॉडी में बदलने को लेकर मुख्यमंत्रियों से चर्चा की थी. अभी कयास लगाए जा रहे हैं कि नए आयोग में तीन से चार अलग-अलग विभागों के होने की सम्भावना है.