अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
पटना: 25 साल के आमिर हसन आज अपना सारा काम छोड़कर घर से खुशी-खुशी लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने निकले थे. वे रास्ते भर यह सोचते हुए आ रहे थे कि वो वोट देकर आएंगे तो स्याही लगी उंगली वाली फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करके अपने दोस्तों से भी वोट देने की अपील करेंगे. लेकिन पोलिंग बूथ पर पहुंचकर आमिर के तमाम सपने चकनाचूर हो गए. क्योंकि मतदान केन्द्र पर अधिकारियों का कहना था कि आपका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है.
जबकि आमिर के पास वोटर आईडी भी था और इलेक्शन कमिशन के बीएलओ के ज़रिए मिला वोट देने वाली पर्ची भी और मतदान केन्द्र से बाहर रखी मतदाता सूची में नाम भी. ये तमाम बातें बताने के बाद भी पोलिंग बूथ पर अधिकारियों ने आमिर की एक न सूनी और आमिर वोट देने से महरूम रह गएं.
यह कहानी सिर्फ़ आमिर की ही नहीं थी. पटना के इसी पोलिंग बूथ पर यह कहानी एस.एम रजीउद्दीन की भी है. वो बताते हैं कि मेरे बच्चों का नाम है, लेकिन मेरा और मेरी बीवी का नाम गायब है. जबकि हमारे पास वोटर आईडी भी है और बाकी दूसरे सरकारी कागज़ात भी. पर यहां अधिकारियों का कहना है कि आपका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है.
पटना के खजूर बन्ना में रहने वाले 80 साल के फ़ारूक़ हसन खान की भी यही समस्या है. उनका भी कहना है कि मैं ठीक से चल नहीं पाता हूं. उसके बावजूद आज वोट देने आया था, मेरे पास वोटर आईडी भी है. लेकिन यहां अधिकारियों ने कहा कि मेरा नाम नहीं है. अब आप ही बताईए कि मैं करूं?
खजूर बन्ना के ज़्यादातर लोगों की शिकायत कुछ ऐसी ही थी. उनकी यह भी शिकायत थी कि बीएलओ ने उनके इलाक़े में पर्ची नहीं बांटी, लेकिन दूसरे इलाक़ों में हर घर में पर्ची पहुंचाई गई है. ऐसा ही आरोप फुलवारीशरीफ़ के हारून नगर के मतदाता भी लगाते हैं. उनका भी कहना था कि बीएलओ ने उनके यहां पर्ची नहीं दी. सिर्फ इतना ही नहीं, हमारे पोलिंग नंबर भी बदल दिए गए हैं, जिससे यहां के लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है. कई तो इसी चक्कर में वापस चले गए.
यहां यह भी स्पष्ट कर देना ज़रूरी है कि इस बार चुनाव आयोग ने पर्ची हर घर तक पहुंचाने के लिए बीएलओ को ज़िम्मेदारी दी थी कि वो मतदान वाले दिन से पहले हर घर में पर्ची पहुंचा दें ताकि मतदाताओं को अपना पोलिंग बूथ खोजने में कोई परेशानी न हो.
गुलज़ारबाग की नाज़ निकहत की भी यही शिकायत है. उनका कहना है कि पिछले चुनाव में मेरे घर पर पर्ची आई थी. पर इस बार कोई पर्ची नहीं आई. यहां वोट करने आई हूं तो अधिकारियों का कहना है कि मेरा नाम वोटर लिस्ट में नहीं है. मैं दिन के 12 बजे से परेशान हूं, अब पांच बजने वाले हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ.
इसी बूथ पर इरशाद अहमद भी काफी परेशान दिखें. उनका कहना था कि एक तरफ़ तो चुनाव आयोग मतदान करने की बात करता है. हमें जागरूक करने के लिए मुशायरा करवाता है, लेकिन दूसरी तरफ़ जान-बूझकर हमारे नाम गायब कर दिए जाते हैं. जान-बुझकर बीएलओ पर्ची नहीं देता.
हालांकि जानकारों का मानना है कि गलती मतदाताओं की भी है. मतदान वाले दिन ही जागते हैं. लेकिन यह बात सच है कि चुनाव आयोग के बीएलओ ने अधिकतर मुस्लिम इलाक़ों में पर्ची नहीं बांटी है, जिससे मतदाताओं को काफी परेशान होना पड़ा है. पटना में वोटिंग प्रतिशत न बढ़ने का एक कारण यह भी है. हालांकि इससे पहले के चुनावों में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी मतदाताओं की मदद के लिए अपने टेबल लगाकर बैठते थे, जो इस बार कहीं नज़र नहीं आएं.
कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि सिर्फ अल्पसंख्यक मतदाताओं के साथ हो रही इस गड़बड़ी संभवतः किसी बड़ी साज़िश का हिस्सा हों, लेकिन ज़रूरी यह है कि अगले चरण के मतदान के पहले इस समस्या को दुरस्त कर लिया जाए.