TwoCircles.net Staff Reporter
मोतिहारी : चम्पारण सत्याग्रह के दौरान 1917 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जान बचाने वाले स्वतंत्रता सेनानी बत्तख मियां के वंशज को राज्य सरकार द्वारा ज़मीन उपलब्ध कराने की योजना है.
इसको लेकर बत्तख मियां के वंशज की सम्पुष्टि के लिए अपर समाहर्ता अरशद अली ने उनके पौत्र व परपौत्र को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए बुलाया था. इनमें अलाउद्दीन अंसारी आदि ने अपर समाहर्ता के यहां उपस्थित होकर वंशावली की पुष्टि की.
रशीद मियां, शेर मोहम्मद मियां व मो. जान मियां बत्तख मियां के तीन पुत्र थे. तीनों का इंतेक़ाल हो चुका है. रशीद मियां के वंशज तुरकौलिया प्रखंड के तुरकौलिया पूर्वी पंचायत के मठवा गांव में रहते हैं. जबकि शेर मोहम्मद मियां व मो. जान मियां के वंशज पंश्चिमी चम्पारण के गौनाहा प्रखंड के एकवा परसौनी गांव में फिलहाल निवास करते हैं.
रशीद मियां के पौत्र चांद मोहम्मद व मोहम्मद हुसैन, शेर मोहम्मद मियां के पौत्र वीर मोहम्मद व हज़रत अली तथा मो. जान के पुत्र अलाउद्दीन अंसारी, सलाम अंसारी, जावेद अंसारी, असलम अंसारी, जाहिद अंसारी व आबिद अंसारी जीवित हैं.
अपर समहर्ता श्री अली ने बत्तख मियां के परिवार के सभी सदस्यों की सहमति से उनके वंशावली की सम्पुष्टि कर राज्य सरकार को भेज दिया है.
उल्लेखनीय है कि साउथ अफ्रीका से लौटने के बाद स्वतंत्रता के संग्राम के दौरान गांधी जी चम्पारण के निलहे किसानों की दुर्दशा का जायज़ा लेने के लिए आए थे. इस दौरान वार्ता के उद्देश्य से नील के खेतों के अंग्रेज़ मैनेजर इरविन ने गांधी व राजेन्द्र प्रसाद को रात्रि भोज पर आमंत्रित किया. बत्तख मियां तब इरविन के रसोइया हुआ करते थे. इरविन ने गांधी जी की हत्या के उद्दश्य से उन्हें दूध में ज़हर मिलाने को कहा. साथ ही धमकी दी कि यदि तुमने उन्हें बता दिया तो हम तुम्हें जान से मार देंगे और यदि तुमने नहीं बताया तो तुम जो मांगोगे हम तुम्हें ईनाम में देंगे.
लेकिन बत्तख मियां गांधी जी व डा. राजेन्द्र प्रसाद को दूध का गिलास देते समय उन्हें यह बात बता दी कि दूध में ज़हर है. गांधी जी की जान तो बच गयी लेकिन इसके नतीजे में बत्तख मियां व उनके परिवार वालों को इसकी भारी क़ीमत चुकानी पड़ी थी. अंग्रेज़ अफ़सरों की यातनाएं झेलनी पड़ी थी.
आज़ादी के बाद 1950 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने बत्तख मियां की ख़बर ली और तत्कालीन ज़िला प्रशासन को उनके परिवार वालों 35 एकड़ ज़मीन आवंटित करने का आदेश दिया था.
राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के आदेश के आलोक में उनके परिवार वालों को 35 एकड़ जमीन दी गयी थी. इनमें परसौनी स्थित 32 एकड़ ज़मीन में से 26 एकड़ पर वन विभाग की ज़मीन थी. जिसे वन विभाग ने दावा कर वापस ले लिया. अब उनके पास परसौनी में 6 एकड़ व ज़िले के अजगरी में 2.5 बिगहा ज़मीन है.
अब राज्य सरकार ने बत्तख मियां के परिवार वालों को 35 एकड़ ज़मीन उपलब्ध कराने की घोषणा की है. जिसके लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.
(नोट : TwoCircles.net ने पिछले दिनों बत्तख मियां अंसारी के परिवार से मुलाक़ात की है. हम जल्द ही बत्तख मियां अंसारी की पूरी जीवनी और उनके संघर्षों की कहानी आपके समक्ष रखेंगे.)