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तो क्या अब मोदी, आरएसएस और बीजेपी के विरोध को ‘देशद्रोह’ माना जाएगा?

Afroz Alam Sahil, TwoCircles.net

‘ये मुल्क बहुत तेज़ी के साथ फ़ासिज़्म और ग़ैर-ऐलानशुदा इमरजेंसी की तरफ़ बढ़ रहा है. मुल्क में असहिष्णुता, ख़ौफ़ व हिंसा के माहौल में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है. ऐसे में वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया मार्च के पहले सप्ताह में ‘मुल्क में लोकतंत्र की बहाली : फ़ासिज़्म से मुक़ाबला’ विषय पर देश-व्यापी मुहिम चलाएगी.’

यह बातें शनिवार को वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. क़ासिम रसूल इलियास ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा.

Welfare Party of India Press Conference

उन्होंने कहा कि –‘एक वक़्त था कि इंदिरा इज़ इंडिया और इंडिया इज़ इंदिरा के नारे लगाए जा रहे थे, बिल्कुल उसी तरह अब मोदी इज़ इंडिया और इंडिया इज़ मोदी कहने की कोशिश की जा रही है. यानी जो मोदी के समर्थन में हैं वो रामज़ादे हैं और जो मोदी के विरोध में हैं वो हरामज़ादे हैं. हाल ही में अलीगढ़ से बीजेपी सांसद ने कहा था कि अगर यूनिवर्सिटी में मोदी, आरएसएस और बीजेपी के विरोध को देशद्रोह माना जाएगा. तो ऐसे में सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या अब मोदी, आरएसएस और बीजेपी के विरोध को ‘देशद्रोह’ माना जाएगा?’

स्पष्ट रहे कि डॉ. क़ासिम रसूल इलियास ‘राजद्रोह’ के मामले में गिरफ़्तार उमर ख़ालिद के पिता है. TwoCircles.net ने उनसे खास बातचीत की. इस बातचीत के कुछ अंश को आप नीचे के वीडियो में देख व सुन सकते हैं.

वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष सिराज तालिब बताते हैं कि –‘मौजूदा सरकार पूरी तरह से आरएसएस के इशारे पर काम कर रही है. वो मुल्क में भगवा निज़ाम क़ायम करना चाहते हैं. इन्हीं हालात को देखते वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया पूरे मुल्क में एक अभियान चलाएगी और लोगों को बताएगी कि इन बेईमानों व भ्रष्टाचारियों से कैसे निपटा जाए’

वहीं वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राजस्थान राज्य यूनिट के अध्यक्ष राशिद हुसैन का कहना है कि –‘मुल्क के युवा जिन्हें अच्छे दिन का सपना दिखाया गया था, उनसे सोचने की आज़ादी छिनी जा रही है. यह सरकार आदिवासियों की आवाज़ दबा देना चाहती है. यह दलितों व अल्पसंख्यकों के आवाज़ को दबा देना चाहती है. और जो मुल्क के असल मुद्दे हैं, वो ‘राष्ट्रवाद’ का छद्म मुद्दा छेड़कर दबा देना चाहती है. लेकिन हमारी पार्टी देश के गरीबों के मुद्दों दबने नहीं देगी. हम गांधी व अम्बेडकर के सपनों का भारत इस मुल्क के लोगों को देना चाहते हैं.’