TwoCircles.net News Desk
लखनऊ : ‘प्रदेश के सपा सरकार ने चुनाव में मुसलमानों का वोट लेने के लिए उनसे झूठे वादे किए. जिसमें से एक वादा छूटे बेगुनाहों के पुर्नवास और मुआवजे का भी था. लेकिन किसी भी बेगुनाह को सरकार ने उनकी जिन्दगी बर्बाद करने के बाद आज तक कोई मुआवजा या पुर्नवास नहीं किया है.’
यह बातें आज पूरे 8 साल 7 महीने बाद देशद्रोह के आरोप से दोषमुक्त हो चुके अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर, शेख मुख्तार हुसैन, उनके परिजनों की मौजुदगी में रिहाई मंच द्वारा आयोजित लखनऊ के यूपी प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के दौरान रिहाई मंच के अध्यक्ष अधिवक्ता मुहम्मद शुऐब ने कहा.
मुहम्मद शुऐब ने कहा कि –‘पुर्नवास व मुआवजा न देना साबित करता है कि अखिलेश यादव हिन्दुत्वादी चश्मे से बेगुनाहों को आतंकवादी ही समझते हैं.’
आगे उन्होंने कहा कि –‘सपा सरकार ने अगर आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने का अपना चुनावी वादा पूरा किया होता तो यही नहीं इन जैसे दर्जनों बेगुनाह पहले ही छूट गए होते.’
उन्होंने पूछा कि सरकार को बताना चाहिए कि इन बेगुनाहों के पास से पुसिल ने जो आरडीएक्स, डिटोनेटर और हैंडग्रेनेड बरामद दिखाया गया, उसे वह कहां से मिला?
किसी आतंकी संगठन ने उन्हें ये विस्फोटक दिया या फिर पुलिस खुद इनका ज़खीरा अपने पास रखती है, ताकि बेगुनाहों को फंसाया जा सके.
उन्होंने कहा कि ऐसी बरामदगी दिखाने वाले पुलिस अधिकारियों का समाज में खुला घूमना देश की सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से कुछ मीडिया संस्थानों ने इनके छूटने पर यह ख़बर छापी की ये सभी पाकिस्तानी हैं. असल में यह वही जेहनियत है, जिसके चलते पुलिस ने देश के खिलाफ नारा लगाने का झूठा एफआईआर करवाया.
आज असलियत आपके सामने है कि यह अपनी बात कहते-कहते भूल जा रहे हैं. मानसिक रुप से असुंतलित हो गए हैं. ऐसे में देशद्रोह और आतंकी होने का फर्जी मुक़दमा दर्ज कराने वाले असली देशद्रोही हैं, उनपर मुकदमा होना चाहिए.
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या उसमें यह हिम्मत है?
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने बताया कि आफताब आलम अंसारी, कलीम अख्तर, अब्दुल मोबीन, नासिर हुसैन, याकूब, नौशाद, मुमताज, अजीजुर्रहमान, अली अकबर, शेख मुख्तार, जावेद, वासिफ हैदर वो नाम हैं, जिन पर आतंकवादी का ठप्पा लगाकर उनकी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी गई. जिनके बरी होने के बावजूद सरकारों ने उनके प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं दिखाई. तो वहीं ऐसे कई नौजवान यूपी की जेलों में बंद हैं जो कई मुक़दमों में बरी हो चुके है, जिनमें तारिक कासमी, गुलजार वानी, मुहम्मद अख्तर वानी, सज्जादुर्रहमान, इकबाल, नूर इस्लाम है.
उन्होंने कहा कि सरकार बेगुनाहों की रिहाई से सबक सीखते हुए इन आरोपों में बंद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करे और सांप्रदायिक पुलिस कर्मियों के खिलाफ़ कारवाई करे.
उन्होंने कहा कि जब इन बेगुनाहों को फंसाया गया तब बृजलाल एडीजी कानून व्यवस्था और बिक्रम सिंह डीजीपी थे और उन्होनें ही मुसलमानों को फंसाने की पूरी साजिश रची. जिनकी पूरी भूमिका की जांच के लिए सरकार को जांच आयोग गठित करना चाहिए ताकि आतंकवाद के नाम पर फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों को सजा दी जा सके.
मंच ने यूएपीए को बेगुनाहों को फंसाने का पुलिसिया हथियार बताते हुए इसे खत्म करने की मांग की.