Home India News एक माह में बसपा से बाहर जानेवाले छठवें सदस्य बने आरके चौधरी

एक माह में बसपा से बाहर जानेवाले छठवें सदस्य बने आरके चौधरी

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

वाराणसी: उत्तर प्रदेश में जहां एक तरह समाजवादी पार्टी और भाजपा मजबूती की ओर दिनोंदिन कदम बढ़ा रही हैं, वही बसपा के दिन बद से बदतर होते जा रहे हैं. अभी स्वामी प्रसाद मौर्या द्वारा पार्टी छोड़ने का विवाद थमा नहीं था कि पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता आरके चौधरी ने भी आज पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया.



आरके चौधरी (साभार – जनसत्ता)

आरके चौधरी ने भी बसपा सुप्रीमो मायावती पर टिकट बेचने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मायावती ने पार्टी को रियल एस्टेट कंपनी में तब्दील कर दिया है. आरके चौधरी ने यह भी कहा कि मायावती जमीनी कार्यकर्ताओं पर भरोसे नहीं करती हैं, बल्कि वे चाटुकारों पर ज्यादा भरोसा करती हैं. ऐसे में अम्बेडकर के सिद्धांतों पर काम करने वाले कार्यकर्ता बेचैन हैं.

आरके चौधरी ने कहा कि वह खुद को पार्टी में फिट नहीं महसूस कर पा रहे थे. उनकी नज़र में पार्टी पैसे वालों की पार्टी रह गयी है और बहुजन समाज से इसका कोई नाता नहीं रह गया है. आरके चौधरी ने मायावती पर व्यक्तिगत आरोप लगाते हुए कहा कि मायावती अपने जन्मदिन पर भी कार्यकर्ताओं और नेताओं से पैसे लेकर मिलती हैं.

पार्टी छोड़ने के बाद आरके चौधरी आगामी 11 जुलाई को पार्टी के बागी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे और आगे की रणनीति पर विचार करेंगे. चौधरी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं.

उनके जाने के फैसले पर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने कहा है कि पार्टी में स्वार्थी किस्म के लोगों की कोई जगह नहीं है. ज्ञात हो कि आरके चौधरी इससे पूर्व भी पार्टी छोड़कर जा चुके थे, जिनकी तीन साल पहले पार्टी में वापसी हुई थी. रामअचल राजभर ने कहा कि चौधरी के जाने से न पहले कोई असर पड़ा था, न इस बार पड़ेगा.

बीते एक महीने में पार्टी से बाहर जाने वाले आरके चौधरी छठें सदस्य हैं. इसके पहले स्वामी प्रसाद मौर्या ने पार्टी छोड़ दी थी और वे आज लखनऊ के गोमती नगर के एक विद्यालय में शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. उसके पहले क्रॉस वोटिंग के आरोप में राजेश त्रिपाठी, बाला प्रसाद अवस्थी, राम भुआल सिंह और बृजेश कुमार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था.

आरके चौधरी का पार्टी से बाहर जाना पार्टी के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. आरके चौधरी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. ऐसे में विधानसभा चुनाव के चंद महीनों पहले आरके चौधरी यदि किसी अन्य पार्टी में जाते हैं तो इसके नुकसान बसपा को उठाने पड़ सकते हैं.