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अजय राय की पत्नी ने कहा, मोदी-मुलायम डरे हुए थे मेरे पति से, ‘ऊपर’ से आदेश के बाद लगा रासुका

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

वाराणसी: पिंडरा से विधायक अजय राय ने लोकसभा चुनाव में मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. कल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उन पर रा.सु.का. की धारा हटा दी है. इसके साथ ही अजय राय की जमानत का रास्ता भी आसान होता दिख रहा है. लेकिन बेहद लोकल लगती यह खबर दरअसल पूर्वांचल की राजनीति की दिशा बदल सकती है. TwoCircles.net ने कल विधायक अजय राय की पत्नी रीता राय से बात की. पेश है वह बातचीत –


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अजय राय पर से हाईकोर्ट ने रासुका हटा दिया है? क्या कहना है आपको?
हमें तो बहुत अच्छा लग रहा है. हमें तो बहुत भरोसा था कि उच्च न्यायालय से हम लोगों को न्याय ज़रूर मिलेगा.

आपकी आखिरी मुलाक़ात कब हुई विधायक जी से?
जब से ५ अक्टूबर को वे गए यहां से, उसके बाद से आजतक उनसे मुलाक़ात नहीं हुई है.

रासुका हटने के बाद मुलाक़ात या बात हुई?
नहीं. बीच में राय साहब परेशान थे. उनका एमआरआई भी कराया गया था, पता चला थे. लेकिन बात-मुलाक़ात कुछ भी नहीं हो पायी.

यानी आपकी दीवाली और होली दोनों ही बची हुई है?
हाँ, सही कह रहे हैं. अब वे आएँगे तो उनके और बनारस की जनता के साथ त्यौहार मनाएंगे. मेरी बेटी का अगले महीने जन्मदिन है और उसकी चाहत है कि उसके जन्मदिन पर उसके पापा मौजूद रहें.

कांग्रेस के बड़े नेताओं ने आपका हाल-चाल लिया?
हाँ. बराबर पार्टी हाईकमान से फोन आता रहता है. हालचाल वे लोग पूछते रहते है.

बनारस के हिन्दू समाज के अधिकारों की रक्षा के लिए अजय राय जेल गए. बनारस की जनता से आप क्या कहना चाहेंगी?
मैं तो सभी का धन्यवाद देना चाहूंगी. जिन्होंने साथ दिया, साथ नहीं दिया और जो खिलाफ खड़े रहे…उन सबका शुक्रियादा करना चाहूंगी जिन्होंने अजय राय का कद बढ़ाने में इतना योगदान दिया. अन्दर-अन्दर लोग जो भी करते रहे, मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं है. सभी का धन्यवाद.

आपको भी ऐसा लगता है कि यदि अजय राय मोदी के खिलाफ चुनाव न लड़े होते तो ये सब न हुआ होता? मानी अजय राय चुनाव लड़े और मोदी-मुलायम की संगत में ये सब हो गया?
द्देखिए, वो सब राजनीतिक बात है. ये कानून का मामला है. लेकिन काशी की जनता जब भी परेशानी में होगी तो राय साहब हमेशा उनके लिए खड़े रहेंगे.

लेकिन कहीं आपको ऐसा लगता है कि अजय राय का बढ़ता हुआ कद देखकर नरेंद्र मोदी और मुलायम सिंह घबरा गए?
ये बात तो है कि राय साहब का वर्चस्व देखकर केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही घबराए हुए थे. वे इनको हर हाल में आगे बढ़ने से रोकना चाह रहे थे.

आपको ऐसा लगता है कि यदि चीज़ें ईमानदारी से चलतीं तो इतना सब न हुआ होता?
वह देखिए क़ानून का मुद्दा है. लेकिन जहां तक प्रशासनिक कार्रवाई की बात है तो बिना जांच-परख और कार्रवाई के मुकदमा लादना तो गंभीर बात है. प्रशासन को रासुका जैसी धारा लगाने के पहले जांच कर लेनी चाहिए था.

प्रशासन ने अड़ंगा लगाया या नहीं?
एकदम. लेकिन वे करेंगे भी क्या? उनको ऊपर से आदेश दिया जा रहा था कि ऐसे करिए, वैसे करिए. तो ऊपर से जो आदेश मिल रहा था प्रशासन वैसी कार्रवाई ही कर रहा था. किस पर आरोप लगाएंगे.

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