अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
पटना: बिहार राज्य महादलित आयोग के चेयरमैन डॉ. हुलेश मांझी ने हाल में ही बेहद हैरान करने वाला बयान दिया है. हुलेश मांझी ने खुद के छूआछूत व भेदभाव के शिकार होने की बात कही है. यह बात विडम्बनापूर्ण ही है कि जिस आयोग के अधिकारी ने खुद को दलित उत्पीड़न का भोगी बताया है, वही आज बिहार के दलितों को न्याय दिलाने का बीड़ा उठाए हुए हैं.
TwoCircles.net के साथ बातचीत में हुलेश मांझी ने बताया, ‘मैं बचपन से लेकर अब तक लगातार छूआछूत व भेदभाव का शिकार हुआ हूं. प्राईमरी स्कूल व हाईस्कूल में सवर्ण मुझे मारते-पीटते थे. मेरी किताबों को स्कूल की छत पर फेंक देते थे. कॉलेज में भी हमेशा दोस्त मुझ पर फब्तियां कसते थे.’ खुद की उच्च शिक्षा के बारे में बताते हुए वे कहते हैं, ‘पीएचडी के लिए जब मैं गाईड ढूंढने गया तो कोई प्रोफेसर मेरा गाईड बनने को तैयार नहीं हो रहा था.’
हुलेश मांझी के मुताबिक़ आज भी बिहार के दलित छूआछूत व भेदभाव के दौर से गुज़रने पर मजबूर हैं. आज भी दलितों के साथ हर जगह भेदभाव दिखता है. और जितना दिखता है, उससे कहीं अधिक उनके दिल के तह में छिपा हुआ है. वे कहते हैं, ‘यह कितना अजीब है कि दलित-गरीबों से ज़्यादा इज़्ज़त आज लोग अपने पालतू कुत्तों को देते हैं. गाय को देते हैं.’
मांझी अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए बताते हैं, ‘दलितों के सारे नेता दलितों के विरोधियों के शिकार हो गए हैं. दलित विरोधी शक्तियों की गोद में जा बैठे हैं. सामंती, मनुवादी व ब्राहमणवादी ताक़तों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं. इन नेताओं ने दलित के उम्मीदों को सरेआम बेच दिया है. हद तो यह है कि दलितों के नाम पर एनजीओ चलाने वाले भी दलित के दर्द से परे रहने वाले लोग हैं. दलित युवाओं को अब इन नेताओं का विरोध किया जाना चाहिए.’
नरेन्द्र मोदी पर चुटकी लेते हुए हुलेश मांझी कहते हैं, ‘क्या उनको पता नहीं है कि अम्बेडकर को उन्हीं के लोगों ने परेशान व प्रताड़ित किया था. मोदी जी को यह अम्बेडकर प्रेम का ढोंग अब बंद कर देना चाहिए.’