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‘हम अपनी सांसे रोके रहें, नहीं तो वो हमें भी मार देते’

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

तावड़ू (हरियाणा) : ‘वो कौन थे? उन्होंने हमें क्यों मारा? हमें कुछ भी याद नहीं… हां, बस हम अपनी सांसे रोके रहें, नहीं तो वो हमें भी जान से मार देते…’

यह मेवात ज़िले के डिंगरहेड़ी गांव में रहने वाली उस बेबस मां का बयान है, जिसने अपने आंखों के सामने अपनी लाडली की इज़्ज़त को लूटते हुए देखा.

मेवात के ‘शहीद हसन खां मेवाती राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय’ के एक बेड पर पड़ी यह मां बताती है, ‘खुद ज़ख्मी होने और बच्चियों के साथ ग़लत होता देखकर मैं बेहोश हो गई थी.’

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वो आगे बताती हैं, ‘जब वो जाने लगे तो कुंडे से पानी निकाल कर हमारे चेहरों पर डाल रहे थे. शायद वो चेक कर रहे थे कि कहीं हम ज़िन्दा तो नहीं. एक ने मेरी नब्ज़ भी टटोली. मैंने अपनी सांस रोक रखी थी. मैंने उन्हें आराम से जाते हुए देखा, उनकी संख्या चार थी.’

वो बताती हैं, ‘मैंने जो भी गहने पहने थो, वो सब निकालकर ले गए. इसके अलावा कोल्ड ड्रिंक की सप्लाई से होने वाले कलेक्शन का रुपया भी घर में ही पड़ा था, उन्होंने वो भी समेट लिया.’ उनके मुताबिक़ वह रक़म तक़रीबन डेढ़ लाख के आस-पास थी.

उसी कमरे में 15 साल का बेटा परवेज़ भी बैठा है. 25 की रात वह भी घटनास्थल पर था और गुंडों ने उसकी भी पिटाई करके उसे भी अधमरा कर दिया. परवेज़ की गर्दन में काफ़ी चोट आई है.

8वीं क्लास में पढ़ने वाला परवेज़ बताता है, ‘मुझे कुछ भी याद नहीं कि मेरे साथ क्या हुआ था. जब होश आया तो मैंने सिर्फ़ इतना देखा कि वो खाट पर बैठकर पैसा गिन रहे थे. बीच-बीच में उनके हंसने की भी आवाज़ आ रही थी…’

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परवेज़ आगे बताता है, ‘पैसा गिनने के बाद वो लाठियों व रॉड को धो-धोकर बाजरे के खेत में फेंक रहे थे. मैंने अम्मा से पूछा कि ये कौन लोग हैं? तो अम्मा ने कहा – बेटा, अपनी सांसे रोक लो, नहीं तो ये लोग तुम्हें भी मार देंगे.’

परवेज़ बताता है, ‘जब वो चले गए तो मैं उठकर गांव गया और अपने नाना ज़ोरुद्दीन को बुलाकर लाया. इसके बाद पुलिस आई.’

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अस्पताल में परवेज़ की नानी भी रह रही हैं. वो बताती हैं कि जिस जगह इस दर्दनाक वारदात को अंजाम दिया गया, वह उनका घर नहीं है. बल्कि दिल्ली में रहने वाले एक व्यक्ति का खेत है. खेत की रखवाली के लिए दो कमरे वाले मकान में उनका परिवार सोने जाता था.

उन्होंने बातचीत में बताया, ‘वो और उनके पति ज़ोरूद्दीन अपने घर में ही सो रहे थे. बाक़ी लोग खेत में थे. खेत में भी दो घर बने हैं, एक छप्पर है, तो दूसरा पक्के का कमरा है. छप्पर में मेरा बेटा व बहू सो रहे थे. तो पक्के में दोनों लड़कियां थीं. वहीं मेरी बेटी और दामाद अपने बच्चों के साथ खुले में ही सो रहे थे.’

वो हरियाणवी ज़ुबान में बताती हैं, ‘गुंडों ने सबसे पहले मेरे बेटे और बहु पर हमला किया. दोनों को अधमरा करने के बाद उन्हें खींचकर बेटी और दामाद के पास लेकर आए. फिर लोहे की रॉड से उन्हें पीटने के बाद सभी को पक्के कमरे के पास ले गए. वहां सबके हाथ-पैर उन्होंने कपड़ों से ही बांध दिया. फिर कमरे से दोनों लड़कियों को खींचकर निकाला. सबके सामने बारी-बारी दुष्कर्म किया.’

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यहां बताते चलें कि दिल्ली से महज़ 80 किलोमीटर दूर केएमपी एक्सप्रेस वे (कुंडली मानेसर पलवल) रोड से लगे मेवात जिले के डींगरहेड़ी गांव में 24-25 अगस्त की रात को गौरक्षकों व बदमाशों ने एक नाबालिग़ समेत दो के साथ गैंगरेप और लूट की घटना को अंजाम दिया और फिर दो लोगों को जान से मार दिया था. इस घटना में जीवित बचे लोगों का इलाज मेवात के मेडिकल कॉलेज में चल रहा है, वहीं परवेज़ के पिता ज़फ़रूद्दीन की हालत काफी गंभीर हैं. वे फिलहाल दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में भर्ती हैं.

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यक़ीनन यह ख़ौफ़नाक रात बीत चुकी है. लेकिन उस ख़ौफ़नाक रात की निशानी सिर्फ़ बुजुर्ग ज़ोरूद्दीन के परिवार वालों के बदन पर ही नहीं, बल्कि समूचे मेवात के ज़ेहन पर भी है. मानो मेवात को किसी ने खरोंच दिया हो.

इन खरोंचों से मेवात के लोगों में जो गुस्सा, दुख और अफ़सोस है, वो यहां हर चहरे पर देखने को मिलता है. मेवात घूमने के बाद एक बात तो साफ़ तौर सामने आती है कि यहां के लोग पुलिस से काफी ख़फ़ा हैं. उससे अधिक गुस्सा वो खट्टर सरकार से भी हैं. उन्हें इस बात का भी गुस्सा है कि मीडिया मेवात की इस ‘निर्भया’ की कवरेज क्यों नहीं दिखा रही है, ताकि दिल्ली की निर्भया की तरह मेवात के इस निर्भया के परिवार के साथ भी इंसाफ़ हो सके.

स्पष्ट रहे कि तावड़ू पुलिस ने 28 अगस्त को 4 अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया जो डींगरहेड़ी के ठीक सामने बसे गांव मुहम्मदपुर के हैं. इनके नाम संदीप, अमरजीत, कर्मजीत और वीरेंद्र हैं.

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मेवात के लोगों का कहना है कि इस घटना के पीछे अहम मंशा कुछ और थी. इस वारदात को एक योजना के तहत अंजाम दिया गया है. लेकिन बावजूद इसके इस घटना ने मेवात के लोगों को एकजूट कर दिया है. इस घटना के बाद मेवात ने यह बताने की कोशिश ज़रूर की है कि मेवात का इतिहास आपस में मिलजुल कर रहने की रही है. यहां हुई महापंचायत में शामिल 36 बिरादरियों के लोगों ने यह साफ़ कर दिया कि हत्यारे व बलात्कारी इंसानियत के दुश्मन हैं. उन्हें ऐसी सज़ा मिलनी चाहिए जिसे पूरी दुनिया याद रखे और दुबारा कोई मेवात में ऐसी घटना करने की जुर्रत न करे.