अजमेर ब्लास्ट : आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार व साध्वी प्रज्ञा को मिल सकती है क्लीन चिट

TwoCircles.net Staff Reporter

नई दिल्ली : जयपुर के स्पेशल कोर्ट से अजमेर बम ब्लास्ट में स्वामी असीमानंद के बरी होने बाद अब आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार और साध्वी प्रज्ञा को भी क्लीन चिट मिल सकती है.


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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को जयपुर की अदालत में इंद्रेश कुमार और साध्वी प्रज्ञा के ख़िलाफ़ आज सप्लीमेंट्री फाइनल रिपोर्ट (क्लोजर रिपोर्ट) दाखिल की है. इस रिपोर्ट को पेश करते हुए कोर्ट में एनआईए ने बताया कि, ‘साध्वी और इंद्रेश के ख़िलाफ़ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है, जिसकी बिना पर मामले की जांच को आगे बढ़ाया जा सके. वहीं दो अन्य आरोपियों की मौत हो चुकी है.’

अदालत अगर एनआईए की इस रिपोर्ट को मान लेती है, तो इंद्रेश व साध्वी प्रज्ञा को क्लीन चिट मिल सकती है. जबकि इंद्रेश कुमार पर आरोप था कि इसने अजमेर बम ब्लास्ट मामल में जयपुर स्थित गुजराती समाज के गेस्ट हाउस में 31 अक्टूबर 2005 को हिंदूवादी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की थी. आरोप के तहत बैठक में तय किया कि हिंदू धर्मस्थलों पर हमले हुए, तो जवाबी कार्रवाई की जाएगी. कोर्ट एनआईए की इस रिपोर्ट पर अपना फैसला 17 अप्रैल को सुनाएगी.

अदालत ने एनआईए को इस मामले में फ़रार चल रहे चार अन्य आरोपियों की संपत्ति का ब्योरा भी दाखिल करने को कहा था, लेकिन एनआईए ने ऐसा नहीं किया. जिस पर जयपुर की कोर्ट ने पूछा है कि, ‘अब तक फ़रार चल रहे चार अन्य आरोपियों की संपत्ति का ब्योरा क्यों दाखिल नहीं किया गया है.’ कोर्ट ने फ़रार अभियुक्तों को लेकर केरल के मुख्य सचिव व इंदौर कलक्टर को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ़ अवमानना की कार्यवाही की जाए.

बताते चलें कि जयपुर के स्पेशल कोर्ट ने इसी मामले में असीमानंद समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया था, जबकि दोषी पाए गए आरएसएस नेता देवेंद्र गुप्ता, भावेश पटेल और सुनील जोशी को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. दोषी पाए गए अभियुक्तों में से सुनील जोशी की मृत्यु पहले ही हो चुकी है.

यहां यह भी गौरतलब रहे कि एनआईए ने इससे पहले भी इंद्रेश, साध्वी प्रज्ञा सहित चार लोगों को लेकर क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी, लेकिन अदालत ने इस रिपोर्ट को विध सम्मत नहीं माना था. क्योंकि एनआईए ने रिपोर्ट पेश करने को लेकर क़ानूनी प्रक्रिया नहीं अपनाई थी. इस वजह से अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट वापस पेश करने के लिए कहा था. जिसे एनआई ने आज कोर्ट के सामने पेश किया है.

हालांकि इस ब्लास्ट के आरोपियों और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच रिश्तों की ख़बर भी मीडिया में आ चुकी है. इस केस के मुख्य दोषी सुनील जोशी, जिसकी अब मौत हो चुकी है, की इस ब्लास्ट से क़रीब एक साल पहले योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात हुई थी. योगी उस समय गोरखपुर से सांसद थे. इतना ही नहीं, एनआईए ने तो यह भी दावा किया था कि दिसंबर 2007 में मध्यप्रदेश के देवास में जब उसे जोशी का शव मिला था तो उसकी जेब में आदित्यनाथ का फोन नंबर मिला था.

स्पष्ट रहे कि राजस्थान के अजमेर दरगाह में हुआ यह ब्लास्ट 11 अक्टूबर 2007 को रमज़ान के महीने में इफ़्तार के समय शाम क़रीब 6:15 बजे हुआ था. इस ब्लास्ट में 3 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 20 लोग गंभीर रुप से घायल हुए. ब्लास्ट के लिए दरगाह में दो रिमोट बम प्लांट किए गए थे, लेकिन इनमें से एक ही फटा था.

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