खुले में शौच : निगरानी की आड़ में आतंक, महिलाओं की वीडियोग्राफ़ी से बढ़ा आक्रोश

फ़हमिना हुसैन, TwoCircles.net

रोहतास (बिहार) : बिहार में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ओपन डेफिकेशन फ्री (ओडीएफ़) का दर्जा पाने के लिए गठित निरीक्षण टीम की कथित सख़्ती से ज़िला सासाराम में जान बचाकर भागे दो बच्चों की नदी में डूब कर मौत हो गई है. हालांकि उनका शव अभी नहीं मिला है और प्रशासन इस मौत की बात को मानने से इंकार कर दिया है.


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स्थानीय लोग बताते हैं कि, कुदरा में नदी के किनारे खुले में शौच करते कुछ लोगों को ओडीएफ़ की टीम खदेड़ने लगी. इसी भागने के क्रम में कुछ लोग नदी में कूद गए. कुदने वालों में दो बच्चे भी शामिल थे. लोगों की माने तो दोनों बच्चे उस नदी में डूब गए, जो अब तक लापता हैं. 

किसी भी प्रदेश में निगरानी टीम की कार्यवाही में बच्चों के डूबने या लापता होने की ये शायद पहली घटना होगी. हालांकि स्थानीय लोगों और बच्चे के परिवार वालों ने थाने में एफ़आईआर दर्ज कराने की कोशिश की. लेकिन पुलिस उन्हें मृत मानने के बजाए लापता मान रही है. इसलिए प्रशासन ने किसी भी मुआवज़े से इंकार कर दिया है.

ये घटना 3 अगस्त की है. अब इस घटना को लेकर जमकर हंगामा मचा गया है. स्थानीय लोगों ने NH-2 को जाम कर दिया और जमकर नारेबाजी की. इस घटना में एक अधिकारी को बंधक बनाए जाने की भी ख़बर है.

वही खुले में शौच करने गयी महिलाओ के साथ बदतमीज़ी, उनकी वीडियोग्राफी, पुलिस द्वारा कार्यवाही की घटनाये बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद बढ़ गयी है. भाकपा—माले ने इसको आतंक का नाम देते हुए प्रदेश भर में 5 अगस्त को प्रतिवाद सभा का आयोजन किया.

इस मामले में रोहतास के चेनारी थाना के थाना प्रभारी आनद कुमार इस पूरे मामले को ही झूठा बताते हैं. TwoCircles.net के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि, इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है. सिर्फ़ अफ़वाह की बुनियाद पर स्थानीय लोगों द्वारा उत्पात मचाया गया है. अफ़वाह फ़ैलाने वालों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया है. इस मामले में क़रीब 1500 लोगों पर केस दर्ज किया गया है.

बताते चलें कि खुले में शौच की प्रथा को समाप्त करने की नीयत से निरीक्षण टीम की कार्यवाही पूरे बिहार में चल रही है. ख़बरों के मुताबिक़ कई जगह गिरफ्तारियां भी हुई हैं. सबसे असहज स्थिति तब हो रही है, जब कथित रूप से शौच को गई महिलाओं की वीडियोग्राफ़ी कराई जा रही है. इससे महिलाएं अपमानित महसूस कर रही हैं.

जानकारों के मुताबिक़, वीडियोग्राफ़ी करने का कोई निर्देश सरकार द्वारा जारी नहीं किया गया है, लेकिन निगरानी टीम द्वारा लोगों में डर और शर्मिन्दगी पैदा करने का हवाला देकर सब कुछ रिकॉर्ड किया जा रहा है.

रोहतास ज़िले के तुर्कवलिया गांव की एक स्थानीय महिला नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर बताती है कि,  स्थानीय पुलिस पहले महिलाओं को शौच करते हुए वीडियो बनाती है. जब वो शर्म से भागने लगती हैं तो खदेड़ कर पकड़ती है और फिर उनसे पैसे वसूल करके छोड़ देती है.

स्थानीय लोगों की मानें तो इस तरह के वीडियो बनाकर व्हाट्सअप ग्रुप में शेयर किए जा रहे हैं. जिससे समाज में अश्लीलता पनप रही है. आमतौर पर पीड़ित महिलाएं दलित और ग़रीब समुदाय से हैं.

क्यों खुले में शौच को जाते हैं ये लोग?

ऐसा नहीं हैं कि लोग शौचालय नहीं बनवाना चाहते, लेकिन भ्रष्टाचार की वजह से सरकारी मदद लेना मुश्किल होता जा रहा है.

सासाराम के सरोज बताते हैं कि, सरकार द्वारा शौचालय बनवाने के लिए 12 हज़ार रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. दो महीने के भागदौड़ के बाद उन्हें पैसे मिलें, लेकिन मुखिया द्वारा उसमें 2 हज़ार रुपये ले लिए गए.

इसी तरह का मामला रोहतास में रहने वाले ओझा पासवान का भी. वो बताते हैं कि, मुखिया द्वारा 2 हज़ार रुपये का रेट कमीशन के नाम पर फिक्स है. शौचालय बनवाने के बाद वार्ड पार्षद और नगरपालिका के हज़ार चक्कर काटने पड़ते हैं. उसके बाद पैसे मिल भी जाएं तो कमीशन के तौर पर बाबुओं की जेब गरम करो. इससे अच्छा था कि खुल्ले में चले जाओ.

ओझा पासवान की पत्नी बताती हैं कि, हम रोज़ कमाने वाले मज़दूर लोग हैं. कैसे-कैसे करके पैसे जमा किया और शौचालय बनवाया, लेकिन उसमें भी पैसा आधा ही मिला. सरकार अच्छा करती है, लेकिन बिचौलिए ग़रीबों का खून पी जाते हैं.

इस पूरे मामले में सासाराम के नगरपालिका के एक अधिकारी इन सारे आरोपों को साफ़ तौर पर ख़ारिज कर देते हैं. उनका कहना है कि इस अभियान का मक़सद सिर्फ़ लोगों को जागरूक करना है, ताकि पर्यावरण में शुद्धता बनी रहे.

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