#HajFacts : हज कमिटी का सारा खर्च मुसलमानों से लेती है सरकार

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net


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नई दिल्ली : आपने हमारे #HajFacts के ख़ास सीरीज़ की पहली स्टोरी ‘सिर्फ़ हज फॉर्म से करोड़ों कमा लिए सरकार ने’ में पढ़ा कि कैसे हज कमिटी ऑफ इंडिया सिर्फ़ आवेदन फॉर्म के प्रोसेसिंग फ़ीस से 13.44 करोड़ रूपये कमाती है.

आज इस सीरीज़ में हम बताएंगे कि प्रोसेसिंग के नाम पर ये फ़ीस सिर्फ़ एक बार नहीं ली जाती है, बल्कि ड्रॉ में नाम आने के बाद फिर से प्रोसेसिंग फ़ीस ली जाती है और इस बार प्रोसेसिंग फ़ीस की ये रक़म 1000 रूपये होती है.

हज कमिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक़ जिनका नाम ड्रॉ में आ जाता है, उन सभी लोगों को हज कमिटी को 81 हज़ार रूपये अदा करने होते हैं. इस साल इसके लिए इसकी आख़िरी तारीख़ 31 मार्च 2017 रखी गई थी. यहां बताते चलें कि इस 81 हज़ार रूपये में से 80 हज़ार पेशगी हज की रक़म होती है (इस रक़म पर हम अलगे सीरीज़ में बात करेंगे) और 1000 रूपये फिर से प्रोसेसिंग फीस होती है.

हज कमिटी ऑफ इंडिया इस फ़ीस के बारे में बताती है कि हज कमिटी इसे अन्य खर्चों के लिए लेती है. इस रक़म में से 150 रूपये राज्यों के हज कमिटी को हैंडलिंग चार्ज के रूप में दिया जाता है. इसके अलावा अलग से 150 रूपये राज्यों के हज कमिटियों को हज हाउस के खर्चों के लिए दिया जाता है. इसके अलावा 200 रूपये इंबारकेशन पाइंट पर सहायक इंतेज़ामात करने वाली राज्य हज कमिटी को मुआवज़ा और 500 रूपये हज कमिटी ऑफ इंडिया के दफ़्तर के खर्च के लिए होता है. इसी रक़म में से हज कमिटी 100 रूपये की रक़म हज तरबियती प्रोग्राम करने के लिए राज्यों के हज कमेटियों को देती है.

हज कमिटी ऑफ इंडिया के डिप्टी सीईओ फ़ज़ल सिद्दीक़ी बताते हैं कि, इस तरह से हम 600 रूपये राज्यों के हज कमिटी को दे देते हैं. बाक़ी बचे 400 रूपये का इस्तेमाल हम पूरे साल अपने ऑफ़िस के खर्चों पर खर्च करते हैं.

स्पष्ट रहे कि अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय से हासिल दस्तावेज़ बताते हैं कि इस साल भारत से कुल 1,25,025 लोग हज पर जा रहे हैं. इनमें वीआईपी के लिए 500, ख़ादिमूल हुज्जाज के लिए 625 और मेहराम के लिए 200 सीट का कोटा रिजर्व है. इस तरह से 12.50 करोड़ रूपये हज कमिटी ऑफ इंडिया के पास आ जाते हैं. इससे पहले वो 24 जनवरी तक सिर्फ़ फॉर्म से लगभग 13.44 करोड़ रूपये कमा चुकी है. यानी हर साल मार्च महीना के आख़िर तक हज कमिटी के पास क़रीब 26 करोड़ रूपये जमा हो जाते हैं.

बताते चलें कि इस बार भारत सरकार को 34500 सीटों का अतिरिक्त कोटा मिला है. यानी इस बार देश  से कुल 1.7 लाख लोग हज को जाएंगे. यानी 44, 975 लोगों के कोटे का हिसाब अभी अलग से है. सरकार ये कोटा प्राईवेट टूर ऑपरेटर्स को दे देती है, जहां मनचाहे पैसे वसूल होते हैं.

यहां यह भी स्पष्ट रहे कि 2011 तक प्रोसेसिंग के नाम पर ये फ़ीस 700 रूपये थी, जिसे 2012 में बढ़ाकर 1000 रूपये कर दिया गया.

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