TwoCircles.net News Desk
लुधियाना : राजस्थान के ज़िला राजसमंद में बीते दिन 50 वर्षीय अफ़राजुल को क़त्ल करके जलाने की घटना की कड़ी निंदा करते हुए पंजाब के शाही इमाम मौलाना हबीब-उर-रहमान सानी लुधियानवीं ने कहा कि सांप्रदायिकता को घरेलू आतंक की तरफ़ ले गई इस घटना पर केंद्र सरकार की ख़ामोशी हैरतअंगेज़ है.
शाही इमाम ने कहा कि देश में आए दिन एक दूसरे के ख़िलाफ़ धर्म के आधार पर किए जा रहे क़त्ल भारतीय संस्कृति पर धब्बा लगा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि, अफ़राजुल को क़त्ल करने से पहले आरोपी ने वीडियो में लव-जिहाद का नाम लिया ताकि उसका जुर्म दुनिया की निगाह में छिप जाए. लेकिन हक़ीक़त तो यह है कि एक 50 वर्षीय मज़दूर जो कि अपनी बेटियों का भी विवाह कर चुका हो, को सिर्फ़ इसलिए क़त्ल किया गया ताकि आरोपी अपनी जनूनी धार्मिक कट्टरता दिखाकर देश में दहशत का माहौल पैदा कर सके.
शाही इमाम मौलाना हबीब-उर-रहमान ने कहा कि इस क्रूर क़त्ल के बाद केन्द्र सरकार व देश के सभी राजनेता जो कि छोटी-छोटी घटनाओं पर भी शोर मचाना शुरु कर देते हैं, की ख़ामोशी निंदनीय है. देश में अल्पसंख्यक समुदाय को डराने के लिए शुरु किया गया ये नया क़त्ल का खेल समाज को अराजकता की तरफ धकेल रहा है.
शाही इमाम ने कहा कि ऐसी घटनाएं समाज में दरार पैदा कर रही हैं, लेकिन धर्म के नाम क़त्ल करने वाले इस खाम-ख्याली में न रहे कि वह किसी एक समुदाय को डरा देगें.
उन्होंने मोदी सरकार पर निशाने साधते हुए कहा कि, बीते कुछ वर्षो से देश में अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी के मुद्दों को भुलाने के लिए भी कट्टरता फैलाई जा रही है. अब तक देश में जिन भी लोगों को भीड़ और कट्टरपंथियों ने क़त्ल किया है. उन सबका संबंध ग़रीब घरों से था, क्योंकि अत्याचार करने वाले ये काम मीडिया में आने के लिए करते हैं और हमेशा साफ्ट टारगेट ढूंढते हैं ताकि उन्हें बाद में क़ानून के शिकंजे से बचने में आसानी रहे.
शाही इमाम ने कहा कि दुख की बात यह है कि जब इतिहास लिखा जाएगा तो आज के समय जब पूरा विश्व प्रगति की ओर बढ़ता नज़र आएगा तो उसमें हमें धार्मिक कट्टरता के तौर पर पहचाना जाएगा.