आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
देवबंद : 07 दिसम्बर का दिन दारूल उलूम देवबंद के लिए बहुत ख़ास था. क्योंकि इस दिन पहली बार ईरान से एक तीन लोगों का प्रतिनिधिमंडल यहां पहुंचा था.
इस प्रतिनिधिमंडल का दारूल उलूम देवबंद ने का ज़ोरदार इस्तक़बाल किया. वहीं इस प्रतिनिधिमंडल के साथ यहां के दोनों नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल ख़ालिक़ संभली और मौलाना अब्दुल ख़ालिक़ मद्रासी ने लंबी बातचीत की.
नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल ख़ालिक़ संभली ने TwoCircles.net के साथ एक ख़ास बातचीत में बताया कि, ईरान के मशहूर विद्वान व ख़तीब सैय्यद मेहदी अली ज़ैदी मूसवी ने दारुल उलूम, देवबंद पहुंचकर ज़िम्मेदारों और विद्वानों, शिक्षकों के साथ बैठक की. यहां उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि ईरान और दारुल उलूम देवबंद की आवाज़ एक हो जाए. उन्होंने देवबंद दारुल उलूम की तारीफ़ करते हुए यह भी कहा कि ईरान के छात्रों को दारुल उलूम आकर रिसर्च करना चाहिए, क्योंकि यहां दीनी तालीम का समंदर है. उन्होंने यह भी कहा था कि दारुल उलूम के उस्तादों को ईरान में आकर पढ़ाना चाहिए.
अब्दुल ख़ालिक़ संभली ने बताया कि, ईरान के इस प्रतिनिधिमंडल ने हमें इस बात की भी जानकारी दी कि उनके नेतृत्व में काम करने वाला ईरान हज अनुसंधान केन्द्र 1200 से अधिक शीर्षकों में इस्लामी पुस्तकें प्रकाशित कर चुका है. हम चाहते हैं कि दारुल उलूम और ईरान के वैज्ञानिक संस्थान एक दूसरे से अपनी जानकारी बांट ले. इस प्रतिनिधिंडल ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि अब शिया–सुन्नी मतभेद ख़त्म करके क़रीब आने की ज़रूरत है. इस मौक़े पर ईरान के सांस्कृतिक रूप से प्रसिद्ध प्रवक्ता हलेद रज़ा भी मौजूद थे.
इस बैठक के दौरान दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम मौलाना अब्दुल ख़ालिक़ संभली और मौलाना अब्दुल ख़ालिक़ मद्रासी ने भी अपनी बातों को इस प्रतिनिधिमंडल के सामने रखा और शिया–सुन्नी रिश्ते सुधारने की क़वायद पर ज़ोर दिया.
ईरान से दारुल उलूम देवबंद पहुंचे ख़तीब सैय्यद मेहदी अली ज़ैदी मूसवी के दारुल उलूम पहुंचकर आपसी इख़्तिलाफ़ ख़त्म करने और मोहब्बत का पैग़ाम देने के बाद दोनों फ़िरक़ों के लोगों ने इस पहल का ज़ोरदार तरीक़े से खैर–मक़दम किया है.
मुज़फ़्फ़रनगर के मदरसा जमिया मिल्लिया इस्लामिया के मोहतमिम मौलाना अरशद क़ासमी ने इसे एक बेहतरीन क़दम बताया और कहा कि शिया–सुन्नी समुदाय को नज़दीक आकर बात करनी चाहिए और आपसी मतभेद को अब दरकिनार कर देना चाहिए.
कई शिया तंज़ीमों से जुड़े मुज़फ्फ़रनगर के एडवोकेट हैदर मेहदी ज़ैदी ने भी ईरान से दारुल उलूम के दौरे की प्रशंसा की है. उन्होंने कहा कि वक़्त की ज़रुरत है कि अपने आपसी मतभेद मिटाकर आपस में एक हो जाए.
एडवोकेट मोहम्मद उमर के मुताबिक़, शिया–सुन्नी समुदाय को एक करने और दारुल उलूम आने की शिया उलेमाओं कोशिश बहुत अच्छी है. अब इसी तरह की पहल दारुल उलूम को भी करनी चाहिए. उन्हें ईरान के दल की दावत क़बूल कर ईरान जाना चाहिए.
वहीं शिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ज़ोनल इंचार्ज मौलाना फ़सीह हैदर TwoCircles.net के साथ बातचीत में कहते हैं, मुसलमानों की कश्ती भंवर में है और हमारा मक़सद इसे मंज़िल पर पहुंचने से है. फिर आपसी मसलों पर हम कहीं भी बात कर लेंगे. फिलहाल मुश्किलों से तो निकले.
वो कहते हैं, शिया-सुन्नी मोहब्बत पर हज़रत सिस्तानी साहब का बयान बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने फ़रमाया था कि “सुन्नी सिर्फ़ हमारे भाई ही नहीं, बल्कि हमारी रूह और जान हैं.”
फ़सीह कहते हैं, बहुत जल्द दारुल उलूम से भी कुछ हज़रात ईरान जाएंगे.