सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net
वाराणसी : मलदहिया पर बनारस का पुराना रॉयल इनफील्ड का शोरूम है. खुराना ऑटोमोबाइल्स के नाम से. आसपास लोहे के सामानों का भरा-पूरा काम है. खुराना की दुकान के सामने अक्सर जाम लगा रहता है.
दुकान के सामने की पट्टी पर तीन बाटी-चोखे वाले हैं. तीनों ही इस जिले के नहीं है. एक बाटी और चोखे की कीमत 15 रूपए है. बाटी के अन्दर काजू और किशमिश भी मिल सकते हैं. ये बनारस भर में मशहूर है. गाज़ीपुर के रहने वाले 43 वर्षीय रामदरस यादव भी यहीं दुकान चलाते हैं. महीने में दो बार घर जाते हैं, यहां किराए पे रहते हैं.
‘वोट किसे देंगे’ के सवाल का सीधा जवाब रामदरस यादव के पास नहीं है. लेकिन एक आम विवेचना उनके पास ज़रूर मौजूद है, जो कि लगभग हरेक वोटर के पास मौजूद होती है.
रामदरस यादव कहते हैं, ‘वोट का कैसे बताएं? अभी समय है. एक बार जाएंगे. जिधर घर-पटीदार वोट करेगा उधर कर देंगे. ऐसा कुछ सोचे नहीं हैं.’ किराए के मकान में उनकी रिहाइश है तो रामदरस यादव का कहना साफ़ है, ‘गांव का तो बता दिए आपको, यहां जिधर मकान मालिक कहेगा, उधर दे देंगे.’
ग्राहकों, जिनमें मैं भी शामिल हूं, को चटनी-चोखा-प्याज पूछते हुए रामदरस यादव कहते हैं, ‘ऐसा तो कुछ सोचा है नहीं कि वोट किसको देना है, लेकिन एकाध बात सोचे हुए हैं. ऊ मन में आता है. एक तो आप अखिलेश को देखो. काम किया है. पब्लिसिटी के लिए बाप-चाचा-दादा से लड़ा लेकिन हम उसका बात नहीं करेंगे. हम काम का बात कर सकते हैं. लईका-सा है, लेकिन पेंशन, लेपटाप जैसा सामान बांटा है.’
यहीं पर मायावती पर बात करते हुए रामदरस कहते हैं, ‘मायावती के बारे में बात करिएगा तो साफे कह देंगे कि बहुत अच्छा राज की हैं. गुंडागर्दी रोक दीं, सबका बारे में सोचीं. हालांकि पईसा अंड का बंड खरचा की हैं. लेकिन उनके बारे में बस एक बात सोच के परेसानी होता है. आप देखो ये कि कोई अफसर से जूता-चप्पल उठवाता है का? आप ही पढ़े-लिखे हुए हो, आप लिखोगे, गाड़ी में चलोगे. पीसीएस बन जाओगे, त का नेता का जूता चप्पल उठाने के लिए पीसीएस बने. नहीं न? एही बात मायावती का सबसे गड़बड़ है, लोग पसंद करता है लेकिन तानाशाह के तरे कौन काम करता है?’
मायावती पर यह आरोप पहले से लगते रहे हैं कि सत्ता में रहने या न रहने से अलग मायावती ने शक्ति का दुरुपयोग किया है. एक ओर जहां दलित तबके में यह बात बहुत प्रचलित है कि मायावती अक्सर अपनी योजनाओं का अवलोकन करने खुद पहुंच जाती थीं, वहीँ थोड़ा बहुत जानकार लोग यह भी देख-समझ रहे हैं कि नौकरशाहों के साथ मायावती का सामजिक व्यवहार कैसा रहा है. इसके लिए मायावती की आलोचना भी बहुत होती रही है. विकिलीक्स द्वारा किए गए एक लीक में यह बात भी सामने आई थी कि मायावती ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी एक जूती के लिए लखनऊ से मुम्बई हवाई-जहाज रवाना कर दिया था, जिसका मायावती की ओर से खंडन भी किया गया था.
बहरहाल, रामदरस यादव इस गुंज़ाइश से इनकार करते हैं कि वे यादव होने की वजह से अखिलेश यादव के पक्ष में बोल रहे हैं. रामदरस कहते हैं, ‘देखिए, हमको कवन-सा जात का लाभ मिल जा रहा है? अखिलेश भी तो यही सब किए, सब जगह यादव लोग को भर दिए, हमको कुछ मिला. नहीं मिला.’
कांग्रेस के बारे में रामदरस यादव के पास एक मजबूत बात है. वे कहते हैं, ‘भाजपा आने वाली थी तो बहुत वादा की थी. हम लोग खुद ही भाजपा को वोट दिए थे उस बार. लेकिन कांग्रेस का आप देखिए तो खेतीबाड़ी या कामधाम के लिए मशीन, पैसा और सब ज़रूरी चीज उपलब्ध कराए. है न. लेकिन मोदी आए तो ऊ सबे कुछ अमेरिका जापान को सौंप दिए. का यानी एही बदे वोट दिए थे मोदी को कि आके सब सिस्टम हाई-फाई कर दें?’
लेकिन कांग्रेस के लिए अपने विचार को समेटते हुए रामदरस यादव कहते हैं, ‘कांग्रेस चोरी की. बहुत पईसा बनाई. लेकिन हम आपको एक बात बता दें, कि बीस लोग आपको गाली दे रहा है और पांच लोग भी आपका बड़ाई कर रहा है तो आप अच्छे आदमी हैं. किसान कांग्रेस को गाली नहीं देगा, मजदूर नहीं देगा, शहर में रहने वाला भीड़ देगा तो ऐसे में मजदूर या किसान का कौन सुने?’
दरअसल यह हाल रामदरस यादव का ही नहीं है. विधानसभा चुनावों में वोट करने वाले लोगों का एक बहुत बड़ा प्रतिशत मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए वोट नहीं करता है, बल्कि वह अपने विधायक के लिए वोट करता है. अव्वल तो वोट कई बार झुण्ड में दिए जाते हैं, जैसे रामदरस यादव देने जा रहे हैं. वो साफ़ कहते हैं कि उनके सोचने से कुछ नहीं होता, एक संगठित वोट करेंगे, चाहे माया को या अखिलेश को. ऐसे में इस पर भरोसा कर लेना कि वोट मुद्दे और पार्टी के नाम पर किए जाते हैं, यह एक भारी चूक है.