उत्तर प्रदेश : कैसा रहा पहला चरण, और क्या होगा दूसरे चरण का हाल?

आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net

मुज़फ्फरनगर : पहली बात मीरापुर विधानसभा से करते हैं. यह निश्चित था कि यह सीट बसपा आसानी से जीत जायेगी क्योंकि यहां 25 हजार मुसलमान और 50 हजार से ज्यादा दलित हैं. बसपा ने यहां बुढ़ाना से सपा के बाग़ी विधायक नवाजिश आलम को प्रत्याशी बनाया था. सपा ने यहां हाजी लियाक़त को बाद मे टिकट दिया. जब हम यहां पहुंचे तो लगभग सारे नौजवान अखिलेश-अखिलेश कर रहे थे/ सपा यहां कभी नहीं जीती है, मगर हार के बावजूद ऐसा उत्साह भी नहीं देखने को मिला. सुबह पोलिंग बूथ पर सिर्फ बसपा और सपा थी. भाजपा का वोटर हवा का रुख देखकर मूड बना रहा था.


Support TwoCircles

लोग धीरे-धीरे घर से निकलकर बड़ी हिकमत से वोट कर रहे थे. मैंने यहां रालोद के लोगों को एक जुनून की हद तक काम करते देखा है, जो सीट लखनऊ से बसपा की दिख रही थी, करीब से उसे कोई हार ही नहीं रहा है.

पहले चरण की वोटिंग के दौरान साम्प्रदायिकता का दखल कम रहा है. यहां लोग जातियो मे तो बंटे हैं, लेकिन धर्म में नहीं. इसलिए भाजपा को कमजोर कहा जा रहा है. पहले चरण में धीरे-धीरे साफ़ हो रहा है कि वोटिंग सपा और बसपा के बीच हुई है, मगर अखिलेश के प्रति लोगो में दीवानगी ज्यादा है. खास बात यह है कि अपनी छवि में बदलाव लाने के बहुत से तरीक़ो के बाद भी बहुसंख्यक समुदाय टस से मस नही हुआ है. मगर मुस्लिम अखिलेश को वोट कर रहा है, यह बात लगभग हर बूथ बोल देगा.

मुसलमानों की पहली पसंद अखिलेश यादव हैं लेकिन इत्तेफ़ाक़ से अखिलेश की पहली पसंद मुसलमान नहीं हैं. हाल के दिनों में अखिलेश यादव ने ‘मुस्लिम टैग’ से बचने के लिए ‘विकास पुरुष’ के रूप में अवतार लिया है. मगर पश्चिम में, जहां उनकी यादव बिरादरी की तादाद कम है, मुसलमानों ने ही उन्हें तमाम अपमान के बावजूद गले से लगाया है. यह अपेक्षाकृत अचंभित करने वाली बात है.

बसपा, रालोद और भाजपा के परम्परागत वोटों में कुछ बदलाव हुए हैं, कई वोट अपनी जगह बने हुए हैं. भाजपा इस चुनाव में एक नया प्रयोग कर रही है. इसे चुप रहना कहते है. भाजपा को देखकर लग रहा है जैसे वो चाहती हो कि सबको बंट जाने दो और खुद अडिग रहो. इस नीति के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.

पहले चरण की वोटिंग के बाद लगभग सभी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं क्योंकि वोट एकतरफा किसी को नहीं पड़ा है. जैसे सरधना में भाजपा के संगीत सोम, सपा के अतुल प्रधान और बसपा के इमरान याक़ूब तीनों ही मिठाई बांट रहे हैं. मुज़फ्फरनगर शहर में गौरव स्वरूप और खतौली में सपा के चंदन चौहान, पुरकाजी में कांग्रेस के दीपक कुमार और हस्तिनापुर में बसपा के योगेश वर्मा, शामली में कांग्रेस के पंकज मालिक और थानाभवन में राव वारिश की जीत लगभग तय मानी जा रही है.

कैराना से नाहिद का खेल आख़िरी वक़्त पर झिझाना के चैयरमेन सरफ़राज़ खान और एमआईएम की पतंग ने बिगाड़ दिया है. गाजियाबाद नोएडा में भी सपा बसपा ने अच्छा प्रदर्शन किया है, जबकि अलीगढ़ बेल्ट में सपा पिछड़ गयी है. बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, आगरा, एटा में इस बार मुक़ाबला भाजपा और बसपा के बीच है. यहां सपा के तीसरे नम्बर पर चले जाने के आसार बने हैं. यहां दुर्भाग्य से अखिलेश यादव को बहुसंख्यक समुदाय ने दिल खोलकर वोट नहीं दिया है. यह स्थान लोधबहुल भी है और टिकटों के वितरण में भी पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की चली.

शाहिद मंजूर के किठौर से एक बार फिर जीत सकते हैं. हालांकि एक बार बसपा प्रत्याशी ने उन्हें छींक दिलवा दी है.

दूसरे चरण का चुनाव इससे भी रोचक होगा. अभी तक भाजपा ‘साइलेंट मोड’ में चल रही है, जिससे पश्चिमी प्रदेश में पार्टी की गतिविधियों पर कोई राय नहीं बन पा रही है. शामली के सपा एमएलसी वीरेंद्र सिंह के बेटे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनीष चौहान को निर्दल चुनाव लड़ने और पार्टी लाइन के विरुद्ध चलने के कारण निष्कासित कर दिया गया था. वो चुनाव में दो बार के विधायक पंकज मालिक को जोरदार चुनौती दे रहे हैं. अब यह सीट कांग्रेस के कोटे में चली गयी थी. वीरेंद्र सिंह 6 बार विधायक रहे और मुलायम सिंह के क़रीबी कहे जाते हैं.

मेरठ शहर में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकान्त वाजपेयी की हार हो सकती है. रफ़ीक़ अंसारी उनके सामने तगड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं. सिवालखास से सपा के विधायक ग़ुलाम मोहम्मद के हारने के प्रबल आसार हैं. हस्तिनापुर के बारे में कहा जाता है कि जो यहां जीतता है, उसकी सरकार बन जाती है और यहां से बसपा के पूर्व विधायक योगेश वर्मा भारी अंतर से जीतने की स्थिति में हैं.

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE