बनारस: यहां भाजपा को आचार संहिता से दिक्कत क्यों है?

सिद्धांत मोहन, TwoCircles.net

वाराणसी: प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तारीख़ें घोषित होने के साथ ही आचार संहिता भी लागू हो गयी है. इसके साथ ही प्रशासनिक स्तर पर चुनाव प्रचार और बिना रसीद के कैश को लेकर ख़ास मुस्तैदी दिखाई दे रही है, लेकिन बनारस में भारतीय जनता पार्टी को ही आचार संहिता से खासी दिक्कत हो रही है. इसके लिए पार्टी के प्रतिनिधियों ने छिटपुट प्रदर्शन भी किए हैं और प्रशासन को ज्ञापन भी सौंप दिया है.


Support TwoCircles

भाजपा नगर प्रकोष्ठ ने नगर के कुछ व्यापारियों के साथ मिलकर आईजी जोन और कमिश्नर को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें प्रशासन से यह गुजारिश थी कि आचार संहिता के नाम पर व्यापारियों को परेशान न किया जाए. भाजपा का साथ मिलने की देर भर थी कि बनारस के व्यापारियों ने बनारस बंद की धमकी दे दी है.

व्यापारियों के प्रतिनिधि मंडल के साथ आईजी जोन एसके भगत से मिलने पहुंचे भाजपा के काशी क्षेत्र के अध्यक्ष लक्ष्मण प्रसाद ने प्रशासन पर आरोप लगाया है कि आचार संहिता की आड़ में व्यापारियों को परेशान किया जा रहा है. कैश की जांच को लेकर उनसे बुरा बर्ताव किया जा रहा है. लक्ष्मण प्रसाद ने कहा, ‘कैश की रसीद और ज़रूरी कागज़ दिखाने पर भी व्यापारियों से तरह-तरह के सवाल किए जा रहे हैं. इससे हमारे व्यापारी भाई मानसिक तौर पर प्रताड़ित हो रहे हैं.’

इसी के साथ व्यापारी वर्ग को अपनी ओर करने की कोशिश भाजपा द्वारा साफ़ तौर पर देखी जा सकती है. ज्ञात हो कि बीते साल नोटबंदी के बाद से सबसे ज्यादा मुसीबत व्यापारी वर्गों ने ही झेली थी, ऐसे में उनकी परेशानियों के हल निकालने की कोशिश जिला स्तर पर भाजपा द्वारा की जा रही है.

ऐसे में देखें तो ‘कैशलेस इंडिया’ की मुहिम सबसे तेज़ी से प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में ही दम तोड़ती नज़र आ रही है. भाजपा के नेताओं के साथ मिलकर व्यापारी नकदी लाने-लेजाने पर रोकटोक से क्षुब्ध हैं. व्यापारियों ने कहा है कि हमारा रोजाना का कारोबार लाखों रुपयों का है. बहुत सारा पैसा कैश में ही आता-जाता है, ऐसे में हमारे लिए हर नकदी के लिए कागज़ रखना मुमकिन नहीं है.

भाजपा के विरोध को लेकर पार्टी में ही विरोधाभास की स्थिति है. इस मामले में पार्टी के पूर्व मीडिया प्रभारी तिलकराज मिश्र का कहना है कि यदि मोदी जी कैशलेस सुविधाओं की बात कर रहे हैं तो व्यापारियों को इतनी नकदी लेकर ज़रुरत क्यों है? तिलकराज मिश्र कहते हैं, ‘सवाल तो ये भी है जब बैंकों से पैसा निकालने की सीमा है तो बनारस के व्यापारी इतनी नकदी कैसे लेकर चल रहे हैं? उसकी जांच होनी चाहिए. और यदि वे नकदी लेकर चलना ही चाह रहे हैं तो उन्हें साफ़ तौर पर उन पैसों की रसीदी रखनी होगी.’

तिलकराज मिश्र ने आगे कहा, ‘हालांकि यह शिकायत हमें रही है कि आचार संहिता का दुरुपयोग प्रशासन द्वारा किया जाता रहा है, लोग बेवजह परेशान होते हैं. ऐसे में यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आचार संहिता का बेजा इस्तेमाल न हो.’

तो क्या चंदे और वोटबैंक के लिए व्यापारियों के साथ खड़ी है भाजपा?

इस मामले में समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यमंत्री रह चुके मनोज राय धूपचंडी कहते हैं, ‘एक तो पहले भारतीय जनता पार्टी के लोग नियम बनाते हैं और फिर खुद ही नियम को तोड़ने की दलील देने लग जाते हैं. इनको पता था कि नोटबंदी के फैसले के बाद से व्यापारी वर्ग इनसे रूठा हुआ है तो इन लोगों ने उन्हें मनाने की कवायद शुरू कर दी.’

मनोज राय धूपचंडी आगे कहते हैं, ‘दरअसल बनारस में भी भाजपा बड़े व्यापारियों के साथ खड़ी है, जिन्हें 10-15 लाख या इससे ऊपर की राशि लेकर चलनी होती है. क्योंकि वे भाजपा को चंदा देते हैं और इनको टारगेट करने से व्यापारी वोटबैंक भी सध जाने के आसार हैं. लेकिन यहीं पर प्रश्न उठता है कि क्या भाजपा ने छोटे स्तर के व्यापारियों को क्यों छोड़ दिया है? उनकी क्यों नहीं सुन रहे हैं?’

बहरहाल प्रशासन ने व्यापारियों से वादा किया है कि वे यह सुनिश्चित करेंगे कि व्यापारियों को कोई दिक्कत न हो, लेकिन फिर भी सुविधाओं की आड़ में वे नियमों और क़ानून को ताक पर नहीं रख सकते.

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE