फ़हमिना हुसैन, TwoCircles.net
पटना : तालीम किसी भी समाज का आईना होता है. इतिहास गवाह है कि शिक्षित क़ौमों ने हमेशा तरक़्क़ी की है. किसी भी व्यक्ति के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए शिक्षा बेहद ज़रूरी है. अफ़सोस की बात यह है कि जहां समाज के अलग-अलग क़ौमों ने तालीम को विशेष अहमियत दे रहे हैं, वहीं मुस्लिम समाज इस मामले में आज भी बेहद पिछड़ा हुआ नज़र आता है. लेकिन शायद अब इस ज़रूरत को ओबैदुर रहमान ने समझ लिया है. इसीलिए वो अपने क़ौम को शिक्षित करने के मिशन में जुट गए हैं.
मुल्क़ से बाहर अपने प्रतिभा का लोहा मनवा चुके ओबैदुर रहमान ने अपने मुल्क़ और क़ौम के लिए शिक्षा की रौशनी से रौशन करने में जुटे हैं. बतौर बिहार फाउंडेशन के चेयरमैन ओबैदुर रहमान ने कुछ लोगों के साथ मिलकर RAHMAN’S 30 की स्थापना की है. ओबैदुर रहमान जहां सऊदी अरब में बिजनेसमैन हैं, वहीं सऊदी अरब में बिहार फाउंडेशन के अध्यक्ष भी हैं.
वो बताते हैं कि उन्होंने अपनी शुरूआती तालीम पटना के राजा राम मोहनराय स्कूल से की और आगे की पढाई बी.एन. कॉलेज पटना से मुकम्मल की. उसके बाद 1997 में सऊदी अरब चले गएं, जहां उन्होंने कुछ सालों तक नौकरी करने के बाद अपना बिजनेस शुरू किया और आज वो वहां आईटी सेक्टर में अपना बिजनेस कर रहे हैं.
अपने बातचीत में आगे बताते हैं कि, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 2014-15 के सर्वेक्षण के मुताबिक़, जब उच्च शिक्षा की बात आती है तो अल्पसंख्यक सभी सामाजिक समूहों में सबसे नीचे आते हैं, जिनमें सिर्फ़ 4.4 प्रतिशत स्टूडेंट ही हायर एजुकेशन के लिए दाखिला ले पाते हैं. मुसलमानों में अगर ड्रापआउट के आकड़ें को देखें तो 17.6 प्रतिशत के आस पास है. जो बच्चे किसी न किसी वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ देते हैं.
ओबैदुर रहमान आगे कहते हैं कि, यही वजह है कि मैंने RAHMAN’S 30 की स्थापना की. जिसमें सुपर30 के सहयोग से गरीब परिवारों के बच्चों को प्रतिष्ठित आईआईटी इंजीनियरिंग संस्थानों तक पहुंचाने में मदद की जा सके. जो अल्पसंख्यक समुदाय के 30 प्रतिभावान छात्रों को स्क्रीनिंग टेस्ट के माध्यम से चयन करेगा. जिससे आईआईटी और अन्य तकनीकी शिक्षा पाठ्यक्रमों के लिए तैयार अल्पसंख्यक समुदाय से प्रतिभाशाली युवाओं की मदद की जा सके.
इतना ही नहीं, RAHMAN’S 30 की स्थापना से पहले भी उन्होंने विश्वास नामक एक संस्था को शुरू किया जिसमें स्ट्रीट के बच्चों को एक बेसिक तालीम मुहैया कराने के साथ ही साथ उनमें अच्छा करने वाले बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाने में भी मदद की. लेकिन वो आगे अफ़सोस के साथ कहते हैं कि अपने बिजनेस में काफ़ी मशरूफ़ियत की वजह से इस स्कूल को समय नहीं दे पाने में असमर्थ रहें, जिससे उन्हें इसे बीच में बंद करना पड़ा था. लेकिन वो फिर से स्कूल को शुरू करने वाले हैं.
इससे आगे वो लड़कियों के तालीम के बारे में ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि, पिछले कुछ बरसों में स्कूलों में दाख़िला लेने वाले मुस्लिम बच्चों, ख़ासकर लड़कियों की तादाद बढ़ रही है. नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ प्राथमिक स्तर यानी पांचवीं तक की कक्षाओं में 1.483 करोड़ मुस्लिम बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. चूंकि अभी RAHMAN’S 30 की शुरुआत है. इसमें मेडिकल और आईएएस की तैयारी के लिए भी बच्चों को शामिल किया जायगा, जिसमें लड़कियों की तालीम को ख़ास तवज्जो दी जाएगी.
ओबैदुर रहमान अभी पटना की यात्रा पर हैं. TwoCircles.net से बातचीत में कहते हैं, ‘शिक्षा एकमात्र तरीक़ा है, जिससे कोई भी समाज में सार्थक योगदान दे सकता है, क्योंकि इसमें पीढ़ियों को बदलने की एक ताक़त है. जैसा कि मैंने सुपर30 में देखा है.’
वो कहते हैं कि, सुपर30 के आनंद कुमार मेरे अच्छे मित्र भी हैं, उनके कार्यों से मैं काफी प्रेरित रहा हूं.
ओबैदुर रहमान आगे कहते हैं, ‘जब मैं अरबाज़ आलम जैसे सफल छात्रों को देखता हूं, जो समाज के वंचित वर्ग से आने के बावजूद आईआईटी में शामिल हो गए हैं, तो मुझे ज़रूरतमंद छात्रों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक करने की प्रेरणा मिलती है. जिन बच्चों में क़ाबलियत है और वो कहीं न कहीं पीछे रह जा रहे हैं, उन्हें आगे लाने की ज़रूरत है ताकि मुस्लिम समाज और आगे बढ़ सके.’
ओबैदुर रहमान ने कहा कि, यह संस्थान उन छात्रों को मदद करेगी जो उच्च शिक्षा में आगे बढ़ना चाहते हैं. इंजीनियरिंग की तैयारी करना चाहते हैं. ख़ासकर उन छात्रों को मौक़ा मिलेगा जो उच्च शिक्षा में कुछ करना तो चाहते हैं, मगर सामर्थ्य नहीं हैं.
आगे की बातचीत में वो एक वाक़्या का ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि, उनके द्वारा शुरू की गई स्कूल में उन्होंने क़ुरान की तालीम को ज़रूरी किया था. जिसमें एक गैर-मुस्लिम बच्चे को क़ुरान की कुछ आयत याद हो गई. इस बात को लेकर उस बच्चे के माँ-बाप के पास बहुत से लोगों ने ये शिकायत की कि उसका बच्चा मुसलमान हो जाएगा. एक दिन उस बच्चे के पिता मेरे पास आएं और इन बातों का ज़िक्र करते हुए कहा कि तालीम कोई भी हो लोगों को इंसान ही बनाता है. इसलिए वो अपने बच्चे से खुश है, क्योंकि उसका बच्चा तालीम सिख रहा है. मैं इस बात को हमेशा याद रखता हूं कि तालीम लोगों को इंसान बनाता है.