TwoCircles.net News Desk
पुणे: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ‘अखंड भारत’ की अवधारणा का शहर के कुछ मुस्लिम उलेमाओं ने समर्थन किया है.
एक कार्यक्रम के तहत समाजसेवी एवं शिक्षाविद पी.ए. इनामदार के मार्गदर्शन में मुस्लिम समाज और उलेमाओं ने पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफ़गानिस्तान को फिर से भारत में मिलाने को वक़्त की ज़रूरत क़रार दिया है.
कैंप स्थित रंगूनवाला कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस के आज़म कैंपस में आयोजित कार्यक्रम में इनामदार ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव जारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शक्तिशाली और शांतिपूर्ण राष्ट्र के निर्माण के लिए भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश एवं अफ़गानिस्तान को पुन: मिलाने की मांग की है. संभवत: यह पहला मौका है जब मुस्लिम समुदाय ने संघ की इस अवधारणा का खुलकर समर्थन किया है.
बाद में इनामदार के प्रचार कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि आज़म कैंपस अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में मुस्लिमों पर हो रहे हमलों की निंदा करता है और यह मानता है कि सीमाओं पर शांति व्यवस्था स्थापित किए बिना देश में शांति क़ायम नहीं की जा सकती.
सामाजिक संस्था अवामी महाज़ के बैनर के तले पी.ए. इनामदार की अगुवाई में विभिन्न मस्जिदों के 200 मौलाना, ट्रस्टी केयरटेकर और मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को एम.ए. रंगूनवाला डेंटल कॉलेज, आज़म परिसर में एक बैठक आयोजित की थी, जिसमें शांति और समृद्धि के लिए अखंड भारत को ज़रूरी बताया गया.
बैठक में शामिल विद्वानों ने मस्जिदों को आस-पड़ोस में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के केंद्र के रूप में विकसित करने का फैसला लिया.
इस बैठक की अध्यक्षता महाराष्ट्र कॉस्मोपॉलिटन एजुकेशन (एमसीई) सोसाइटी के अध्यक्ष, आज़म कैंपस के संचालक और अवामी महाज़ के अध्यक्ष पी.ए. इनामदार ने की.
इस मौके पर अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सदस्य मौलाना निजामुद्दीन फ़खरुद्दीन, पुणे ज़िला सुन्नी जमात के अध्यक्ष मौलाना अयूब अशरफ़ी, अखिल भारतीय इमाम परिषद के मुफ्ती अहमद हसन, इस्लामिक विद्वान अनीस चिस्ती और मौलाना शबीह अहसान काज़मी उपस्थित थे.
हिंदू-मुसलमान नहीं भारतीय कहो
इनामदार ने कहा कि यहां मौजूद सभी लोग इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं और हर शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद पुणे की मस्जिदों में इसे पढ़ा जाएगा. अपने इस क़दम के बारे में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “आजकल मीडिया विकास संबंधी समाचारों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय भावनात्मक मुद्दों को दिखाता है. अंग्रेज़ों ने चतुराई के साथ धार्मिक आधार पर हमें विभाजित किया था, ताकि हम लड़ते रहें. अब, हमें आउट-द-बॉक्स समाधान की आवश्यकता है. आतंकवादियों के हाथों मारे गए और पीट-पीटकर मौत के घाट उतारे गए लोगों को हिंदू या मुस्लिम नहीं, बल्कि भारतीय के रूप में देखा जाना चाहिए. अब एक संयुक्त मोर्चा बनाने का समय आ गया है.”
क्या कहता है प्रस्ताव
“यह ज्ञात है कि देश की सीमाओं पर शांति के बिना, भारतीयों का पूर्णकालिक आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास नहीं हो सकता. सीमाओं पर अशांति के कारण, रक्षा बजट में पिछले कई सालों से तेज़ी से इज़ाफ़ा किया जा रहा है. इसलिए, कई विकास परियोजनाएं लागू नहीं की जा सकीं (धन की कमी के कारण). अंग्रेज़ों ने एक सुनियोजित साज़िश के तहत देश का विभाजन किया था. हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हैं कि पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश को शामिल करते हुए ‘अखण्ड भारत’ की दिशा में आगे बढ़ा जाए, ताकि आज़ादी के पूर्व और पश्चात के नायकों के सपने को साकार किया जा सके. यह भारत के महाशक्ति बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा. यदि ऐसा होता है, तो शांतिपूर्ण सह अस्तित्व का भारतीय संस्कृति का संदेश दुनिया भर में भेजा जा सकता है.”
विरोध भी शुरू हुआ
इस बीच, मुस्लिम समुदाय के एक तबक़े ने इस प्रस्ताव की निंदा की है. उनका कहना है कि, “इनामदार और मौलानाओं ने शैतान के साथ हाथ मिलाकर समुदाय को अंधेरे में धकेल दिया है.”
इस तबक़े ने इनामदार से माफ़ी मांगने और एमसीईएस सोसाइटी के अध्यक्ष पद से तुरंत इस्तीफ़ा देने की मांग की है. उधर देश भर में मुस्लिमों को निशाना बनाए जाने के विरोध में कोंढवा में हुए विरोध-प्रदर्शन में शामिल मुसलमानों ने भी इनामदार के क़दम को आत्मघाती क़रार दिया है.