आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
मुज़फ़्फ़रनगर : संघर्षवादी समाजवादी का नारा देने वाले तमाम सपा नेता अब रोज़ी-रोटी की मशक्क़त के लिए सड़क पर उतर आए हैं. समाजवादी पार्टी की सरकार में भले ही इन्होंने कारोबारी ज़रूरत ना समझी हो, मगर अब चर्चित नेता भी मेहनत मशक्क़त करके पेट पालते नज़र आ रहे हैं.
समाजवादी पार्टी के मुज़फ़्फ़रनगर विधानसभा के उप-चुनाव में स्टार प्रचारक रहे राशिद अब्बासी भी ऐसे ही एक नेता हैं, जो अब सड़क के किनारे मक्का की ठेली लगाकर भुट्टा बेच रहे हैं.
यह बात इतना सामान्य नहीं है जितनी दिखाई देती है, क्योंकि राशिद अब्बासी के नाम का कभी पूरे मुज़फ़्फ़रनगर में डंका बज रहा था. यहां तक कि तमाम बड़े नेता गनर मांगने की सिफ़ारिश में लगे रहें, मगर राशिद अब्बासी को दो बार गनर मिला.
राशिद अब्बासी उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के एकमात्र ऐसे कार्यकर्ता हैं, जो 2007 में सड़कों पर अकेले संघर्ष करते दिखाई दिए. तब रिक्शा चलाकर अपना पेट पालते थे. बाद में वो समाजवादी पार्टी की विज्ञप्ति अख़बारों के दफ्तर में पहुंचाने लगे.
युवजन सभा के पूर्व ज़िलाध्यक्ष शमशेर मलिक के मुताबिक़ राशिद अब्बासी एक सामान्य कार्यकर्ता नहीं है. समाजवादी पार्टी के तमाम बड़े नेता उन्हें पहचानते हैं. यह उसकी ईमानदारी है कि सरकार में ताक़तवर होने के बावूजद उसने धन इकठ्ठा नहीं किया, इसलिए मेहनत मज़दूरी करके अपना पेट भर रहा है. राशिद अब्बासी को 2015 में शिवपाल सिंह यादव के कहने पर गनर उपलब्ध कराया गया था, जिसे राशिद अपनी साईकिल पर बैठाकर घूमाता रहा. बाद में एक अफ़सर को और कुछ नेताओं को यह बुरा लगा तो गनर वापस ले लिया गया. लेकिन तब राशिद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास सीधे पहुंच गया. राशिद अब्बासी को पुनः गनर मिल गया.
स्थानीय नागरिक शाहिद मलिक के मुताबिक़ जब सपा नेता कुर्ते पर दाग़ नहीं लगने देते थे तो राशिद पुलिस के डंडे खाता था. एक बार उसने सबको हैरत में डालते हुए विरोध-प्रदर्शन के दौरान उस समय की मुख्यमंत्री मायावती के होर्डिंग पर कालिख पोत दी. बस पुलिस ने राशिद की ‘रेल’ बना दी.
शाहिद आगे बताते हैं कि, सपा सरकार में राशिद का अलग दबदबा था. अफ़सर उसे खड़े होकर सलाम करते थे. तमाम बड़े नेता इस बात से चिढ़ते थे. पैदल चलकर यह राशिद अब्बासी दौड़ रहा था और बड़ी गाड़िया पंक्चर हो गई थी.
शाहिद के मुताबिक़, 2014 तक राशिद के पास अपना घर नहीं था. उसने सपा सरकार के काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव के सामने अपना दुखड़ा रो दिया. आप जान लीजिए कि शिवपाल ने खुद खड़े होकर उसका घर बनवाया और बेहतरीन फर्नीचर की व्यवस्था की.
यह है राशिद की कहानी. इसकी हज़ारों कहानियां यहां बिखरी पड़ी हैं. लेकिन अब यह राशिद अब्बासी आपको सरवट गेट के बाहर भुट्टा बेचते मिल जाएगा.
राशिद अब्बासी TwoCircles.net के साथ बातचीत में कहते हैं, ‘घर की लड़ाई में सब स्वाहा हो गया. उम्मीद है सब एक हो जाएंगे.’ फिर वो आगे कहते हैं कि, ‘कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता. जनता का आदमी हूं, जनता के बीच हूं.’
बताते चलें कि एक बार राशिद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के होर्डिंग पर कालिख पोतने के लिए भी मार खा चुके हैं.