क्या बजरंग दल के लिए काम कर रही है राजस्थान की पुलिस?

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net

नई दिल्ली : बजरंग दल की हक़ीक़तों पर से नक़ाब उठाने की कोशिश दिल्ली के तीन खोजी पत्रकारों को महंगी पड़ गई. लेकिन इस बार बदतमीज़ी व अभद्रता बजरंग दल के लोगों ने नहीं, बल्कि पुलिस प्रशासन के लोगों ने की. 


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राजस्थान के हनुमानगढ़ शहर में बजरंग दल के लोग एक स्थानीय स्कूल में बच्चों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रहे थे. बजरंग दल ये ट्रेनिंग ‘आत्मरक्षा शिविर’ के तहत देती है. राजस्थान के अलग-अलग हिस्सों में ये शिविर आयोजित करने के बाद इस बार ये शिविर हनुमानगढ़ शहर के एक स्कूल में लगाई गई थी. यह शिविर 14 से 21 मई तक चला. इसमें 14 से 17 साल के बच्चों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी गई. दरअसल, ये ट्रेनिंग एक समुदाय विशेष ख़िलाफ़ दी जा रही थी.

इस विशेष ‘ट्रेनिंग’ की ख़बर मिलने पर दिल्ली के तीन पत्रकार हनुमानगढ़ पहुंचे. उन्होंने बजरंग दल के लोगों से मुलाक़ात की और इस ट्रेनिंग प्रोग्राम की हक़ीक़त व मक़सद को जानने की कोशिश की. और इसमें वो कामयाब भी रहें.

इन तीन पत्रकारों में से एक मुस्लिम पत्रकार असद अशरफ़ भी शामिल थे, जो इस समय दिल्ली के अंग्रेज़ी दैनिक स्टेट्समैन में काम करते हैं.

असद अशरफ़ बताते हैं कि, बजरंग दल के लोग यहां छोटे-छोटे मासूम बच्चों को बंदुक व तलवार चलाना सिखा रहे हैं. यही नहीं, चलाने के साथ-साथ बंदुक बनाने की भी ट्रेनिंग दी गई. उन्होंने खुद ये सारी बातें स्वीकार की. उन्होंने हम से बातचीत में यह भी बताया कि उनके दल में गौ-रक्षक भी शामिल हैं. उन्होंने अपने काम करने के तरीक़ों के बारे में भी बताया. बताया कि कैसे हमें जब रात में सूचना मिलती है तो हम निकल जाते हैं. पहले पिटाई करते हैं, फिर पुलिस को इंफॉर्म करते हैं. कई बार पहले ही पुलिस को बता देते हैं. उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि राज्य में भाजपा की सरकार होने से थोड़ी आसानी हो गई है. लेकिन स्टेट तो स्टेट है. बावजूद इसके हमें कांफिडेंस रहता है कि हमारी सरकार पावर में है तो हम डरते नहीं हैं.

असद बताते हैं कि इन लोगों के साथ हमारा एक्सपिरियंस काफी अच्छा रहा. हमारी स्टोरी के लायक़ हमें मैटेरियल मिल चुका था. अब हम दिल्ली वापस लौटने के लिए होटल अपना बैग़ लेने गए तो शायद होटल मालिक को कुछ शक हो गया था. बजरंग दल के कुछ लोग भी वहां पहुंच चुके थे. एक स्थानीय पत्रकार ने आकर बजरंग दल के लोगों से बात की. कुछ बदला-बदला सा माहौल दिखा. इससे पहले कि हम खुद पुलिस को कॉल करके बुलाते, पुलिस खुद ही पहुंच गई. और फिर हम तानों के साथ बदतमीज़ी करते हुए हनुमानगढ़ जंक्शन थाना थाने ले आई. थाने में भी बदतमीज़ी की गई. एक एएसआई शंभुदयाल स्वामी कुछ ज़्यादा ही बदतमीज़ी से बोला, ‘तू कौन है बता. तू संदिग्ध है.’ मेरे परिचय देने के बाद शंभुदयाल ने कहा, ‘अभी बताता हूं पत्रकार क्या होता है. तुझे जूत मारूंगा चाहे सस्पेंड क्यों न हो जाऊं.’

पुलिस का ये रवैया इन पत्रकारों को और भी हैरान कर गया. पुलिस उल्टे बजरंग दल की आवाज़ में इनसे बातचीत कर रही थी. जबकि असद का कहना है कि बजरंग दल के लोगों ने हमारे साथ कोई बदतमीज़ी नहीं की. सारी बदतमीज़ी व अभद्रता पुलिस वाले ही कर रहे थे.

इन तीन लोगों में शामिल फोटो जर्नलिस्ट विजय पांडेय बताते हैं कि, हमने इलाक़े में रिपोर्टिंग करते वक़्त खुद को ज़्यादा असुरक्षित महसूस नहीं किया लेकिन थाने में हर पल खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे थे.

वहीं आउटलूक से जुड़े पत्रकार अनुपम पांडेय का कहना है कि, जब तक बजरंग दल के लोगों को ये पता नहीं था कि हम तीनों में कोई एक मुसलमान भी है, तब तक वो बहुत अच्छी तरह से हमारा साथ दे रहे थे. हमारे साथ थे. बहुत अच्छा व्यवहार कर रहे थे. लेकिन जैसे ही पता चला कि इनमें कोई एक मुसलमान है तो उनका व्यवहार बदल जाता है. हालांकि उनके इस व्यवहार में कुछ नया नहीं था.

अनुपन आगे बताते हैं कि, दरअसल, मुझे सबसे अधिक हैरानी पुलिस के रवैये व व्यवहार से हुआ. ऐसा लग रहा था कि वो प्रशासन के लिए काम नहीं करते, बल्कि बजरंग दल व गौ-रक्षकों के लिए काम करते हैं. अब अगर पुलिस बजरंग दल के गुंडों की तरह काम करेगी तो आम लोगों का क्या होगा. हम तो फिर भी जर्नलिस्ट थे. हमारे लिए सैकड़ों लोगों ने दिल्ली से फोन कर दिया.

असद अशरफ़ का कहना है कि, स्थानीय पुलिस को बजरंग दल के हर एक्टिविटी की जानकारी है. सात दिन चले ट्रेनिंग प्रोग्राम से भी वो वाकिफ़ थे. लेकिन पुलिस इन्हें रोकने के बजाए इनका साथ देती है. और अगर कोई रोकने की कोशिश करता है तो पुलिस उसे ही प्रताड़ित करती है.

हिन्दुत्ववादी संगठनों के दिनों-दिन बढ़ते आक्रामक तेवर के पीछे एक बड़ी सच्चाई सत्ता व प्रशासन का खुला व अंधा सहयोग है. हनुमानगढ़ की इस घटना ने भी इसी हक़ीक़त को एक बार फिर से बेपर्दा कर दिया है. सवाल ये है कि प्रशासन व पुलिस खुद ऐसे तत्वों के साथ मिलकर काम करेंगे तो इन्हें कौन रोकेगा? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई बार गौ-रक्षकों समेत ऐसे उपद्रवी तत्वों पर लगाम लगाने की मंशा ज़ाहिर कर चुके हैं. उसकी हक़ीक़त क्या वही है जो राजस्थान के हनुमानगढ़ में नज़र आई है.        

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