अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net
गुमला : झारखंड में एक बार फिर से ज्यू़डिशियल कस्टडी में मौत का मामला सामने आया है. इस बार 24 साल के इमरान खान को मौत की नींद सुला दिया गया है. इससे पूर्व 2016 के अक्टूबर महीने में मिन्हाज़ अंसारी नामक एक युवक को झारखंड के जामताड़ा में कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मार डाला गया था.
पुलिस के मुताबिक़ इमरान खान को अवैध लदी लकड़ी के ट्रक के साथ सिसई थाने की पुलिस ने 13 फ़रवरी को गिरफ्तार किया था. पुलिस का कहना था कि गाड़ी का ड्राइवर इमरान था. इसी मामले में 27 फ़रवरी यानी सोमवार को कोर्ट में पेशी के बाद जब इमरान को जेल ले जाया गया, तो वह बेहोश हो गया. उसे शाम 5.55 बजे अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.
लेकिन इमरान के परिवार वालों का कहना है कि इमरान बेक़सूर था. वह तो नमाज़ पढ़कर आ रहा था तो पुलिस ने उसे 11 फ़रवरी को गिरफ़्तार कर लिया था. इमरान को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं थी. कोर्ट के पेशी के दौरान अपने वकील से मुलाक़ात के दौरान भी बिल्कुल सही था.
TwoCircles.net के साथ बातचीत में इमरान के बड़े भाई तौहीद ख़ान का कहना है, ‘मेरे भाई इमरान को पुलिस व जेल प्रशासन दोनों ने मिलकर मारा है. वो कोर्ट में पेशी के दौरान बिल्कुल सही था. सुबह ही मैंने उससे जेल में मुलाक़ात की थी. मेरे वकील भी इस दिन पेशी के दौरान 3 बजे तक इमरान के साथ थे.’
तौहीद आगे बताते हैं कि, ‘28 फ़रवरी को सुबह 7 बजे गुमला सदर अस्पताल से किसी ने फोन करके बताया कि आपके भाई की लाश पड़ी है. ये ख़बर सुनते ही हम सब अस्पताल भागें. वहां अभी भी इमरान के हाथ में हथकड़ी लगी हुई थी. डॉक्टरों से पूछने पर पता चला कि पुलिस वाले कल शाम ही इसे लेकर आए थे. वो इमरान को भर्ती करने को कह रहे थे, लेकिन इमरान पहले ही दम तोड़ चुका था, इसलिए अस्पताल वालों ने भर्ती करने से मना कर दिया. लेकिन पुलिस वाले इसे छोड़कर भाग गए.’
तौहीद सवालिया अंदाज़ में पूछते हैं कि, ‘अगर इमरान की मौत बेहोश होने की वजह से हुई है, तो पुलिस या जेल प्रशासन ने हमें ख़बर क्यों नहीं किया. वो अस्पताल में ही इमरान की लाश छोड़ कर क्यों भाग गए.’
वो आगे बताते हैं कि, ‘पूरा एक हफ़्ता गुज़र जाने के बाद भी इस मामले में पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी नहीं आ सका है. जेल प्रशासन ने पुलिस के साथ मिलकर मेरे बेक़सूर भाई को मार डाला.’
इमरान के वकील मो. मक़सूद भी TwoCircles.net के साथ बातचीत में बताते हैं कि, ‘मैं तीन-साढ़े तीन बजे तक इमरान के साथ ही था. वो बिल्कुल सही था. उसकी मौत जेल में ही हुई है. उसे बेरहमी से पीटा गया है. उसके शरीर पर कई जगह गहरे चोट के निशान हैं. ख़ासतौर पर गर्दन व पीठ पर पड़े गहरे निशान को साफ़ तौर पर सबने देखा है. मुंह व नाक से खून भी आ रहा था.’
वो आगे बताते हैं, ‘हमने इस मामले में एफ़आईआर दर्ज करा दी है. जेल के तमाम अधिकारियों के खिलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए और क़ानून के मुताबिक़ इमरान के परिवार को उचित मुवाअज़ा मिलना चाहिए. लेकिन पुलिस उन्हें बचाने में लगी है. अभी तक पोस्टमार्टम नहीं मिला है.’
भले ही इमरान के बड़े भाई तौहीद खान व उनके वकील मक़सूद यह कह रहे हों कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिला है, लेकिन यहां की स्थानीय मीडिया मौत के अगले ही दिन से यह ख़बर प्रकाशित कर रही है कि ‘पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इमरान के दिमाग़ का नस फट जाने की बात सामने आई है.’
बताते चलें कि इमरान का पूरा परिवार गुमला के सिसई गांव में रहता है. ग़रीब परिवार से संबंध रखने वाला इमरान इसी गांव में एक दुकान में गोदरेज बनाने का काम करता था. उसके पिता सईद खान 8-9 साल पहले ही इस दुनिया को छोड़कर जा चुके हैं. घर में मां के अलावा एक छोटी बहन और 6 भाई हैं. इसका नंबर घर में तीसरा था. इमरान के बड़े भाई तौहीद के मुताबिक़ उसे ड्राइविंग ज़रूर आती थी, लेकिन उसने कभी भी बड़ी गाड़ी नहीं चलाया है.
असोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स के झारखंड चैप्टर का एक डेलीगेशन गुमला पहुंचकर इस मामले में फैक्ट फाइडिंग कर चुका है. इस रिपोर्ट को एक प्रेस वार्ता के दौरान जारी भी कर दिया गया है. इस रिपोर्ट में भी विचाराधीन क़ैदी इमरान खान की न्यायायिक हिरासत में संदेहास्पद मौत की निंदा की गई है. वहीं झारखंड विकास मोर्चा ने भी इस मामले में सरकार से मांग की है कि मृत के परिवार को पचास लाख रुपये का मुआवज़ा व एक को सरकारी नौकरी दी जाए.
इमरान की मौत का दुख जेल में रहने वाले क़ैदियों को भी है. मौत के बाद इस जेल में बंद 700 क़ैदियों इमरान के इंसाफ़ के लिए भूख हड़ताल पर बैठे और जेल प्रशासन पर कई गंभीर आरोप भी लगाएं. वहीं इस मौत पर पूरे गांव वाले भी इमरान के परिवार के साथ हैं. 15 मार्च को इलाक़े के आम लोगों द्वारा मौन जुलूस निकालने की योजना है.