Home India News गोश्त न मिलने पर पागल हो रहे हैं गली के कुत्ते

गोश्त न मिलने पर पागल हो रहे हैं गली के कुत्ते

TwoCircles.net News Desk

कानपुर : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की अवैध बूचड़खाने बंद कराने की मुहिम से जहां एक तरफ़ मीट कारोबारियों में हड़कंप मच गया है, वहीं इसका सीधा असर जानवरों पर भी दिखने लगा है.

कानपुर के चिड़ियाघर में जानवरों के भूखे रहने की ख़बर भी मीडिया में आ चुकी है. यहां जानवरों को खिलाने के लिए दो दिन तक गोश्त ही नहीं मिल सका. यही हाल इटावा के लायन सफारी का भी रहा. यहां भी शेरों को भैंस का गोश्त नहीं मिल पा रहा था, यहां शेरों को ज़िंदा रखने के लिए बकरे का गोश्त दिये जाने की ख़बर मीडिया में आ चुकी है.

इन दोनों की ख़बर से आम आदमी को कोई परेशानी नहीं हुई है, लेकिन अब अगली ख़बर जो कानपुर से है, इसका सीधा असर आम लोगों पर होता दिख रहा है.

कानपुर में पूरे शहर में गोश्त की दुकानें बन्द हैं. गोश्त मिलने के कारण कानपुर के कुछ इलाक़ों में गली के कुत्ते पागलपन के शिकार हो रहे हैं और वो बच्चोंबड़े लोगों पर हमले करने लगे हैं.

कानपुर के वार्ड वार्ड नम्बर 108, बेगम पुर्वा से राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता अक़ील अहमद शानू ने ज़िला अधिकारी को एक ज्ञापन देकर गोश्तबंदी के बाद गली के आवारा कुत्तों के ज़रिए बच्चों व राहगीरों पर पर हमले बढ़ने की शिकायत करते हुए  नगर निगम की तरफ़ से इन पागल कुत्तों को पकड़वाने की फ़रियाद की है.

अक़ील अहमद ने बताया कि मुस्लिम बाहुल्य इलाक़ों मुंशी पुरवा, बेगम पुरवा, इसराईल मार्केट, नई बस्ती आदी जगहों में अधिक संख्या में गोश्त की दुकानें थीं. जहां से निकलने वाले गोश्त के अवशेष से कुत्तों के खाने का इंतज़ाम होता था. लेकिन योगी सरकार में बूचड़खानों पर कार्रवाई और उसके विरोध में दुकानों के बन्द होने से आवारा कुत्तों के सामने खाने की भारी किल्लत पैदा हो गई है. गोश्त मिलने से आवारा कुत्ते पागल होकर लोगों पर हमले करने लगे हैं.

ख़ासकर गोश्त की दुकानों के आसपास ये आवारा कुत्ते भूख से भटक रहे हैं. जैसे ही कोई आदमी उन्हें गली में नज़र जाता है तो वह उस पर हमला कर देते हैं. आवारा कुत्तों के इस पागलपन की वजह से बच्चों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है. मातापिता अपने बच्चों को बाहर भेजने से कतरा रहे हैं. शाम को जल्दी ही लोग अपने घर के दरवाज़े बन्द कर लेते हैं. रात को इन पागल कुत्तों के हमले और भी बढ़ जाते हैं. इनके भोंकने की आवाज़े और राहगीरों पर हमले की आवाज़ें स्थानीय लोगों की नींद ख़राब कर रही है.

ज़िला अधिकारी को दिए इस ज्ञापन में उन्होंने ये मांग किया है कि नगर निगम की ओर से एक अभियान चलाकर इलाक़े के तमाम आवारा जानवरों को पकड़ा जाए ताकि आम राहगीरों को इनसे निजात मिल सके. स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि इन आवारा कुत्तों को पकड़ने के बाद रात के समय पुलिस इलाक़े में तैनात रहे, क्योंकि इलाक़े में कुत्तों के न रहने की सूरत में चोरी की वारदात बढ़ने की संभावना है, क्योंकि यही कुत्ते आम दिनों में इलाक़े में चोरों के आने पर भोंकने का काम करते थे और कई बार चोर पकड़े भी गए हैं.