TwoCircles.net News Desk
बलिया : भाजपा डॉ. अम्बेडकर के विचारों की हत्या करने के लिए अभियान चला रही है. जिसमें दलित समाज से आने वाले भाजपा नेता और रामविलास पासवान, रामदास अठावले और उदित राज जैसे लोग इसमें भाजपा की मदद कर रहे हैं. भाजपा चाहती है कि दलित डॉ. अम्बेडकर की तस्वीर तो पहचाने, लेकिन उनके विचार उस तक नहीं पहुंचे.
ये बातें वरिष्ठ पत्रकार और दलित विचारक अनिल चमड़िया ने हरपुर मिढ्ढी स्थित बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर छात्रावास में आयोजित गोष्ठी ‘वर्तमान राजनीतिक परिदृष्य और डॉ. अम्बेडकर की विचारधारा’ में बतौर मुख्य वक्ता कहीं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफ़ेसर और मास मीडिया व जन मीडिया के सम्पादक अनिल चमड़िया ने कहा कि आज दलितों के सामने सबसे बड़ी चुनौती भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने से बचाने की है, क्योंकि अगर भारत हिंदू राष्ट्र बन जाता है तो मुसलमानों से भी ज्यादा नुक़सान दलितों का होगा. इसीलिए डॉ. अम्बेडकर अपने भाषणों और लेखों में लगातार दलित समाज से भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात करने वाले तत्वों से सावधान रहने और इनका विरोध करने का आह्वान करते रहे.
अनिल चमड़िया ने डॉ. अम्बेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि उनका बौद्ध धर्म स्वीकार करना हिंदुत्व के प्रति उनके नज़रिए को साफ़ करता है कि क्यों डॉ. अम्बेडकर कहते थे कि वे बतौर हिंदू पैदा ज़रूर हुए, लेकिन वे बतौर हिंदू नहीं मरना चाहते.
अनिल चमड़िया ने कहा कि आज भाजपा और संघ परिवार अम्बेडकर का साम्प्रदायिकरण करने और दलितों को मुसलमानों के खिलाफ़ खड़ा करने के उद्देश्य से उन्हें मुस्लिम विरोधी साबित करने पर तुली है. इसीलिए वे ये तो बता रहे हैं कि डॉ. अम्बेडकर 370 के खिलाफ़ थे, लेकिन वे दलितों को ये नहीं बता रही है कि डॉ. अम्बेडकर हिंदू धर्म के खिलाफ़ क्यों थे. इससे दलितों को सावधान रहने की ज़रूरत है. दलितों को आज सबसे ज्यादा डॉ. अम्बेडकर को पढ़ने और समझने की ज़रूरत है.
विषय प्रवर्तन करते हुए मंगल राम पेरियार ने कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार संघ परिवार के दलित विरोधी एजेंडे पर चलते हुए भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहती है. जिसमें अगर संघ सफल हो गया तो फिर से दलितों को मनुस्मृति के हिसाब से पढ़ने और धन संचय करने पर सज़ा दी जाएगी. उनके कानों में पिघला हुआ शीशा डाला जाएगा. कमर में झाडू़ और गले में हांडी बांधकर चलना पड़ेगा. आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि संघ के इस योजना में सबसे बड़ी रूकावट बाबा साहब के विचार हैं. इसलिए अगर भारत को फिर से मनुस्मृति की भठ्ठी में झोंकने से रोकना है तो डॉ. अम्बेडकर के विचारों पर हमें चलना होगा.