सहारनपुर : ‘पुलिस पीड़ित दलितों के खिलाफ़ ही मुक़दमे दर्ज कर रही है’

TwoCircles.net News Desk

बलिया : सहारनपुर में पुलिस संरक्षण में दलितों पर हो रहे हमले और हाशिमपुरा-मलियाना जनसंहार की तीसवीं बरसी पर रिहाई मंच, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, इंडियन पीपुल्स सर्विसेज़ (आईपीएस) के संयुक्त तत्वावधान में ज़िलाधिकारी कार्यालय पर जोरदार प्रर्दशन किया गया तथा पुलिस प्रशासन व प्रदेश की योगी सरकार विरोधी नारे भी लगाए गए. इसके बाद ज़िलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन प्रेषित किया गया.


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इस अवसर पर सभा को सम्बोधित करते हुए रिहाई मंच के ज़िला महासचिव बलवंत यादव ने कहा कि हाशिमपुरा और मलियाना में 22 और 23 मई 1987 को पीएसी ने मुसलमानों का जनसंहार किया. लेकिन इस मुद्दे पर राजनीति करके सत्ता में आई कथित सेक्यूलर पार्टियों ने पीएसी के हत्यारों को बचाने का ही काम किया जिसके चलते आज भी हत्यारे खुलेआम न सिर्फ घूम रहे हैं बल्कि उनमें से कईयों को प्रमोट करके सरकारों ने इस हत्याकाण्ड का इनाम भी दिया है.

गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रदेश महासचिव गोपाल खरवार कर्णपूरी ने कहा कि योगी-मोदी की सरकार में दलितों, आदिवासियों का उत्पीड़न, हत्याएं चरम पर हैं, जिसका ताज़ा उदाहरण सहारनपुर जैसी घटनाएं हैं.

उन्होंने कहा कि योगी राज में एक जाति विशेष के गुंडा तत्वों को दलितों के खिलाफ़ हिंसा की खुली छूट मिली हुई है. प्रदेश पुलिस महानिदेशक के भी योगी के सजातीय होने के कारण पूरी पुलिस फोर्स भी मूकदर्शक की भूमिका में आ गई है. जिससे एक बार फिर दलितें के खिलाफ़ मध्ययुगीन अपराध किए जा रहे हैं.

कुंवर सिंह महाविद्यालय के वरिष्ठ छात्रनेता व रिहाई मंच के संगठन मंत्री मंगल पेरियार ने कहा कि योगी राज में दलितों से वो सारे अधिकार छीन लिए जाने की साज़िश हो रही है जो बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के संघर्षों से उन्हें मिला था.

उन्होंने कहा कि सहारनपुर जैसी घटनाओं पर भाजपा के दलित सांसदों और विधायकों की चुप्पी शर्मनाक है. प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि हमलावर राजपूत बिरादरी के खिलाफ़ कोई कार्रवाई करने के बजाए पुलिस सहारनपुर के पीड़ित दलितों के खिलाफ़ ही मुक़दमे दर्ज कर रही है.

इंडियन पीपुल्स सर्विसेज़ (आईपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद गोंडवाना ने कहा कि देश में आरएसएस-भाजपा की सरकार पूर्णरूप से मनुवाद लागू करना चाहती है. जिसके लक्षण सहारनपुर जैसी घटनाओं में दिख रहा है. मनुस्मृति में यह साफ़ कहा गया है कि हिंसा करने का अधिकार सिर्फ़ क्षत्रियों को है. इसीलिए हम देखते हैं कि अजय मोहन सिंह बिश्ट उर्फ़ योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही पहले क्षत्रिय सुलखान सिंह को डीजीपी बनाया गया और उसके बाद हिंदू युवा वाहिनी और संघ से जुड़े क्षत्रियों को दलितों को खुलेआम पीटने की छूट देकर भारत को पुनः वैदिक युग में पहुंचा देने की कोशिश की जा रही है.

सभा का संचालन रिहाई मंच सचिव मंजूर आलम ने किया. इस अवसर पर रिहाई मंच ज़िलाध्यक्ष डॉ. अहमद कमाल, कुंवर सिंह महाविद्यालय के पूर्व महामंत्री रंजीत कुमार निहाल, अली औसत, रोशन अली, गोंगपा के जिलाध्यक्ष सुमेर गोंड, जिला संरक्षक दादा अलगू गोंड, रामचंद्र जेठवंत, सतीश चंद्र महाविद्यालय के पूर्व पुस्तकालय मंत्री मिथिलेश पासवान, ज़ाहिद अंसारी, मनोज राम, शैलेंद्र पासवान आदि लोग मौजूद रहें.

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