‘आज़मगढ़ एक बार फिर सुरक्षा और जांच एजेन्सियों के निशाने पर’

TwoCircles.net News Desk

आजमगढ़/लखनऊ : अबू ज़ैद की मुम्बई एयरपोर्ट से गिरफ़्तारी के बाद आज़मगढ़ एक बार फिर से सुरक्षा और जांच एजेन्सियों के निशाने पर है.


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रिहाई मंच की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने बताया है कि आज़मगढ़ के निज़ामाबाद थाना के कुजियारी गांव से मुस्लिम युवकों को पुलिस उठा ले गई है. वहीं जैद के परिजनों को परेशान किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि, एडीजी क़ानून व्यवस्था का बयान साफ़ करता है कि इन सभी युवकों से गैर-क़ानूनी तरीक़े से पूछताछ की जा रही है.

उन्होंने कहा कि, आज़मगढ़ ज़िले के जो छवि बना दी गई है, उसके चलते आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों का उत्पीड़न करने की इन एजेन्सियों को खुली छूट मिली है.

प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़ रिहाई मंच के एक प्रतिनिधीमंडल ने छाऊं और कुजियारी गांव का दौरा किया. अबु ज़ैद के पिता अलाउद्दीन और गाँव के लोगों से मुलाक़ात में मालूम चला कि उनके गांव के चार लड़कों को मुंबई में पुलिस ने पूछताछ के लिए 7 तारीख़ को उठाया था और रात में 11 बजे क़रीब यह कह कर जाने दिया था कि अगले दिन उन्हें फिर क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के बुलाने के हिसाब से पहुंच जाना होगा. यह सिलसिला आज तीसरे दिन भी जारी है. हासिम, फ़रहान, ख़ालिद और फ़हीम से लगातार पूछताछ हो रही है. वहीं कुजियारी  में भी 7 नवम्बर की रात क़रीब 9 बजे गांव को चारों तरफ़ से घेर कर चार युवकों को पुलिस पकड़ कर अपने साथ ले गई. दूसरे दिन उनमें से तीन युवकों तलहा पुत्र बदरे आलम, तारिक़ पुत्र फिरोज़ और अशरफ़ पुत्र भुक्कड़ को छोड़ दिया. इशराक पुत्र शब्बीर को आज तीसरे दिन भी किसी अदालत में पेश नहीं किया गया है, जबकि मीडिया रिपोर्ट्स में इशराक पुत्र शब्बीर को आईएस से सम्बंध के आरोप में गिरफ्तार जनपद के जैद से जोड़ा जा रहा है. गांव में इस पूछताछ की घटना से भय और आक्रोश का माहौल है.

रिहाई मंच के मुताबिक़, जैद को मुम्बई आना था और वहां से कनेक्टिंग फ्लाइट से वाराणसी. ऐसे में उसके न आने पर निश्चित रूप से परिजन परेशान हुए. आज़मगढ़ और मुस्लिम होने के कारण यह चिंता और बढ़ जाती है. जिस डर में मुस्लिम समाज जी रहा है कि कब उसके बच्चे को किसी फ़र्ज़ी केस में न फंसा दिया जाए, वो डर अलाउद्दीन साहब के लिए सच साबित हुआ, जब उन्हें मालूम चला कि उनके बेटे को आतंकवाद के आरोप में फंसा दिया गया है. जब ज़ैद मुंबई और वाराणसी नहीं पंहुचा तो मुंबई में उसके सम्बन्धी और बाबतपुर, वाराणसी हवाई अड्डे पर उसके परिजन उसको खोजने के लिए गए. अब पुलिस उन्हीं लोगों को पिछले तीन दिनों से पूछताछ के नाम पर परेशान कर रही है, जो उसको लेने या खोजने एयरपोर्ट गए थे या वो कहां पहुंचा ये जानने के लिए उससे फ़ोन पर बात की थी.

रिहाई मंच ने सवाल उठाया है कि अगर ज़ैद इतना ही शातिर होता और वे उसके ग्रुप के होते तो वे क्या इस तरह से फ़ोन पर बात करते या फिर एअरपोर्ट जाते.

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