आस मुहम्मद कैफ़, TwoCircles.net
मेरठ : रासुका की कार्रवाई से सरकार के रुख को देखते हुए दलितों में भीम आर्मी चीफ़ चन्द्रशेखर आज़ाद ‘रावण’ के प्रति सहानभूति की लहर दौड़ गई है. शांत भीम आर्मी फिर से काफी सक्रिय दिखाई दे रही है.
चन्द्रशेखर के पक्ष में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. हालांकि निकाय चुनाव के चलते उत्तर प्रदेश में आचार संहिता लागू है, बावजूद इशके पिछले तीन दिनों में दलितों के एक दर्जन से अधिक प्रदर्शन हो चुके हैं.
आज भी भीम आर्मी ने महापंचायत की घोषणा की थी, जिसे प्रसाशन ने जैसे-तैसे रद्द करवा दिया. लेकिन ननोता, रामपुर, छुटमलपुर, देवबंद और सहारनपुर में दलितों ने अधिकारियों को ज्ञापन देकर चन्द्रशेखर पर लगे रासुका का विरोध किया है.
मंगलवार को भी भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने मंडल आयुक्त का घेराव किया था. नया गांव मल्हीपुर की महिलाओं ने चन्द्रशेखर पर रासुका लगाए जाने के विरोध में भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी भी दी है.
वहीं भीम आर्मी के प्रवक्ता मंजीत कोटियाल और ज़िलाध्यक्ष कमल वालिया ने जेल के अंदर ही भूख हड़ताल की धमकी दी है. उन्हें जेल में दलित क़ैदियों का समर्थन भी मिल रहा है.
इन सबके बीच चन्द्रशेखर को मेरठ चिकित्सालय में दाखिल कराया गया है. यहां पत्रकारों से हुई बातचीत में चन्द्रशेखर ने कहा है कि, जब रासुका से भगत सिंह नहीं डरे तो वो कैसे डरेंगे.
चन्द्रशेखर ने कहा है कि, जेल से आने के बाद भीम आर्मी सेना में चमार रेजिमेंट बनाने के लिए लड़ाई लड़ेगी.
छुटमलपुर में चन्द्रशेखर के पड़ोस में रहने वाले अनुभवी वकील कृष्णपाल बताते हैं कि, कुछ लोगों को लगता था कि चंद्रशेखर आज़ाद का दमन करके भीम आर्मी ख़त्म हो जाएगी. लेकिन आज़ाद के ख़िलाफ़ की गई रासुका की कार्रवाई पर दलितों का विरोध और भीम आर्मी की सक्रियता उनको ग़लत साबित कर रही है.
प्रकाश जाटव कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ अब सूबे के मुख्यमंत्री न होकर सहारनपुर के राजपूतों के संरक्षक हो गए हैं. क्या यही राजधर्म है? सज़ायाफ़्ता शेर सिंह राणा खुलेआम दलितों को धमकाता घूमे, उसके पोस्टर लगें और दलितों की बहन-बेटी को सम्मान देने की बात करना वाला चंद्रशेखर रासुका झेले.
चंद्रशेखर के केस की पैरवी करने वाले वकील हरपाल सिंह कहते हैं कि, अदालत के ज़मानत याचिका मंज़ूर कर लेने के बाद जिस प्रकार से रासुका लगाई गई वो अदालत का भी अपमान है. सरकार दलितों का दमन कर रही है.
भीम आर्मी के तेवर एक बार फिर सख़्त हो गए हैं. दरअसल दलित को जागने में वक़्त लगा है, मगर अब वो दृढ़ हैं. चन्द्रशेखर के ख़िलाफ़ रासुका की इस कार्रवाई से दलित खुलकर अब प्रदेश सरकार को कोस रहे हैं.
युवा काशी चमार कहते हैं कि, दलित अब लंबे समय तक उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं कर सकता, वो मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है.