‘ये ‘गो-रक्षक’ हिटलर के ‘स्टॉर्मट्रूपर्स’ की तरह हैं…’

अफ़रोज़ आलम साहिल, TwoCircles.net


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नई दिल्ली : ‘इस देश में गो-रक्षा करने की ज़िम्मेदारी गो-रक्षक दलों के गुंडो को क्यों? क्यों प्राईवेट सेक्टर से इन ‘गुंडो’ को आउटसोर्स किया गया है? आख़िर पुलिस को यह ज़िम्मेदारी क्यों नहीं दी गई है. आख़िर पुलिस किस लिए? क्या जानवरों के नाम पर किसी इंसान को मारने की इजाज़त दी जा सकती है?’

ऐसे कई सवालों को आज प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया के कांफ्रेस हॉल में पूर्व अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल इंदिरा जयसिंह ने उठाया. वो राजस्थान के अलवर ज़िले में 55 साल के पहलू खान को कथित गो-रक्षकों की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने के मामले में की गई एक स्वतंत्र इंवेस्टीगेशन रिपोर्ट ‘किस तरह बचा रही पुलिस पहलू ख़ान के हत्यारों को’ के रीलीजिंग प्रोग्राम में बोल रही थी. इस रिपोर्ट को वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार अजीत साही ने तैयार किया है.

इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि, ‘गो-रक्षक’ के नाम से इस देश में गुंडों की एक फौज तैयार की गई है. ये गुंडे सरकारी शह पर ख़ास तौर पर भाजपा शासित राज्यों में काम कर रहे हैं. पुलिस भी इनके साथ काम करती है.

प्रशांत भूषण के निशाने पर केन्द्रीय मंत्री महेश शर्मा भी रहें. वो कहते हैं कि, महेश शर्मा किस तरह का अस्पताल चला रहे हैं. उन्होंने कैसे डॉक्टर रख लिए हैं. आख़िर उनके डॉक्टरों ने कैसे लिख दिया कि पहलू खान की मौत हार्ट-अटैक से हुई है, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ़-साफ़ सबकुछ लिखा हुआ है कि कहां-कहां उनकी हड्डी टूटी हुई थी. उनके अस्पताल का लाईसेंस तुरंत रद्द होना चाहिए.

उन्होंने आगे कहा कि, गो-रक्षा के नाम पर जो हिंसा हो रही है, ये बहुत ख़तरनाक संकेत है. ये सब तो हिटलर के समय नाजी जर्मनी में होता था. वही आज भारत में हो रहा है. ये ‘गो-रक्षक’ हिटलर के ‘स्टॉर्मट्रूपर्स’ की तरह हैं. जिसको चाहे मार दे रहे हैं. ये सीधे-सीधे फांसीवाद के संकेत हैं. आज हम इस पर सचेत नहीं हुए तो आगे चलकर हम सबका भी नंबर आने वाला है.

वहीं सुप्रीम अधिवक्ता कॉलिन गॉन्ज़ाल्विस ने बताया कि, गोरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा मार दिए जाने के 30 मामलों में से कम से कम 7 मामलों में कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है. जहां एफ़आईआर दर्ज की गई है, वहां मामले को हर तरह से कमज़ोर बनाने की कोशिश की गई है. सभी मामलों में अभियुक्तों को छोड़ दिया गया है. पीड़ितों के परिवारों को अब धमकी दी जा रही है.

वो आगे कहते हैं कि, नफ़रत की राजनीति करने वालों की ओर से टीवी चैनलों पर खुलेआम कहा जा रहा है कि जो गाय को मारेगा, उसे हम मार देंगे. और इसके लिए उनके पास कांट्रेक्ट किलरों की पूरी टीम है. क्या ये क्राईम नहीं है.

मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ कहती हैं कि, हम पहलू खान के मामले में प्रोटेस्ट पेटिशन डालेंगे, जो कि हमारा हक़ है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, गोरक्षा पर नाम पर किए गए तमाम हत्याओं के मामलों को एक साथ जोड़कर अदालत जाने की ज़रूरत है. इसके लिए जल्द ही हम एक योजना तैयार करेंगे.

वो बताती हैं कि, गृह मंत्रालय संसद में ग़लत सूचना दे रही है. गुमराह कर रही है. ज़रूरत है कि विपक्षी राजनीतिक पार्टियां भी इस नाइंसाफ़ी के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करें. वो अपने इस ज़िम्मेदारी से भाग नहीं सकते.

वहीं जेएनयू के छात्र नेता उमर ख़ालिद ने कहा कि, ये लड़ाई हम सबकी है. हमें पहलू खान के परिवार को नाउम्मीद नहीं होने देना चाहिए.

उन्होंने कहा कि, पहले इस देश में लोग क्राईम करने से डरते थे, लेकिन आज क्राईम करने वाले ही अपना खुद का वीडियो बना रहे हैं और इसे वायरल कर रहे हैं. इस शासन में राजा से लेकर प्यादा तक सब नफ़रत की राजनीति में शामिल हैं.

इस कार्यक्रम में पहलू खान के बेटे इरशाद खान ने भी अपनी बात रखी और सरकार व पुलिस की जांच पर कई सवाल खड़े किए.

उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि जब तक ये केस राजस्थान की अदालत में है, हमें इंसाफ़ की कोई उम्मीद नहीं है. हां, सुप्रीम कोर्ट में जब ये मामला आएगा, तब हमें इंसाफ़ ज़रूर मिलेगा.

इरशाद ने यह भी बताया कि उनका अपने वकीलों पर से भी भरोसा उठ गया है. वकील ने हमसे 52 हज़ार रूपये मांगे और कहा कि हम उनका बेल नहीं होने देंगे, लेकिन अदालत में वो उनकी तरफ़ से हो गए.

इरशाद कहते हैं कि, हम गरीब आदमी हैं. उन्हें भी पता है कि हम कब तक भागते रहेंगे. लेकिन मैं बता दूं कि जब तक हमारी ज़िन्दगी है, हम इंसाफ़ के लिए इस केस को लड़ते रहेंगे.

इस कार्यक्रम में मंच संचालन प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता मनीषा सेठी कर रही थी. इस कार्यक्रम में यह भी तय हुआ कि इस मामले को अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जाएगा और दुनिया भर के देशों में विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा. इस दौरान शिकागो से शहला राशिद और लंदन से वहां की प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता भी लाईव हुई और अपनी बातों को सामने रखा.

इस पूरे कार्यक्रम के दौरान पहलू खान की पत्नी जैबुन खान भी वक्ताओं के साथ मंच पर मौजूद रहीं.

इस कार्यक्रम के बाद TwoCircles.net के साथ ख़ास बातचीत में जैबुन बताती हैं कि, उनके कुल आठ बच्चे हैं. चार लड़के और चार लड़कियां. एक लड़की सबसे बड़ी है. उसके बाद इरशाद है, जो इस पूरे घटना का चश्मदीद भी है और गो-रक्षकों ने उसकी भी पिटाई की थी. बाक़ी सब लड़के काफी छोटे हैं.

वो कहती हैं कि घर में मेरे पति व इरशाद ही कमाने वाले थे. लेकिन अब वो तो रहे नहीं और इरशाद भी कोई काम-धंधा नहीं कर पा रहा है. क्योंकि बार-बार कोर्ट जाना पड़ता है.

आगे की बातचीत में वो बताती हैं कि इस कार्यक्रम में क्या बोला गया, उन्हें कुछ भी समझ में नहीं आया. लेकिन मुझे बस इससे मतलब है कि मेरे पति के हत्यारों को जेल होनी चाहिए. ये पूछने पर भी क्या आपको इंसाफ़ मिलने की उम्मीद है? इस सवाल पर वो खामोश हो जाती हैं. अपनी आंखों में आए आंसुओं को पोछने लगती हैं…    

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