मुसलमानों का अल्लाह के सिवा कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता —मौलाना नज़ीर

मौलाना नज़ीर अहमद क़ासमी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुसलमानों में सबसे ज़्यादा प्रभाव रखते हैं. मुसलमानों के लगभग हर विरोध-प्रदर्शन की कमान इनके हाथ में रहती है. मुसलमानों में इनके प्रभाव को देखते हुए उस वक़्त के सीएम अखिलेश यादव ने मुस्लिमों को समझाने के लिए ख़ास विमान भेजकर बुलवाया था, जिसको लेकर बाद में बहुत राजनीति हुई. कवाल में मारे गए शाहनवाज़ को क़ब्रिस्तान में दफ़नाने की तमाम ज़िम्मेदारी भी इन्होंने ही निभाई. ये अलग बात है कि बावजूद इसके मुज़फ्फरनगर दंगे में इन्हें भी आरोपी बनाया गया. बाद में इन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा भी दी गई, जिसे अब हटा लिया गया है.


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78 साल के मौलाना नज़ीर जानसठ के तालिमुल क़ुरान मदरसे के मोहतमिम हैं. TwoCircles.net के आस मुहम्मद कैफ़ ने इनसे ख़ास बातचीत की. पेश है इस बातचीत का प्रमुख अंश : 

 

मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के चार बाद मुसलमानों में किस तरह का बदलाव आप देखते हैं?

मौलाना नज़ीर —दंगे के बाद का प्रभाव अलग है और सरकार का अलग. दंगे के बाद जब सरकार ने मरहम पट्टी की तो उन्हें लगा कि उनकी सुनी जा रही है और सरकार को हमदर्दी है. मगर इसके बाद दिल्ली में नई सरकार आ गई, जिसका जड़ यही दंगा बना. उसके बाद से मुसलमान में डर पैदा होने लगा. बाद में लखनऊ में भी वही लोग आ गए. डर तो वाक़ई पैदा हुआ, मगर मुसलमानों को डर से ज़्यादा अफ़सोस हुआ.

क्या डर के साथ जीना मुसलमानों के लिए मुश्किल नहीं है?

मौलाना नज़ीर —पहली बात तो मुसलमान को अल्लाह के सिवा किसी से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि अल्लाह के सिवा उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता. मुश्किल हालात से डरकर भागना नहीं होता. बारिश आ जाए तो घर के अंदर ज़हरीले जानवर निकल आते हैं, जिससे बचने के लिए मकान मालिक घर के छेद बंद कर देता है. मुसलमान आपसी रंजिश और फ़िरक़ों में उलझा है. ख़्यालात अपनी जगह हैं. एक बार मैं खुद अलम उठाकर शिया समाज के जुलूस के आगे चला. पहले अपने घर को मुसलमान दुरुस्त करें. एक दीन पर आएं और क़ुरान पर अमल करें.

अखिलेश सरकार ने आपको विशेष विमान भेजकर बुलाया था या आप खुद चले गए थे? और आपको क्यों बुलाया था?

मौलाना नज़ीर —मेरे पास तो रिक्शा भी नहीं है. उन्होंने ही बुलाया था. मेरठ परतापुर हवाई पट्टी पर ‘छोटा’ सा जहाज़ था. अखिलेश ने सवा घंटे बात की. वही जहाज़ वापस छोड़ने भी आई. हमने उन्हें मुसलमानों के ख़िलाफ़ हुए जुर्म और उस समय के डीएम-एसएसपी की ग़लती के बारे में बताया. वो चाहते थे कि हम मुसलमानों को समझाएं और दंगा ना होने दे.

मगर तब तक दंगा तो हो चुका था, अब क्या चाहते थे?

मौलाना नज़ीर —उन्हें कई तरह की डर थे, जैसे मुसलमान उनसे अलग ना हो जाए और मुसलमान कोई एक्शन भी ना ले. इसके लिए बेघर मुसलमानों को मुआवज़ा और बेघरों को घर देने की बात हुई. अखिलेश ने वादा किया और इसे पूरा भी किया.

मगर जिन लोगों ने जुर्म किया सरकार ने उन पर सख़्ती क्यों नहीं की?

मौलाना नज़ीर —यह तो आपको वही बताएंगे. अब उनकी सरकार नहीं है. जब पुलिस जाटों की गिरफ्तारी करने जाती थी तो महिलाएं हथियार लेकर अड़ जाती थी. सिर्फ़ सरकार की ग़लती नहीं. आज जाटों के पक्ष में पैसे लेकर शपथ-पत्र कौन दे रहा है! लगभग सारे मुक़दमें ख़त्म होने की कगार पर हैं. मुश्किल से दो चार लोग जेल में बचे होंगे. बाक़ी सब आज़ाद हैं. गौरव सचिन के क़त्ल के इल्ज़ाम में बंद लड़कों की चार साल में ज़मानत नहीं हुई और दर्जनों लोगों को मारने वाले महीनों में आ गए.

आप पर भी हिन्दूवादी ताक़तों ने दंगा भड़काने का इल्ज़ाम लगाया. कवाल में मर्डर के अगले दिन हज़ारों लोगों के साथ कवाल में ज़बरदस्ती घुसने को लेकर आप पर मुक़दमा दर्ज किया गया.

मौलाना नज़ीर —दिल्ली से कुछ कांग्रेस के कुछ नेतागण आए थे. वो कहने लगे कि हमें कवाल जाना है. किसी को हमारे साथ भेज दो. मैंने कहा —मैं ही साथ चलता हूं. जानसठ तिराहे पर पुलिस ने हमें रोक लिया. कवाल में उसी दिन जाटों ने तोड़फोड़ की थी और कुछ मुसलमानों को पीटा गया था. हम उनसे मिलकर सच जानना चाहते थे. एसपी कल्पना सक्सेना ने फोर्स बुलवा ली. किसी ने अफ़वाह फैली दी कि मौलाना के साथ बदतमीज़ी हुई है. हज़ारों लोग इकट्ठा हो गए. पुलिस ने बाद में मुक़दमा लिख दिया. हालांकि तब भी मैंने हिन्दू और मुस्लिम दोनों को समझाकर शांत किया. आप कवाल में जाकर पूछ लीजिए. अब कोई क्या कहता है यह वो जाने.

शाहनवाज़ की लाश को कवाल में दफ़नाने आप गए थे?

मौलाना नज़ीर —शाहनवाज़ की एफ़आईआर भी 9 घंटे बाद हुई थी. हज़ारों लोग यहां मदरसे पर इकट्ठा थे. उस समय के डीएम-एसएसपी एकतरफ़ा काम कर रहे थे. कवाल में पुलिस ने खुद मुसलमानों के घर पर हमला कर दिया था. डीएम खुद कमांड कर रहे थे. रात में उन्हें हटा दिया गया. अगले दिन कवाल से मुसलमान पलायन कर गए. शाहनवाज़ की लाश लाने वाला भी कोई नहीं बचा. फिर मैं कवाल गया और उसका दफ़िना करवाया.

पहले की सरकार ने आपको वाइ श्रेणी की सुरक्षा दी थी, जिसे योगी सरकार ने हटा दिया है. क्या आपको नहीं लगता कि आप यहां कुछ नज़रों में खटकते हैं?

मौलाना नज़ीर —अब यह आप बिजनौर पुलिस से पूछिए कि उन्होंने ख़ुलासा किया था कि मेरी हत्या के लिए 1 करोड़ की सुपारी दी गई है ताकि दंगा भड़काया जा सके. एनआईए के सीओ तंज़ील अहमद के क़ातिल को भी यह सुपारी दी गई और खुद पुलिस ने इसका खुलासा किया. सरकार जाने जो उन्हें ठीक लगे वो करे. मैं अल्लाह के सिवा किसी से नहीं डरता.

आजकल राष्ट्रवाद की हवा है. देश में ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि मुसलमान देशभक्त नहीं है. आप इस पर क्या सोचते हैं?

मौलाना नज़ीर —मुसलमानों से बड़ा कोई देशभक्त नहीं है. हमारे खून में यहां की मिट्टी शामिल है. यह नबियों का वतन है. यहां आदम अलैहिस्लाम आएं. हमने क़ुर्बानियां दी हैं. मुसलमान सबसे ज़्यादा वतन-परस्त क़ौम है.

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